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Essay on Pollution : प्रदुषण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैम्पल्स

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  • Updated on  
  • जून 5, 2024

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

This Blog Includes:

प्रदूषण के बारे में, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द , प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदूषण के प्रकार , प्रदुषण पर कोट्स.

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण (संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

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Essay on Pollution in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

यह भी पढ़ें : प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

Essay on Pollution in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है-

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

जल प्रदूषण : उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

भूमि प्रदूषण : वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण : प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य   निबंध से संबंधित ब्लॉग्स   पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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हमारा पर्यावरण पर अनुच्छेद | Paragraph on Our Environment in Hindi

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हमारा पर्यावरण पर अनुच्छेद | Paragraph on Our Environment in Hindi!

व्यक्ति अपने पर्यावरण में निवास करता है । वह अपने पर्यावरण का एक हिस्सा होता है । पर्यावरण में होने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों स वह बहुत प्रभावित होता है । इसलिए जरूरी है कि हमारा पर्यावरण साफ़- सुथरा रहे । पर्यावरण में किसी प्रकार का असंतुलन न उत्पन्न हो जाए । दुर्भाग्यवश कर्ड कारणों से वर्तमान समय में हमारे पर्यावरण में असंतुलन आ गया है । जल, वायु, मिट्‌टी, वन जैसे प्राकृतिक तत्व प्रदूषित हो रहे हैं । इसका परिणाम है – जलवायु में परिवर्तन, जैव विविधता के लिए संकट, बाढ़, सूखा और स्वास्थ्य संबंधी अनेकानक समस्याएं । अत: हमें अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करना होगा जो पर्यावरण को तरह-तरह से बिगाड़ रहे हैं । हमें अपने चारों ओर की आबोहवा को शुद्ध रखना हागा हमें जल और वायु की शुद्धता बनाए रखने के प्रयास करने होंगे । वनों को नष्ट होने से रोकना होगा तथा वन्य जीवन के संरक्षण के प्रयास करने होंगे । अपने पर्यावरण का सही दशा में बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का परम कर्त्तव्य है ।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था। इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द (Pollution Essay 200 Words in Hindi)

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।

यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।

इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी

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प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi)

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।

प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द (Pollution Essay 500 Words in Hindi)

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।

इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि “प्रदूषण” एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

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वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

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प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। इसके अलावा, कारखानों, उद्योगों, प्लास्टिक और पत्तियों के जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने और रेफ्रीजरेशन उद्योग के सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

ध्वनि प्रदूषण: सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या और ध्वनि प्रदूषण में भारी योगदान करते हैं। यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है और तनाव और चिंता के कारण हो सकता है।

जल प्रदूषण: कचरे को नदियों और समुद्रों में डालने के कारण जल प्रदूषण होता है। यह समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है और पीने योग्य पानी की कमी का कारण बन सकता है।

मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।

विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: त्योहार मनाते समय पटाखों का इस्तेमाल न करें। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी दुश्मनीकारक प्रभाव डालता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें और सार्वजनिक परिवहन का प्रयास करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: हमें अपने घर के आस-पास क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना हमारी जिम्मेदारी है। कचड़ा कूड़ा फेंकने की बजाय, हमें कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग करें: कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें ठीक से डिकम्पोज करें या रिसाइकल के लिए भेजें।

पेड़ लगाएं : पेड़ों की कटाई वातावरणिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण बन रही है, इसलिए हमें अधिक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।

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Below are the related topics to pollution in English available at IL

  • Paragraph on Pollution in English
  • Essay on Pollution in English
  • Essay on Causes of Pollution
  • Article on Pollution
  • Types of Pollution

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • प्रदूषण विवादित प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने की प्रक्रिया है।
  • प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • प्राकृतिक प्रकोपों के साथ-साथ मानव गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगलों के जलने और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं हैं।
  • प्रदूषण एक ग्लोबल समस्या है, राष्ट्रीय नहीं।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग करना, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं, जैसे कि सौर पैनल।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध FAQs

हिंदी में प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें.

प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए, आप प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, और निवारण के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण की समस्या पर निबंध लिखने के लिए, आपको इसके कारण, प्रभाव, और समाधान के बारे में विस्तार से लिखना होगा।

प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

प्रदूषण का मुख्य कारण है वाहनों, उद्योगों, और अन्य जैविक और अजैविक कारकों से निकलने वाले विषाणु, धूल, ध्वनि, और अन्य जलवायु प्रदूषक।

प्रदूषण का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे की डायरिया, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य बीमारियाँ। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है।

प्रदूषण के बारे में आप कैसे लिखते हैं?

मैं प्रदूषण के खतरों, उसके प्रकारों, और निवारण के उपायों के बारे में लिखता हूँ।

प्रदूषण को 100 शब्दों में क्या कहते हैं?

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसमें वायु, पानी, और भूमि के प्रदूषक वातावरण को हानि पहुंचाते हैं। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है।

प्रदूषण का निष्कर्ष क्या है?

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सभी मिलकर काम करना होगा। हमें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी से उपायों पर विचार करना होगा।

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पर्यावरण प्रदुषण विषय पर निबंध | Essay On Pollution In Hindi

Essay on Pollution in Hindi

भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है जिसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। माता-पिता को प्रदुषण के प्रकार, कारण और रोकथाम के बारे में पता होना चाहिए ताकि वो अपने बच्चो को इसके बारे में बता सके।

प्रदूषण आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। प्रदूषण से तात्पर्य गंदगी से है और प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होने से है। प्रदूषण की गिरफ्त में आज पूरा मानव समुदाय ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तु और वनस्पति भी इसकी चपेट में हैं।

प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों को हर तरफ देखा जा सकता है। वहीं पिछले कुछ दशकों से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि, जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ गया है। वहीं अगर इस समस्या पर जल्द गौर नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदूषण की वजह से रोजाना किसी न किसी की मृत्यु होगी और दुनिया का आस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से स्कूल, कॉलेजों में इसके लिए बच्चों को जागरूक किया जाता है और इस विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई जाती है, जिससे लोग इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सके और इससे बचने के उपायों की जानकारी प्राप्त कर सकें।

इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में प्रदूषण पर अलग-अलग शब्द सीमा के साथ निबंध (Essay On Pollution) उपलब्ध करवाएंगे जो कि आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

Essay On Pollution In Hindi

प्रदुषण पर निबंध – Essay On Pollution In Hindi

“आओ दोस्तों कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये…”

प्रदूषण का मतलब होता है, जब कुछ दूषित तत्व प्राकृतिक परिवेश में प्रवेश कर जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाता है और जिससे न हमें शुद्ध वायु मिलती है, न शुद्द जल मिलता है और न ही शांत वातावरण मिलता है।

जिससे कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं। प्रदूषण न सिर्फ हमारी सामान्य जीवन शैली को प्रभावित करता है, बल्कि कई तरह की गंभीर बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग को जन्म भी देता है।

इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं है कि आज के मॉडर्न और आधुनिक युग में मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और इसी वजह से प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है।

विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास से जहां मानव क्षमता में भारी वृद्धि हुई हैं तो वहीं लोग अपने द्धारा बनाई गई रचनाओं के गिरफ्त में आ गए हैं, अर्थात आज का इंसान आधुनिकरण और सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि वह इन संसाधनों के बिना अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकता है और मानव निर्मित उपकरण की वजह से ही प्राकृतिक संसाधनों का जमकर हनन हो रहा है और प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है।

इसलिए प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाने की जरुरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

प्रदूषण पर निबंध – Pradushan Par Nibandh

स्वच्छ और शुद्ध वातावरण में रहने से न सिर्फ मानव का विकास होता है, बल्कि स्वस्थ समाज का भी निर्माण होता है। यहां शुद्ध वातावरण से तात्पर्य – प्रदूषण रहित वातावरण से है। वहीं जब तक सभी मिलकर वातावरण को स्वच्छ रखने में मद्द नहीं करेंगे तो हर तरफ गंदगी होगी और प्रदूषण फैलेगा।

प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए इससे पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव और इससे बचने के उपायों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है, तभी लगातर बढ़ रहे प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकेगी।

दरअसल, हम बिना सोचे-समझे अपनी सुख-सुविधाओं के लिए अपनी प्रकृति का हनन करते हैं, जिसकी वजह से कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए हमें अपनी जानकारी को बढ़ाना चाहिए और अपनी सोच को व्यापक और विस्तृत करना चाहिए।

इसलिए अलग-अलग तरह के प्रदूषण, उनके कारणों  और मानव जीवन और वातावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे जानना बेहद आवश्यक है।

आपको बता दें कि अलग-अलग तरीके से कुछ रसायन, सूक्ष्म और दूषित तत्व हमारे वातावरण में मिल रहे हैं, जिनसे अलग-अलग तरह का प्रदूषण होता है – जैसे कि वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, रसायनिक प्रदूषण और रेडियोधर्मी प्रदूषण। जब वायु में कुछ दूषित तत्व मिलकर वायु मौजूद गैसों का संतुलन बिगाड़ देते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं, इससे अस्थमा, दमा समेत कई तरह की श्वास संबंधित बीमारियां फैलती हैं।

इसी तरह से जब प्राकृतिक जल स्त्रोतों में कारखानों और घरों से निकलने वाला कचरा मिलता है तो जल प्रदूषण की समस्या पैदा होती है। वहीं मोटर वाहनों, डीजे, लाउडस्पीकर और पटाखों से इतना शोर होता है कि ध्वनि प्रदूषण की समस्या पैदा हो जाती है जिससे इंसान की सुनने की शक्ति कमजोर हो जाती है।

इस तरह अलग-अलग प्रदूषण का हमारी पृथ्वी और मानव दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके पर गौर करने की और जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तभी इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकता है।

प्रदूषण पर निबंध – Pradushan Essay In Hindi

प्रस्तावना –

प्रदूषण की समस्या आज पूरी दुनिया की सबसे बड़ी समस्या के रुप में सामने आ रही है। आधुनिक युग में मनुष्य सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि इसके लिए प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ कर रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या उपज रही है।

वहीं अब प्रदूषण का स्तर चरम सीमा पर पहुंच गया है, अगर अब वातावरण को स्वच्छ रखने में ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर पृथ्वी पर रह रहे मनुष्य और जीव-जंतु सभी का आस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर प्रदूषण किन कारणों की वजह से हो रहा है –

प्रदूषण के प्रमुख कारण – Pradushan Ke Karan

प्रदूषण फैलने के कई प्राकृतिक और मानवनिर्मित कारण हैं, दरअसल मानव अपने सुख-सुविधाओं के लिए पेड़-पौधों को लगातार काट रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उपज रही है।

यही नहीं आजकल लोग वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे वाहनों से निकलने वाला धुआं जहरीली गैस के रुप में हवा से मिल जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

इसके अलावा वाहनों से होने वाले शोर से मनुष्य की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।  वहीं शहरों में तेजी से हो रहे औद्योगिकरण से एक तरफ जहां देश के विकास को गति मिली है तो दूसरी तरफ इससे काफी नुकसान भी हो रहा है।

दरअसल औद्योगिक से निकलने वाला कचरा और दूषित अवयव प्राकृतिक जल स्त्रोतों में बहा दिए जाते हैं जिससे प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिलता है। आधुनिक तकनीक कृषि में जहां सिंचाई में वृद्धि हुई है और उत्तम किस्म की फसल की पैदावार होने लगी है तो वहीं इसके लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन और कीटनाशकों से जलस्त्रोतों में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जाती है, और इसी दूषित पानी के सेवन से लोग बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

निष्कर्ष:

जाहिर है कि, आज विज्ञान और तकनीक ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है और मनुष्य कहीं न कहीं इसका आदि हो गया है। जिसकी वजह से अब मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है जिससे पर्यावरण पर इसका बेहद बुरा असर पड़ रहा है और प्रदूषण की समस्या उपज रही है।

अर्थात इस समस्या पर जल्द गौर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों मे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

 प्रदूषण पर निबंध – Pollution Par Nibandh

प्रस्तावना

प्रदूषण से न सिर्फ मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि इस धरती पर रहने वाले तमाम जीव-जंतु पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

और तो और बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से कई जीव-जंतु की प्रजातियां भी विलुप्त हो गईं हैं। पर्यावरण पर प्रदूषण का असर पड़ने से कई घातक बीमारियां जन्म ले रही हैं।

प्रदूषण के प्रमुख प्रकार – Types Of Pollution

पृथ्वी पर अलग-अलग तरह के प्रदूषण जन्म ले रहे हैं, जैसे कि वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण। रासायनिक प्रदूषण आदि, कुछ प्रमुख प्रदूषणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार हैं –

  • वायु प्रदूषण – Air Pollution

आज पूरी दुनिया वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है, क्योंकि इंसान को वायु प्रदूषण की वजह से शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही है, जिससे आज मनुष्य दमा, अस्थमा समेत तमाम श्वास संबंधी बीमारियों की चपेट में आ गया है। दरअसल, जब हमारे वायुमंडल में जैविक, रसायन, सूक्ष्म  और कई तरह के विषैले पदार्थ प्रवेश कर जाते हैं तो वह वायु प्रदूषण कहलाता है।

इन दूषित तत्वों के मिल जाने से वायु दूषित हो जाती है। आपको बता दें कि हमारे वायुमंडल में एक निश्चत मात्रा में और निश्चत अनुपात में गैंसे पाईं जाती हैं, लेकिन जब इस तरह के कुछ तत्व हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं तो इन गैसों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिलता है।

तेजी से बढ़ रहा औद्योगिकरण, बढ़ती आबादी, वनों की अंधाधुंध कटाई और वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल करने से भी वायु प्रदूषण की  समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

  • जल प्रदूषण – Water Pollution

जल प्रदूषण की वजह से न सिर्फ मानव जीवन बल्कि जीव-जंतु और वनस्पति भी प्रभावित हो रही है। जल प्रदूषण का मतलब है, जब जल के प्राकृतिक स्त्रोतों में तमाम तरह के दूषित पदार्थ शामिल हो जाते हैं तो जल प्रदूषण की स्थिति पैदा हो जाती है।

दरअसल, जब उद्योगों से निकलने वाला कचरा जल स्त्रोतों में फेंका जाता है तो इससे पूरा पानी जहरीला हो जाता है, यही नहीं घरो में इस्तेमाल किए गए पानी में जब अन्य रसायन पदार्थ मिलते हैं, तो यह पूरे पानी को जहरीला बना देते हैं।

और यही दूषित पानी का सेवन करने से मनुष्य कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है। वहीं जल प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जिसके समाधान के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

  • ध्वनि प्रदूषण – Sound Pollution

उच्च ध्वनि से होने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। ध्वनि प्रदूषण वाहनों, मशीनरों , रेडियो ,लाउडस्पीकर, टेलीविजन समेत तमाम ऐसे उपकरणों से होता है, जिसकी वजह से इंसान की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।

कई बार तो इंसान ध्वनि प्रदूषण की वजह से बहरेपन, हार्ट अटैक और तनाव जैसे बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसके बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तभी इस समस्या से निजात मिल सकती है।

प्रदूषण किसी भी तरह का हो, यह हर तरह से हानिकारक होता है। इसलिए प्रदूषण की समस्या पर गौर करने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब सभी लोग मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लें और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। इसके साथ ही पुराने वाहनों का इस्तेमाल कम करें और शहर से दूर से फैक्ट्री, कारखाने आदि लगाएं।

प्रदूषण पर निबंध – Short Essay On Paryavaran Pradushan In Hindi

आज के मॉडर्न युग में प्रदूषण, एक बहुत बड़ी समस्या के रुप में हमारे सामने मुंह बांय खड़ी हुई है। जिसकी वजह से मानव जीवन, जीव-जंतु और जलवायु पर इसका काफी बुरा असर पड़ा रहा है।

तेजी से हो रहे औद्योगीकरण, बढ़ रहे वाहन, वनों की हो रही अंधाधुंध कटाई, तेजी से बढ़ रही आबादी समेत तमाम कारणों की वजह से प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। वहीं मनुष्य अपनी सुख-सविधा के लिए आज-कल प्रकृति के साथ भी जमकर छेड़छाड़ कर रहा है।

जिसका सीधा असर हमारे वातावरण और जलवायु पर पड़ा रहा है। हमारे वातावरण में कुछ जहरीली गैसें उत्पन्न हो रही हैं, जो कि वातावरण में मिलकर प्रदूषण उत्पन्न कर रही हैं और मानव जीवन को प्रभावित कर रही हैं। प्रदूषण अलग-अलग रुपों में पृथ्वी पर रह रहे लोगों को प्रभावित कर रहा है –

प्रदूषण के प्रकार:

इस निबंध में हम अलग-अलग तरह के प्रदूषण के बारे में बता रहे हैं, जिनसे होने वाले प्रभाव हमारे पर्यावरण और दैनिक जीवन को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहे हैं –

  • जल प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण
  • रसायनिक प्रदूषण
  • प्रकाश प्रदूषण
  • रेडियोएक्टिव प्रदूषण
  • दृश्य प्रदूषण
  • थर्मल प्रदूषण

प्रदूषण का प्रभाव:

प्रदूषण अलग-अलग तरीकों से मानव जीवन, जीव-जन्तु और वनस्पति को प्रभावित कर रहा है। उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु से मिलकर हमारे वायुमंडल को दूषित कर रहा है, जिसकी वजह से मनुष्य तमाम तरह की श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है।

इसके अलावा उद्योगों और घरों से निकला कचरा, प्राकृतिक जल स्त्रोतों से मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देता है, जो कि इंसान के लिए जानलेवा सिद्द हो रहा है। हालांकि प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने की और इसके दुष्परिणामों को लोगों को बताने की जरूरत है, तभी हम प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से निजात पा सकेंगे।

प्रदूषण से होने वाले कुछ प्रभावों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं –

  • जयवायु परिवर्तन
  • तमाम तरह की बीमारियां ले रहीं जन्म
  • मौसम चक्र में हो रहा परिवर्तन
  • ग्लोबल वार्मिंग
  • कृषि दूषितकरण
  • अम्लीय वर्षा

प्रदूषण के कारण – Causes Of Pollution

प्रदूषण कई तरह से फैलता है, प्रदूषण बढ़ने के प्राकृतिक ही नहीं बल्कि मानवनिर्मित कारण भी हैं। प्रदूषण के कुछ मुख्य कारणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –

  • वनों की अंधाधुध कटाई
  • कीटनाशकों का अत्याधिक इस्तेमाल
  • तेजी से हो रहा औद्योगिकरण
  • वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent Pollution

शहरों और गावों में बढ़ते प्रदूषण को मात्र लोगों में जागरुकता लाकर ही रोका जा सकता है। इसके लिए हमें कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि वाहनों के उपयोग को कम करना, अधिक पेड़ लगाना, रसायनों और कीटनाशकों का कम उपयोग करना आदि कई ऐसे उपाय है जिनके द्वारा प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है।

इसके अलावा प्रदूषण की इस समस्या को देखते हुए सरकार को भी प्लास्टिक और पॉलीथिन के इस्तेममाल पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। कुछ मुख्य उपायों के बारे में नीचे लिखा गया है –

  • ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाएं
  • वाहनों का इस्तेमाल कम करें
  • सही तरीके से कचरे का निस्तारण
  • कीटनाशकों को इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें
  • पर्यावरण को स्वच्छ और साफ-सुथरा
  • उद्योगों के लिए कठोर नियम -कनून बनाकर

प्रदूषण आज के युग की एक बड़ी समस्या बन गया है, जिसका बुरा असर मनुष्य के स्वास्थ्य पर और जलवायु पर पड़ रहा है। अगर प्रदूषण की समस्या पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो आने वाले दिनों में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

इसलिए प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमें जागरूकता फैलाने की जरूरत है, इसके लिए जगह-जगह पर शिविर लगाए जाने चाहिए और एकजुट होकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और वाहनों का जितना हो सके कम इस्तेमाल करना चाहिए । बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए, तभी हम प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पा सकेंगे।

जरुर पढ़े: Slogans on pollution – प्रदूषण को रोको

पर्यावरण पर नारे: Slogan on environment in  H indi

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Note:-  आपके पास Paryavaran Pradushan या Pollution Essay In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद…. नोट : अगर आपको Essay On Pollution In Hindi Language अच्छा लगे तो जरुर हमें facebook पर share कीजिये.

68 thoughts on “पर्यावरण प्रदुषण विषय पर निबंध | Essay On Pollution In Hindi”

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Sir isame kam h thoda jyada hona tha bese to thik h

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good line of thinking some another

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Wow amazing essay

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पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण पर निबंध – पर्यावरण मानव जीवन के लिए बहुत महत्त्व रखता है। पर्यावरण पर सिर्फ मनुष्य ही आश्रित नहीं है, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि सभी निर्भर हैं। जो हमारे चारों ओर विद्धमान है वही पर्यावरण है। पर्यावरण के बिना जीवन यापन कारण असंभव है।

पर्यावरण में वो सभी प्राकृतिक संसाधन सम्ल्लित होते हैं जीवों के लिए बहुत जरुरी होता है। पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग आदि सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं। पृथ्वी ही एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन यापन करना संभव है और जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पर्यावरण बहुत आवश्यक है।

हम सभी लोगों ने पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया है। आज हमने जो भी तरक्की की है उसके पीछे पर्यावरण का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पर्यावरण हमें सब कुछ प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए जरुरी है।

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पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण। यहाँ पर परि का अर्थ होता है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जो हमें चरों ओर से घेरे हुए है पर्यावरण कहलाता है।

मिट्टी, पानी, हवा, आग और प्रकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें पंचतत्व भी कहा जाता है। पर्यावरण हम सभी के जीवन को नियंत्रित करता है और सभी जीव पर्यावरण में रह कर ही अपना जीवन यापन करते हैं।

पर्यावरण के प्रकार

पर्यावरण के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं –

1. प्राकृतिक पर्यावरण

ऐसे संसाधन जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है जिनमे मानव जीवन का कोई हाथ नहीं होता है प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आने वाले संसाधन जैसे जल, हवा, रेगिस्तान, पर्वत, जंगल, गुफा, मरुस्थल, समुद्र आदि चीजें शामिल हैं।

प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी के सभी जीव गतिविधि को प्रभावित करता हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के द्वारा पृथ्वी पर अनेक प्रकार की गतिवितियाँ होती हैं। ये सभी हमारे जीवन के क्रियाकलापों और विकास के स्वरूप पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं।

2. मानव निर्मित पर्यावरण

प्राकृतिक पर्यावरण के विपरीत मानव द्वारा निर्मित मानव निर्मित पर्यावरण होता है। यातायात के साधन, अन्तरिक्ष स्टेशन, खेत ,‌ कृत्रिम झील, बांध, इमारतें, सड़क, पुल, पार्क, बगीचे, उद्योग, कल-कारखाने आदि सभी मानव निर्मित पर्यावरण है।

मनुष्य ने अपना जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए नए-नए आविष्कार कर रहा है। यातायात के साधन होने से पूरी दुनिया के लोगों का आपसी संपर्क बढ़ गया। अब हम लोगो ने दूसरे ग्रहों पर भी जीवनयापन की खोज शुरू कर दी है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण सभी जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। पर्यावरण सभी जीवो के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं और सुरक्षा प्रदान करता है। पर्यावरण हमें हवा, पानी, प्रकाश आदि चीजें प्रदान करता है जिसका उपभोग धरती के सभी जीव-जंतु कर रहा है।

आज मनुष्य ने दुनिया में खूब विकास कर लिया है तो दूसरी तरफ पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है। मनुष्य अपने फायदे के लिए पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों को लगातार नष्ट कर रहा है जिसके परिणाम स्वरुप आज कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है जैसे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण जैसी कई समस्याएं शामिल है।

आज विज्ञान ने भले ही बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो संसाधन हमे उपलब्ध किया है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। इसलिए मनुष्य को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए और पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण

आज के आधुनिक युग के में मानव जितनी तरक्की कर रहा है उतना ही पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फ़ैल रहा है। लगातार पेड़ो की कटाई होने से जंगल समाप्त होते जा रहे हैं। इसका सीधा असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। जंगली जीव धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। जंगलो की कटाई होने से कई प्राणियों बेघर हो रहे है और यहाँ वहाँ भाग रहे हैं।

शेर, चीता, हाथी जैसे घातक जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्रों में घुस रहे हैं और वहां रहने वाले लोगो को हानि पंहुचा रहे हैं। आजकल नदी और समुद्र तटों की सफाई न हो होने से जल प्रदूषण हो रहा है। जल प्रदूषित होने के कारण कई बीमारियां फैलती हैं जैसे हैजा, पेचिस, अतिसार, पीलिया, क्षय रोग आदि।

वाहनों और कारखानो से निकलने वाला धुँआ वायु को प्रदूषित कर रहा है जिसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ होती हैं जैसे खांसी ,दमा ,जुकाम ,निमोनिया, फेफड़े का संक्रमण, रक्त क्षीणता, उच्च रक्तचाप ,ह्रदय रोग आदि। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। मनुष्य बिना सोचे समझे लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें। रासायनिक खादों , कीटनाशक पर नियंत्रण करके कर मृदा प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए है।

वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएं की जांच होनी चाहिए। इसलिए लिए सरकार को उचित व्यवस्था करनी चाहिए और समय-समय पर चेकिंग होना चाहिए। मनुष्य की इच्छाएं असीमित है लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित है इसलिए इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में करना चाहिए।

बढती हुई जनसँख्या हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का भी एक मुख्य कारण है। मनुष्य जिस गति से प्राकृतिक संसाधनो का उपभोग कर रहा है ऐसा लग रहा है कि आने वाले विगत वर्षो में इन संसाधनो की कमी हो सकती है।

पर्यावरण पर 10 लाइन

  • हमारे चारों ओर फैले हुआ वातावरण पर्यावरण कहलाता हैं।
  • पर्यावरण के मुख्य रूप से पाँच घटक होते हैं मृदा, पानी, हवा, आग और प्रकाश।
  • पर्यावरण हमें जीवनयापन करने के लिए संसाधन और सुरक्षा उपलब्ध करता है।
  • पर्यावरण से हमें भोजन, ऑक्सीजन और पीने के लिए पानी मिलता है।
  • पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
  • पर्यावरण के दूषित होने से मनुष्य और अन्य जीवो को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए।
  • धुंआ, कचरा और हानिकारक रसायनिक पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करते है।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए हमे वृक्षरोपण करना चाहिए।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए नदी, समुद्र तटों और अपने आसपास सफाई करनी चाहिए।

इन्हें भी पढ़े –

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
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वन और पर्यावरण पर निबंध – Essay on forest and environment in hindi.

इस लेख में (वन और पर्यावरण पर निबंध) कैसे लिखते है सीखेंगे यदि आप वन और पर्यावरण पर निबंध या इस विषय पर कुछ लाइन लिखना चाहते है तो यह लेख आपको काफी हेल्प कर सकता है इस आर्टिकल के अंदर वन का क्या महत्वा है पर्यावरण का क्या महत्वा है इस विषय की विशेष जानकारी जानेगे।

वन क्या है कई लोगो को पता नहीं होगा तो मैं आपको बता दू वन को अंग्रेजी में (Forest) कहते है वन को जंगल और सहरा के नाम से भी जानते है जहा पर अधिक पेड़ पौधे घास और पुष हो उसे हम वन कहते है इस तरह से भी समझ सकते है किसी एक जगह पर काफी सारे पेड़ पौधे लगे हो उसे वन या जंगल कहते है।

पर्यावरण क्या है हमारे चारो तरफ जो दिखता है हमारे चारो तरफ से हमे घेरे हुए है या हमारे आस पास में दिखने वाली वस्तुओ को पर्यावरण कह सकते है इसमें जैविक अजैविक मानव निर्मित वस्तु प्रकिर्तिक वस्तुए हो सकती है इसके अतिरिक्त प्रकिर्तिक पर्यावरण में पेड़ पौधे झाड़िया नदी तालाब झरने झील हवा इत्यादि हो सकते है इसी को पर्यावरण कहते है।

वन और पर्यावरण पर निबंध – van aur paryavaran ka sambandh.

वन और पर्यावरण पर निबंध, wan-aur-paryawarn-par-nibandh

वन और पर्यावरण में काफी गहरा सम्बन्ध है वन और पर्यावरण से वह प्रकिर्तिक संसाधन जुड़े है जो हमे चारो ओर से घेरे हुए है जो मनुष्य को सुरक्षित और स्वस्थ बनाये रखने में काफी मदद करते है हमें विकसित तथा बढ़ने में मदद देते है वन और पर्यावरण हमें सब कुछ प्रदान करते है इस धरती पर जिन चीजों की आवश्यकता है जीवन जीने के लिए वह मिलती है।

यह जीवित प्राणी के लिए जीवनदायक है इस धरती पर जितने भी जीवित प्राणी है उन्हें वन और पर्यावरण की शख्त ज़रुरत है ये धरती के उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते है वनो के कारण ही भूमि कटान नियंत्रित होता है जल का एक स्तर बनाये रखने में पेड़ पौधे काफी मदद करते है सूखा पड़ने से रोकता है सूखा पड़ने पर सारे जीवित प्राणी का नाश हो सकता है।

वन और पर्यावरण वर्षा लाने में सहायक होते है वन ही अधिक जल को अपने भीतर सोखकर बाढ़ को रोकती है और वही जल धीरे धीरे पर्यावरण खींच लेता है वर्षा होने पर ही धरती जल का स्तर बनाकर रखती है जिसमे वन का बड़ा योगदान है वनो के कमी होने पर जल का ठहराव कम होगा पिने के लिए जल नहीं मिलेंगा जिससे जीवित प्राणी को नुकशान हो सकता है।

  • पुलिस पर निबंध।
  • बेरोजगारी पर निबंध।
  • रोजगार पर निबंध।
  • मेरे देश भारत पर निबंध हिंदी में।

पर्यावरण प्रदुषण की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है जिसका बड़ा कारण वृक्षों की कमी है और तमाम तरीको की गैस धुआँ दूषित हवा बढ़ती है वृक्षों की कमी के कारण से पर्यावरण मेन्टेन नहीं हो पा रहा है और मनुष्य के द्वारा छोड़ी जाने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस जो पेड़ पौधे अपने भोजन के लिए इस गैस को लेते है और हमें ऑक्सीजन मुहैया कराते है ताकि मनुष्य जीवित रहे।

वन और पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द

वर्तमान में ध्वन प्रदुषण बढ़ रहा है इससे काफी लोगो को गहरा नुकशान भी होता है जो पेड़ पौधो की कमी से हो रहा है ध्वन प्रदुषण को वन काफी मात्रा में रोकती है यही कारण है जो शहरो में इन सभी कारण के वजह से कई परेशानी होती है ध्वन प्रदुषण रोकने के लिए अधिक पेड़ पौधे लगाने की आवश्यकता है।

वन पेड़ पौधे धरती को सुरक्षित रखते है मनुष्य को सुरक्षा मुहैया करवाते है जीव जंतु को सुरक्षित रखते है नदियों को सुरक्षित रखते है और पिए जल को सुरक्षित रखते है आज सभी को चिंतित होने की आवश्यकता और इस इस विषय पर विचार करना चाहिए की बड़ी मात्रा में पेड़ पौधो को काटा जा रहा है वर्तमान समय में 23% ही भारत में वन बचा हुआ है।

वन से हमें जड़ी बुटिया प्राप्त होती है जिनसे दवाये बनती है दवा में इस्तेमाल किया जाता है और उन जड़ी बूटियों को सेवन करते है मनुष्य स्वस्थ होता है जिव जंतु वृक्षों से अपना भोजन प्राप्त करते है और जीवन यापन करते है।

वन और पर्यावरण का हमारे जीवन में काफी महत्वा है बिना वन या पर्यावरण के किसी भी जीवित प्राणी के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो सकता है इस लिए अपने जीवन में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए और उन्हें पानी दे ताकि पौधो की ग्रोथ हो और पर्यावरण मेन्टेन रहे।

मुझे आशा है आपको इस विषय यानि वन और पर्यावरण के संबंध पर निबंध कैसे लिखते है विस्तृत जानकारी प्राप्त हुयी होगी उम्मीद है पसंद आया होगा और आपके द्वारा इस विषय पर आसानी से निबद्ध लिखा जा सकता है अक्सर कॉलेज स्कूल में निबंध लिखने को बोला जाता है अब आप आसानी से इस टॉपिक पर निबंध लिख सकते है।

यदि इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो आप उसे पूछ सकते है इसके लिए आपको निचे कमेंट बॉक्स का विकप्ल मिल जायेगा उसे इस्तेमाल में ले और प्रश्न टाइप करे नाम लिखे और सेंड कर दे उसका जवाब आपको अवश्य दिया जायेगा लेख पसंद आया हो लाभकारी लगा हो तो इसे सोशल मीडिया प्लाटफॉर्म पर शेयर करे।

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2 thoughts on “वन और पर्यावरण पर निबंध – Essay on forest and environment in hindi.”

Me van sanrakshan or Vanya jiv sanrakshan or samvardhan par samuh ke madhyam se kaise kar sakte hai ?

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दा इंडियन वायर

प्रदूषण पर अनुच्छेद, लेख

environment ke upar essay

By विकास सिंह

pollution paragraph in hindi

प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक या विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति या परिचय को संदर्भित करता है। इस मामले में पर्यावरण सभी प्राकृतिक जीवित और गैर-जीवित चीजों को संदर्भित करता है जो हमें घेरते हैं। वन, जल निकाय, वायु, महासागर सभी हमारे प्राकृतिक वातावरण का निर्माण करते हैं और, उनकी शुद्धता और दीर्घायु से समझौता करने वाले किसी भी दूषित पदार्थ को “प्रदूषण” कहा जाता है।

हाल के 2018 ईपीआई (पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक) के आंकड़ों के अनुसार, भारत वायु गुणवत्ता और समग्र पर्यावरणीय स्वास्थ्य के मामले में 180 देशों में से 177 रैंक पर है; 2016 में यह 141 वीं रैंक से अब इस ओहदे पर आ गया है।

विषय-सूचि

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (100 शब्द)

पर्यावरण प्रदूषण हमारे पर्यावरण में हानिकारक और जहरीले पदार्थों की उपस्थिति को संदर्भित करता है। यह न केवल वायु प्रदूषण तक सीमित है, बल्कि जल निकायों, मिट्टी, जंगलों, जलीय जीवन और सभी भूमि जीवित प्रजातियों को भी प्रभावित कर सकता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए मुख्य कारक मानव उत्पन्न हैं।

बहत समय से हम अपने निवास स्थान का विस्तार करने और जीवन को आसान बनाने के लिए पर्यावरण के साथ हस्तक्षेप कर रहे हैं। मनुष्यों ने ऑटोमोबाइल का आविष्कार किया है, कारखानों की स्थापना की है, सड़कों और शहरों के लिए रास्ता बनाने के लिए जंगलों को काट दिया है – सभी पर्यावरणीय स्वास्थ्य से समझौता करते हैं। अपर्याप्त अपशिष्ट निपटान और इसके कूड़ेदान के परिणामस्वरूप हमारे महासागरों और जल निकायों को प्रदूषित किया गया है, जिससे वे बेकार हो गए हैं और उन प्रजातियों के जीवन को खतरा है जो उन पर निर्भर हैं।

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (150 शब्द)

प्रदूषण का पर्यावरण पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी गिरावट और जीवित प्रजातियों की कमी भी होती है। इसमें एसिड रेनफ़ॉर्म, ग्लोबल वार्मिंग , अकाल, ड्राफ्ट और चरम जलवायु परिस्थितियों जैसे अन्य परिणामों के साथ गंभीर परिणाम हैं। प्रदूषण का सबसे आम प्रकार वायु प्रदूषण है।

महानगर या शहरों में आज हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह जहरीले CO (कार्बन मोनोऑक्साइड, CO2 (कार्बन डाय- ऑक्साइड), N2O (नाइट्रस ऑक्साइड) और CH4 (मीथेन) से भरी होती है। इन गैसों के साँस लेने से केवल मनुष्यों में श्वसन संबंधी बीमारियाँ होती हैं। Co2 भी एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है जो बढ़ते ग्रीन हाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग के लिए एक कारक है।

परिवहन उद्योग 25% वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का कारण बनता है; बाद में, ग्रीन हाउस प्रभाव और पृथ्वी की औसत सतह का तापमान बढ़ जाता है। पृथ्वी की औसत सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान शताब्दी के अंत तक यह लगभग 1.8 डिग्री से बढ़ जाएगा। यहां तक ​​कि महासागरों का तापमान भी बढ़ रहा है, हालांकि समुद्र की बड़ी ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता के कारण धीमी दर पर यह बढ़ रहा है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (200 शब्द)

हालाँकि आज वायु प्रदूषण सबसे आम प्रकार का प्रदूषण है, लेकिन यह एकमात्र प्रदुषण नहीं है। वायु प्रदूषण के अलावा, कई मानव प्रेरित गतिविधियाँ हैं जो जल निकायों और मिट्टी जैसे प्रदूषण या प्राकृतिक संसाधन को खराब करती हैं। अनजाने औद्योगीकरण ने वायु और जल प्रदूषण को बढ़ावा दिया है, जिससे पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उद्योगों को संचालित करने के लिए अच्छी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है और इसलिए मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली धारा, नदी या जल निकाय के निकटता में स्थापित होते हैं।

इसके अलावा, औद्योगिक अपशिष्ट जिसमें एस्बेस्टस आदि जैसे जहरीले रसायन शामिल हैं, ताजे पानी का उपयोग करके हमारे जल निकायों में ले जाते है। यह न केवल हमारे प्राकृतिक जल संसाधनों को प्रदूषित करता है बल्कि प्रजातियों, पौधों और शैवाल की गिरावट में भी जिम्मेदार है।

जल संसाधनों और मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य के लिए एक और सबसे आम कारक है – कूड़ा। विभिन्न स्थानों पर कूड़े के निस्तारण और अज्ञानता के अपर्याप्त तंत्र के परिणामस्वरूप ऐसा होता है। कूड़े के माध्यम से प्रदूषक का सबसे आम प्रकार प्लास्टिक है। विभिन्न आयामों के पतले प्लास्टिक बैग, जब ठीक से निपटाए नहीं जाते यह या तो जल निकायों में जाते हैं या मिटटी में समाहित हो जाते हैं।

गैर-जैव होने के नाते वे सदियों तक वहां रहते हैं, उन्हें प्रदूषित करते हैं और जीवन को खतरे में डालते हैं। कछुओं और मछलियों की कई प्रजातियाँ अक्सर इस प्लास्टिक को खाना समझकरखा जाती है और यह उनकी बढती मौत का कारण बन रहा है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (250 शब्द)

प्रदूषण हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है और वैश्विक चिंता का विषय है। यह हवा, जल निकायों, जंगलों, वनस्पतियों, मिट्टी, महासागरों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावित करता है, जिनके लंबे समय तक चलने और घातक परिणाम होते हैं। हर प्रमुख प्रदूषक जो पर्यावरण को खतरे में डालता है, मानवीय गतिविधियों द्वारा निर्मित होता है। अपनी सीमाओं की प्रगति और विस्तार की इच्छा में, मनुष्यों ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है।

प्राकृतिक संसाधनों का न केवल निरंतर उपयोग किया गया है, बल्कि प्रदूषित भी किया गया है। हम इस तथ्य को महसूस नहीं करते हैं कि आज हम जिन प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित करते हैं, उनके उत्पादन में लाखों वर्ष लगे हैं।

आज मानव प्रेरित प्रदूषण इतना विशाल हो गया है कि दुनिया का कोई भी कोना इसके प्रभावों से अलग नहीं है। फैक्ट्रियों और ऑटोमोबाइल से निकलने वाले जहरीले धुएं को लोग सांस की बीमारियों से पीड़ित बता रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप दुनिया भर के स्थानों में अत्यधिक गर्म और ठंडी जलवायु की स्थिति देखी जा रही है। प्राकृतिक जल संसाधनों की कमी के साथ अकाल और सूखा आम हो गया है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप गैलेक्टिक और ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ गया है और बाढ़ आ गई है। साथ ही, समुद्री तापमान और प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने से समुद्री प्रजातियों का क्षय होता है जैसे – प्लैंकटन, कोरल फिश, सील, ग्रेट बैरियर रीफ आदि।

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण स्तर में भी वृद्धि होती है क्योंकि वन प्राकृतिक फिल्टर के रूप में काम करते हैं – हानिकारक गैसों को अवशोषित करके और ऑक्सीजन उत्सर्जित करके हवा को साफ करते हैं। वे प्राकृतिक वायु फिल्टर के रूप में कार्य करते हैं, उनके बिना पृथ्वी धुएं की एक बड़ी गेंद के अलावा और कुछ नहीं होगी। जब तक हम नुकसान की गंभीरता का एहसास नहीं करते हैं जो हमने किया है और युद्धस्तर पर उपायों को रोकते हैं; हमारी आने वाली पीढ़ियां खराब स्वास्थ्य और निराशा में रहेंगी।

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (300 शब्द)

प्रदूषण शब्द का तात्पर्य पर्यावरण में हानिकारक पदार्थ के प्रवेश से है और हानिकारक पदार्थ को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं और उनमें से लगभग सभी मानव प्रेरित हैं।

प्रदूषण के कारण और प्रभाव:

ऐसी कई मानवीय गतिविधियाँ हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनने वाली अधिकांश गतिविधियाँ जीवाश्म ईंधन की खपत, औद्योगिकीकरण और कूड़े-करकट हैं। वैश्विक अनुमानों के अनुसार, जीवाश्म ईंधन की दुनिया की 80% वार्षिक ऊर्जा है। इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन के जलने से हर साल CO2 का 21.3 बिलियन टन उत्पादन होता है, जो एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है। पर्यावरण में CO2 की बड़ी मात्रा की उपस्थिति से ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है और इसलिए ग्लोबल वार्मिंग होती है।

उद्योग आमतौर पर एक जल निकाय की निकटता में स्थापित होते हैं और ताजे पानी का उपयोग औद्योगिक अपशिष्टों को जल निकायों में धोने के लिए करते हैं। औद्योगिक कचरे में कई हानिकारक पदार्थ जैसे बजरी, रेत, जहरीले रसायन और धातु आदि शामिल हो सकते हैं; जो उन्हें प्रदूषित करने वाले जल निकायों में धोया जाता है। अक्सर शहरों के सीवेज को नदियों और नालों में बहा दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उनका प्रदूषण बढ़ जाता है और समुद्री जीवन समाप्त हो जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन की एक बड़ी मात्रा के लिए लिटरिंग भी जिम्मेदार है। अपर्याप्त अपशिष्ट संग्रह और निपटान से शहरों और उसके आसपास प्लास्टिक और जहरीले कचरे के बड़े ढेर हो गए हैं। यह नॉन बायो डिग्रेडेबल कचरा हमारे जल निकायों में जाता है, जिससे उनमे प्रदूषण होता है और समुद्री जीवन को खतरा होता है।

समाधान के तरीके:

सख्त पर्यावरण नीतियां और बड़ी जन-जागरूकता आगे पर्यावरणीय क्षति को रोकने की कुंजी है। उद्योगों को अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए बाध्य करना अनिवार्य है। इसके अलावा, किसी भी उल्लंघन को कड़ाई से जुर्माना लगाने और बंद करने से निपटा जाना चाहिए। हानिकारक अपशिष्ट को हमारे जल निकायों और मिट्टी तक पहुंचने से रोकने के लिए कुशल अपशिष्ट संग्रह और निपटान तंत्र की भी आवश्यकता होती है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद, paragraph on pollution in hindi (350 शब्द)

आज प्रदूषण एक वैश्विक खतरा बन गया है और पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए खतरा है।

प्रदूषण और कारणों के प्रकार:

नीचे हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषण और इसके कारणों से गुजरेंगे। प्रदूषण को मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

वायु प्रदुषण

वायु प्रदूषण पर्यावरण में मौजूद हानिकारक और जहरीली गैसों की उपस्थिति को संदर्भित करता है। कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जहरीली गैसों से निकलने वाले जीवाश्म ईंधन की खपत वायु प्रदूषण में योगदान करने वाला प्रमुख कारक है।

ध्वनि प्रदूषण

शोर प्रदूषण जिसे ध्वनि प्रदूषण भी कहा जाता है, पर्यावरण में अवांछित ध्वनि की उपस्थिति को संदर्भित करता है जो मनुष्यों और जानवरों की गतिविधियों पर हानिकारक प्रभाव डालता है। ध्वनि प्रदूषण के कुछ प्रमुख योगदान परिवहन वाहन, निर्माण कार्य, लाउड म्यूजिक आदि हैं।

मिट्टी प्रदूषण

मृदा प्रदूषण मानव निर्मित रसायनों और प्रदूषकों को मिट्टी में मिलाने, इसे विषाक्त बनाने और उपज को कम करने के कारण होता है। मृदा प्रदूषण के मुख्य कारणों में कृषि उद्योग द्वारा कीटनाशकों का उपयोग, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान, कूड़े और अनुचित अपशिष्ट निपटान शामिल हैं।

प्रकाश प्रदूषण

प्रकाश प्रदूषण को फोटो प्रदूषण भी कहा जाता है और यह रात में पर्यावरण में मानव निर्मित प्रकाश की उपस्थिति को संदर्भित करता है। प्रकाश प्रदूषण का मुख्य कारण अत्यधिक और गैर जरूरी प्रकाश व्यवस्था है। प्रकाश प्रदूषण पर्यावरण को बाधित करता है और इसकी सुंदरता को कम करता है। कुछ पक्षी प्रजातियों को अत्यधिक प्रकाश व्यवस्था से भ्रमित होने के लिए जाना जाता है।

ऊष्मीय प्रदूषण

थर्मल प्रदूषण परिवेश पानी के तापमान में अचानक परिवर्तन को संदर्भित करता है। थर्मल प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है बिजली संयंत्रों और उद्योगों द्वारा शीतलक के रूप में पानी का उपयोग। शीतलक के रूप में उपयोग किया जाने वाला पानी गर्म हो जाता है और जब इसे प्राकृतिक वातावरण में लौटाया जाता है, तो इसका परिणाम अचानक तापमान में परिवर्तन, ऑक्सीजन सामग्री में कमी और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।

जल प्रदूषण

जल प्रदूषण का तात्पर्य मानव गतिविधियों द्वारा जल निकायों के दूषित होने से है। जल प्रदूषण का प्रमुख कारण औद्योगिक अपशिष्ट निपटान, सीवेज निपटान और कूड़े से हैं। हानिकारक और जहरीले रसायनों वाले औद्योगिक कचरे को जल निकायों में डाला जाता है, जिससे उनका प्रदूषण होता है। इसके अलावा, जल निकायों में और उसके आसपास कूड़े डालने से उनका प्रदूषण होता है और पानी उपयोग के लिए खतरनाक हो जाता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण

रेडियोधर्मी प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति से है। ऐसे रेडियोधर्मी पदार्थ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव डालते हैं। रेडियोधर्मी प्रदूषण की ओर ले जाने वाले कारक अक्षम परमाणु अपशिष्ट हैंडलिंग, परमाणु विस्फोट और परमाणु दुर्घटनाएं हैं।

प्रदूषण पर लेख, article on pollution in hindi (400 शब्द)

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में विषाक्त पदार्थों के प्रवेश से है। अधिकांश प्रदूषक मानव गतिविधियों द्वारा निर्मित होते हैं; हालांकि, पर्यावरणीय प्रदूषण के लिए कुछ प्राकृतिक कारण भी जिम्मेदार हैं।

प्रदूषण के प्राकृतिक कारण:

प्राकृतिक वायु और जल प्रदूषण प्राकृतिक घटनाओं के कारण होता है, या तो अस्थायी या निरंतर होता है। मानव द्वारा उत्पन्न कारणों की तुलना में प्राकृतिक कारणों से लाया गया प्रदूषण नगण्य है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक कारण ज्वालामुखी विस्फोट और कोहरे हैं। कुछ अलग-थलग क्षेत्रों में कुछ जहरीली गैसों का रिसाव हो सकता है जैसे रेडॉन या CO2 आदि वायु प्रदूषण के कारण होते हैं।

प्राकृतिक जल प्रदूषण मुख्य रूप से सतह के खिसकने के कारण होता है, जिसमें अघुलनशील और अशुद्ध पदार्थ होते हैं और निकटता में मिट्टी से प्राकृतिक रूप से विषाक्त पदार्थ होते हैं।

मानव जीवों पर प्रदूषण के प्रभाव:

प्रदूषण न केवल मनुष्यों, बल्कि पौधों, पक्षियों, जानवरों और समुद्री प्रजातियों के स्वास्थ्य से संबंधित एक गंभीर खतरा है। अध्ययन से पता चलता है कि प्रदूषण व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा को काफी कम कर देता है। अकेले भारत में, अनुमानित 7 लाख लोग हर साल विभिन्न प्रदूषण जनित बीमारियों के कारण मर जाते हैं।

अगर प्रदूषण अनियंत्रित हो जाए तो क्या होगा:

यदि आज की तरह ही प्रदूषण जारी रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब आकाश ऑक्सीजन की कमी के कारण धुँधला हो जाएगा और साँस लेना मुश्किल हो जाएगा। लगातार जल प्रदूषण से जल की कमी, अकाल, सूखा और पारिस्थितिक असंतुलन पैदा होगा।

प्रदूषण को नियंत्रित करने के सर्वोत्तम तरीके:

प्रदूषण को नियंत्रित करने के कुछ सर्वोत्तम तरीके हैं – पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्प, कुशल अपशिष्ट संग्रह और निपटान, प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग न करना, नियंत्रित मानव आबादी, वन रोपण और उद्योगों की स्थापना को नियंत्रित करने वाली वैश्विक नीति और उनके कार्बन फुट प्रिंट को विनियमित करना। इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण है – प्रदूषण के मुद्दे पर आम जनता की जागरूकता को बढ़ाना।

लोगों को इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि, प्रदूषण और ग्रह और उसके पूरे जीवित प्रजातियों के जीवन को बचाने के लिए एक समाधान खोजना, अंततः मनुष्य ही कर सकता है। साथ ही, इस पर एक साथ काम नहीं करना एक गलती होगी। एक स्थान पर प्रदूषण से कुछ दूर के स्थान पर जीवन को खतरा होता है; इसलिए, विश्व स्तर पर प्रदूषण को एक साथ मिलकर निपटाया जाना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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आपने पॉलुशन बहुत ही अच्छा आर्टिकल लिखा है। ऐसे ही और भी आर्टिकल कृपया करके हिंदी में लिख़ते रहिये सर। मैंने आपकी वेबसाइट को बुकमार्क कर लिया है। उम्मीद करता हूँ आप आगे भी ऐसे ही अच्छे और प्रेरणादायक पोस्ट डालते रहेंगे।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

  • Paragraph Writing
  • Paragraph On Environment

Paragraph on Environment - Check Samples for Various Word Limits

The environment is our surroundings and nature, where all living and non-living organisms live together. All organisms share a bond and are interdependent to maintain a balance in the ecosystem. You can check the samples provided in the article for an idea of how to write a paragraph on the environment.

Table of Contents

Paragraph on environment in 100 words, paragraph on environment in 150 words, paragraph on environment in 200 words, paragraph on environment in 250 words, frequently asked questions on environment paragraph.

Our environment is nature’s most precious and vital gift, and it needs to be handled with utmost care. It is the natural ecological system where we live, depending on each other for survival. The environment is divided into physical and biological components. The atmosphere, lithosphere and hydrosphere constitute the physical category, and the biological category comprises human beings and other living beings. In simple terms, the environment is defined as the combination and interrelation between all biotic and abiotic components. The ecosystem of our environment needs to be maintained in a proper balance, and if any part of it is disturbed, the whole ecosystem gets affected.

The environment refers to the surroundings in which life exists on earth. Components like animals, humans, sunlight, water, trees, and air make up the environment. They are the earth’s living and non-living components. Living organisms include trees, humans, and animals. Non-living components such as the sun, water and air are essential for man’s life.

Both living and non-living organisms are dependent on each other to maintain a balanced ecosystem. A disturbance in any of the categories will create chaos in the entire ecosystem and threaten the environment. Just like the growing human population has become a threat to the environment. Global warming is a major threat to the environment. The atmosphere and hydrosphere, on the other hand, are components of the environment that have an impact on the lives of living things. The atmosphere contains gases like oxygen and nitrogen. Every living being is developed according to the characteristics of these components. Aquatic species, for example, are designed to breathe underwater. Aerial animals are designed to live in the air. So even the tiniest change in nature’s subtle balance makes it difficult for living organisms to survive in the environment it is designed to live in.

The environment is the natural world around an organism that allows it to survive. The French word ‘environ,’ which means ‘to surround,’ is derived from the English word ‘environment.’ It is made up of living creatures like plants, animals, and human beings. The non-living elements of the environment are air, water, and land. Nature has designed its functioning in such a way that everything is interdependent. Human beings are the most powerful of all the creatures that rely on and make use of the earth’s natural resources. Air is required for the survival of not just humans but also plants and animals. Without air, there will be no life on Earth. Human beings alone are responsible for the degradation of the environment. The atmosphere, hydrosphere, lithosphere, and biosphere are the different layers that make up the environment. Several gases, like oxygen and nitrogen, that are required for life are found in the atmosphere. The hydrosphere is made up of different water bodies like rivers, oceans, seas, etc. The lithosphere is the earth’s outermost layer, which is made up of rock and soil. The biosphere is home to all living beings. The environment is influenced by a variety of elements, some of which are natural and others man-made.

We live in a God-gifted world, but humans are the reason behind the deterioration of the environment. Everything that surrounds us constitutes the environment. The earth is made up of various environments in which all living and non-living things coexist. Nature’s biological, physical and natural forces interact to generate conditions that allow creatures to survive. The environment is a term used to describe such circumstances. A derivative of the word environment is the French word ‘environ,’ which means ‘to surround.’ The environment is made up of all biotic (living) and abiotic (non-living) things. Plants, animals, human beings, and insects are examples of biotic components. They are classified as biological environmental components. Every living thing has a predetermined life cycle. The human being, for example, is the most powerful living entity on the planet. To meet his needs, he requires plants and animals. Without these components, the life of human beings will be disordered. The atmosphere, lithosphere, hydrosphere, and biosphere are all examples of abiotic/physical components. The atmosphere is a gaseous layer containing nitrogen, oxygen, and other gases. The hydrosphere is made up of all the water bodies, such as rivers and oceans. The lithosphere is the earth’s solid outer shell. It is composed of the crust, covering the earth’s mantle, rocks, and soil. The biosphere, where life exists, is the most essential layer. There are ecosystems in the water, on land, and in the air.

All of these species’ lives are predicated on their ongoing interaction with one another. Their functioning is organised by nature, and once spent, it might be eliminated. The destruction of the environment has now become a big issue that humans must address.

How do I write a paragraph on the environment?

Can i write about pollution in the paragraph on the environment, how do we define the environment.

The environment is the natural surroundings around an organism that allows it to survive. It is composed of both biotic and abiotic elements that surround us.

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

प्रदूषण

वह अवांछित तत्व जो किसी निकाय के संतुलन के प्रतिकूल हो और उसकी खराब दसा के लिए जिम्मेदार हो प्रदूषक तत्व कहलाते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियां प्रदूषण कहलाती है। दूसरे शब्दों में “ हमारे द्वारा उत्पन्न वे अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहे हैं, प्रदूषक तत्व तथा उनके वातावरण में मिलने से उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकट की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। ”

प्रदूषण पर 10 वाक्य || प्रदूषण मानवता को कैसे प्रभावित करता है पर निबंध || शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essays on Pollution in Hindi, Pradushan par Nibandh Hindi mein)

प्रदूषण से संबंधित समस्त जानकारियां आपको इस निबंध के माध्यम से मिल जाएगी। तो आईए इस निबंध को पढ़कर पर्यावरण प्रदूषण के बारे में खुद को अवगत कराएं।

प्रदूषण पर निबंध 1 (300 शब्द) – प्रदूषण क्या है

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of Pollution )

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मनुष्यों के लिए छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

प्रदूषण पर निबंध 2 (400 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार

हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।

पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है।

प्रदूषण के प्रकार ( Pradushan ke Prakar )

वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –

  • जल प्रदूषण ( Water Pollution )

घरों से निकलने वाला दूषित पानी बहकर नदियों में जाता है। कल-कारखानों के कूड़े-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ भी नदियों में ही छोड़ा जाता है। कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण से डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, हैजा आदि खतरनाक बीमारियाँ होती है।

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)

कारखानों की चिमनी और सड़को पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएँ में कार्बन मोनो ऑक्साइड, ग्रीन हाउस गैसें जैसै कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं। ये सभी गैसें वायुमंडल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इससे हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा आदि रोग वायु प्रदूषण का ही कारण हैं।

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

मनुष्य के सुनने की क्षमता की भी एक सीमा होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।

  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी  आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।

इन्हे भी पढ़ें: वाहन प्रदूषण पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध || वायु प्रदूषण पर निबंध || मृदा प्रदूषण पर निबंध || जल प्रदूषण पर निबंध || ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध 3 (500 शब्द) – प्रदूषण के कारण

2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।

पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।

प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Reason for Pollution)

प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  • वनों की कटाई (Deforestation)

बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है।  पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।

  • उद्योग-धंधे (Industries)

भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस (मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगों की जान चली गयी थी और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की भी मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।

वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।

बढ़ता प्रदूषण आज समूल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।

Pollution Essay in Hindi

प्रदूषण पर निबंध 4 (600 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार व रोकथाम

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।

प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution)

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

3. भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

5. प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

7. थर्मल प्रदूषण (Thermal Pollution)

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

8. दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर (Most Polluted City of The World)

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय (Tips for Preventing Pollution)

जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

1. कार पूलिंग

2. पटाखों को ना कहिये

3. रीसायकल/पुनरुयोग

4. अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर

5. कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके

6. पेड़ लगाकर

7. काम्पोस्ट का उपयोग किजिए

8. प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके

9. रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर

10. कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर

11. योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य राजधानी नई दिल्ली है।

उत्तर – भारत में सबसे कम प्रदूषित शहर मिजोरम का लुंगलेई शहर है।

उत्तर – विश्व का सबसे कम प्रदूषित देश डेनमार्क है।

उत्तर –जल प्रदूषण की मात्रा BOD (Biological Oxygen Demand) से मापी जाती है। 

उत्तर –भारत में प्रदूषण नियंत्रण “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” के अंतर्गत आता है।

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Essay on Cleanliness for Students and Children

500+ words essay on cleanliness.

Cleanliness refers to the state of being clean. It is something which must not be forced but encouraged. Cleanliness is a good habit which can enhance the quality of one’s life. Cleanliness of all kinds carries equal weight.

Most importantly, parents and teachers must encourage this habit from early on kids. This will ensure that the awareness of cleanliness. It is not a tough task to complete, rather cleanliness is quite easy. One should never make the mistake of compromising with cleanliness . It is essential for the health and well-being of humans and animals.

Essay on Cleanliness

Importance of Cleanliness

Similar to the basic essentials of life like food, water, shelter, cleanliness also holds great significance in life. It is, in fact, one of the most important things for healthy living. The first and foremost importance of cleanliness is that it means the absence of disease. Cleanliness helps us stay refreshed and hygienic on a personal level.

Further, it lessens the chances of any viruses or bacteria to harm us. When you stay clean and keep the environment clean, you are less likely to fall ill. You can enjoy good health and lead an active lifestyle. It will keep you physically fit and also enhance your lifespan.

Similarly, cleanliness in our surroundings will mean enhanced beauty and healthiness. It will not only beautify the area but also make it more attractive. This can be helpful in attracting more and tourists to enhance the economy of the country. It will also earn a good name for the country in the eyes of foreign tourists.

In short, cleanliness is vital for one’s health and spiritual development. In addition to this, it is also essential for the environmental development of our country.

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Way to maintain Cleanliness

As we all know, it is not tough to maintain cleanliness. It is very important to maintain cleanliness for a healthy life. When we talk about our personal lives, we can maintain cleanliness by bathing regularly. It is very important to wash our hands before eating food. This will ensure no bacteria enter your body and prevent illnesses .

Subsequently, we must always eat healthy food and consume clean water. Avoid eating out often and drinking water from unclean sources. Personal hygiene must be taken care of. Remember to trim your nails timely before they grow long. Long nails are very dirty and that means you will have dirt under your hands at all times. In addition, maintain the habit of brushing and flossing twice a day for oral hygiene.

In terms of surroundings, you must clean your house daily to get rid of dust. Never litter the roads of your city to keep them clean. For instance, when you finish a packet of chips, do not throw it out of the car window. Keep it with you and throw it in the dustbin.

Furthermore, avoid using plastic bags. Encourage recycling and reusing. Try to plant more trees to make the environment healthier and cleaner.

In conclusion, everyone must maintain cleanliness. Whether it is an individual effort or the collective effort of the government. In order to maintain cleanliness, ‘ Swachh Bharat Abhiyan ’ was launched. We can learn from it and be a part of it. If everyone does their bit responsibly, we can make earth cleaner and greener.

FAQ on Cleanliness

Q.1 Why is cleanliness important?

A.1 Cleanliness is important because it keeps away diseases. It furthermore, improves the quality of life.

Q.2 How can one maintain cleanliness?

A.2 Cleanliness can be maintained on both personal levels and in our surroundings. We must bathe, wash hands, brush, and floss regularly. We must also not litter and use plastic to make the environment clean.

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