Question and Answer forum for K12 Students

Role Of Youth In Nation Building Essay In Hindi

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – Role Of Youth In Nation Building Essay In Hindi

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – essay on role of youth in nation building in hindi.

  • युवा–वर्ग और उसकी शक्ति,
  • छात्र–असन्तोष के कारण,
  • (क) अनुसन्धान के क्षेत्र में,
  • (ख) परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग,
  • (ग) स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना,
  • (घ) नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास,
  • (ङ) कर्त्तव्यों का निर्वाह,
  • (च) अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना,
  • (छ) समाज–सेवा,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – Raashtr Nirmaan Mein Yuvaon Ka Yogadaan Nibandh

युवा– वर्ग और उसकी शक्ति–आज का छात्र कल का नागरिक होगा। उसी के सबल कन्धों पर देश के निर्माण और विकास का भार होगा। किसी भी देश के युवक–युवतियाँ उसकी शक्ति का अथाह सागर होते हैं और उनमें उत्साह का अजस्र स्रोत होता है। आवश्यकता इस बात की है कि उनकी शक्ति का उपयोग सृजनात्मक रूप में किया जाए; अन्यथा वह अपनी शक्ति को तोड़–फोड़ और विध्वंसकारी कार्यों में लगा सकते हैं।

प्रतिदिन समाचार–पत्रों में ऐसी घटनाओं के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। आवश्यक और अनावश्यक माँगों को लेकर उनका आक्रोश बढ़ता ही रहता है। यदि छात्रों की इस शक्ति को सृजनात्मक कार्य में लगा दिया जाए तो देश का कायापलट हो सकता है।

छात्र– असन्तोष के कारण छात्रों के इस असन्तोष के क्या कारण हैं? वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग क्यों और किसके लिए कर रहे हैं ये कुछ विचारणीय प्रश्न हैं। इसका प्रथम कारण है–आधुनिक शिक्षा प्रणाली का दोषयुक्त होना। इस शिक्षा–प्रणाली से विद्यार्थी का बौद्धिक विकास नहीं होता तथा यह विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान नहीं कराती; परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जब छात्र को यह पता ही है कि अन्तत: उसे बेरोजगार ही भटकना है तो वह अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही प्रदर्शित करने लगता है।

विद्यार्थियों पर राजनैतिक दलों के प्रभाव के कारण भी छात्र–असन्तोष पनपता है। कुछ स्वार्थी तथा अवसरवादी राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थों के लिए विद्यार्थियों का प्रयोग करते हैं। आज का विद्यार्थी निरुद्यमी तथा आलसी भी हो गया है। वह परिश्रम से कतराता है और येन–केन–प्रकारेण डिग्री प्राप्त करने को उसने अपना लक्ष्य बना लिया है। इसके अतिरिक्त समाज के प्रत्येक वर्ग में फैला हुआ असन्तोष भी विद्यार्थियों के असन्तोष को उभारने का मुख्य कारण है।

राष्ट्र–निर्माण में छात्रों का योगदान आज का विद्यार्थी कल का नागरिक होगा और पूरे देश का भार उसके कन्धों पर ही होगा। इसलिए आज का विद्यार्थी जितना प्रबुद्ध, कुशल, सक्षम और प्रतिभासम्पन्न होगा; देश का भविष्य भी उतना ही उज्ज्वल होगा। इस दृष्टि से विद्यार्थी के कन्धों पर अनेक दायित्व आ जाते हैं, जिनका निर्वाह करते हुए वह राष्ट्र–निर्माण की दिशा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकता है।

राष्ट्र–निर्माण में विद्यार्थियों के योगदान की चर्चा इन मुख्य बिन्दुओं के अन्तर्गत की जा सकती है-

(क) अनुसन्धान के क्षेत्र में–आधुनिक युग विज्ञान का युग है। जिस देश का विकास जितनी शीघ्रता से होगा, वह राष्ट्र उतना ही महान् होगा; अत: विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे नवीनतम अनुसन्धानों के द्वार खोलें। चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी औषध और सर्जरी के क्षेत्र में नवीन अनुसन्धान कर सकते हैं।

वे मानवजीवन को अधिक सुरक्षित और स्वस्थ बनाने का प्रयास कर सकते हैं। इसी प्रकार इंजीनियरिंग में अध्ययनरत विद्यार्थी विविध प्रकार के कल–कारखानों और पुों आदि के विकास की दिशा में भी अपना योगदान दे सकते हैं।

(ख) परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग–जीवन के लिए परिपक्व ज्ञान परम आवश्यक है। अधकचरे ज्ञान से गम्भीरता नहीं आ सकती, उससे भटकाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इसीलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने ज्ञान को परिपक्व बनाएँ तथा अपने परिवार के सदस्यों को ज्ञान–सम्पन्न करने, देश की सांस्कृतिक सम्पदा का विकास करने आदि विभिन्न दृष्टियों से अपने इस परिपक्व ज्ञान का सदुपयोग करें।

(ग) स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना–विद्यार्थी अपने सम–सामयिक परिवेश के प्रति सजग और सचेत रहकर ही राष्ट्र–निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं। विश्व तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। इसलिए अब प्रगति के प्रत्येक क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्धाओं का सामना करना पड़ता है।

इन प्रतिस्पर्धाओं में सम्मिलित होने के लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी सामाजिक गतिविधियों के प्रति सचेत रहें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

(घ) नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास–मनुष्य का विकास स्वस्थ बुद्धि और चिन्तन के द्वारा ही होता है। इन गुणों का विकास उसके नैतिक विकास पर निर्भर है। इसलिए अपने और राष्ट्र–जीवन को समृद्ध बनाने के लिए विद्यार्थियों को अपना नैतिक बल बढ़ाना चाहिए तथा समाज में नैतिक–जीवन के आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए।

(ङ) कर्तव्यों का निर्वाह–आज का विद्यार्थी समाज में रहकर ही अपनी शिक्षा प्राप्त करता है। पहले की तरह वह गुरुकुल में जाकर नहीं रहता। इसलिए उस पर अपने राष्ट्र, परिवार और समाज आदि के अनेक उत्तरदायित्व आ गए हैं। जो विद्यार्थी अपने इन उत्तरदायित्वों अथवा कर्त्तव्यों का निर्वाह करता है, उसे ही हम सच्चा विद्यार्थी कह सकते हैं। इस प्रकार राष्ट्र–निर्माण के लिए विद्यार्थियों में कर्त्तव्य–परायणता की भावना का विकास होना परम आवश्यक है।

(च) अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना–अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सुचारु रूप से सम्पन्न नहीं हो सकता। राष्ट्र–निर्माण का तो मुख्य आधार ही अनुशासन है। इसलिए विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे अनुशासन में रहकर देश के विकास का चिन्तन करें।

जिस प्रकार कमजोर नींववाला मकान अधिक दिनों तक स्थायी नहीं रह सकता, उसी प्रकार अनुशासनहीन राष्ट्र अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता। विद्यार्थियों को अनुशासित सैनिकों के समान अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, तभी वे राष्ट्र–निर्माण में योग दे सकते हैं।

(छ) समाज–सेवा–हमारा पालन–पोषण, विकास, ज्ञानार्जन आदि समाज में रहकर ही सम्भव होता है; अतः हमारे लिए यह भी आवश्यक है कि हम अपने समाज के उत्थान की दिशा में चिन्तन और मनन करें। विद्यार्थी समाज–सेवा द्वारा अपने देश के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, वे शिक्षा का प्रचार कर सकते हैं और अशिक्षितों को शिक्षित बना सकते हैं। इसी प्रकार छुआछूत की कुरीति को समाप्त करके भी विद्यार्थी समाज के उस पिछड़े वर्ग को देश की मुख्यधारा से जोड़कर अपने कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा दे सकते हैं।

उपसंहार– विद्याध्ययन से विद्यार्थियों में चिन्तन और मनन की शक्ति का विकास होना स्वाभाविक है, किन्तु कुछ विपरीत परिस्थितियों के फलस्वरूप अनेक छात्र समाज–विरोधी कार्यों में लग जाते हैं। इससे देश और समाज की हानि होती है। भविष्य में देश का उत्तरदायित्व विद्यार्थियों को ही सँभालना है, इसलिए यह आवश्यक है कि वे राष्ट्रहित के विषय में विचार करें और ऐसे कार्य करें, जिनसे हमारा राष्ट्र प्रगति के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहे।

जब विद्यार्थी समाज– सेवा का लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ेंगे, तभी वे सच्चे राष्ट्र–निर्माता हो सकेंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी शक्ति का सही मूल्यांकन करते हुए उसे सृजनात्मक कार्यों में लगाएँ।

मन के जीते जीत Summary in Hindi

आज की युवा पीढ़ी पर निबंध

युवा पीढ़ी पर निबंध। essay on the younger generation in hindi..

युवा पीढ़ी यानी हमारे देश के नौजवान समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारा आने वाला भविष्य हमारी युवा पीढ़ी की सोच और उनके प्रदर्शन पर निर्भर करती है। युवा वर्ग जिसे अंग्रेजी में youth, young जनरेशन कहा जाता है। युवा पीढ़ी में जोश और उमंग की कोई कमी नहीं होती है। वह हमेशा आसमान को छू लेना चाहते है अर्थात कामयाबी की शिखर तक पहुंचना चाहते है।युवा पीढ़ी में भरपूर जूनून होता है कुछ कर दिखाने का, कुछ बनने का। युवा वर्ग में अनोखी क़ाबलियत होती है कि वह पूरी दुनिया को बदल सके। युवा पीढ़ी पुरे कायनात को बदलने की शक्ति रखते है। युवा पीढ़ी के कन्धों पर कुछ जिम्मेदारियां होती है। युवा वर्ग अपने हौसले और जूनून को सही मार्ग पर ले जाए तो एक सकारत्मक समाज की रचना कर सकते है।

युवा पीढ़ी ने समाज के हर क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान दिया है। विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उन्होंने की खास उपलब्धियां है जो देश को एक नयी उज्जवल भविष्य की ओर ले जा रहा है। वहीँ युवा पीढ़ी के कुछ लोगों ने अपनी स्वंत्रता का गलत फायदा उठाते हुए अपना सर्वनाश कर लिया है। युवा पीढ़ी को अपने जिम्मेदारियों को धैर्य, लगन और पुरे आत्मविश्वास के साथ निभाना चाहिए। हमारे देश के युवा पीढ़ों ने कई कार्य सफलतापूर्वक किये है और देश का नाम रोशन किया है। वह सिपाही बने और देश के लिए अपनों प्राणो की आहुति दे दी। वह इंजीनियर और डॉक्टर भी बने ताकि वह समाज की भली भाँती सेवा कर सकें।

युवा वर्ग के कुछ नौजवान पैसे कमाने के लिए आसान तरीके सोचते है। इसी चक्कर में कभी -कभी अपना रास्ता भटक जाते है और गलत मार्ग की ओर चल पड़ते है जिसके नतीजे भयंकर हो सकते है। आज कल की युवा पीढ़ी हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु बड़ी उत्सुक रहती है। युवा पीढ़ी निडरता और हिम्मत के साथ हर कठिन परिस्थति का सामना करने का दृढ विश्वास रखती है। युवा पीढ़ी में तर्क करने की काबलियत बहुत अधिक होती है। वह अपने नविन विचारों को निडरता के साथ सबके समक्ष रखते है। लेकिन जोश में नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है। क्यूंकि जोश में होश खो देना मूर्खता की निशानी होती है।

आज कल युवा पीढ़ी में सोशल मीडिया की तरफ झुकाव काफी ज़्यादा है। नए -नए फ़ोन्स के प्रति आकर्षण और व्हाट्सप्प और फेसबुक जैसे नेटवर्किंग जगहों पर उनका रुझान ज़्यादा बढ़ गया है। युवा पीढ़ी में नए -नए फैशंस की तरफ भी झुकाव ज़्यादा देखा जा रहा है। कुछ नौजवानो में धैर्य और सहसीलता बिलकुल कम होती है जिसकी वजह से वह ज़िन्दगी में गलत निर्णय ले लेते है। इसके लिए उन्हें आगे पछताना पड़ता है।

सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल नौजवानो के लिए लाभप्रद साबित हो सकते है। जिसका इस्तेमाल वह बखूबी करते है। अपने विचारों का सही रूप से आदान -प्रदान करना यह उनकी पीढ़ी की जिम्मेदारी है। अपने नए सुविचारों का तथाकथित समाज में प्रयोग करके समाज को एक नयी दिशा की ओर ले जा सकते है। युवा वर्ग समाज की नकारात्मक सोच को बदलने की ताकत रखते है बस जज़्बा सही होना चाहिए।

आज की युवा पीढ़ी मोबाइल और कंप्यूटर पर ज़्यादा व्यस्त रहते है जिसकी वजह से वह अपने परिवारों को ज़्यादा वक़्त नहीं देते है। युवा वर्ग को अपने परिवार की उतनी कदर करनी चाहिए जितना वह अपने दोस्तों की करते है। हर क्षेत्र का सही उपयोग सही समय पर करना एक जिम्मेदार नौजवान का कर्त्तव्य है।

कुछ नौजवान अपने  मनोरंजन और ग़मों को भुलाने के लिए नशे के पदार्थों का सहारा लेते है जो की गलत कदम है। अपने परिवार और समाज के प्रति उत्तरदायित्व युवा वर्ग को होना चाहिए। नशे की दुनिया एक नकारात्मक कदम है जिसपर अंकुश लगाना युवा वर्ग का दायित्व है। विश्व में कई जगहों पर हिंसा का कारण युवा वर्ग है। कभी -कभी वह ज़िन्दगी के कुछ पड़ाव में गलत फैसला ले लेते है और किसी की भी बातों में आ जाते है। हर सही फैसले और कार्य का चुनाव करना भी उनका ही कर्तव्य है। उन्हें किसी भी हाल में अपने संयम को नहीं खोना है।

माँ -बाप का भी कर्तव्य है कि जब बच्चे इस उम्र में आ जाये उससे पहले वह गलत और सही के बीच की रेखा को समझा दे और जिससे वह सही फैसला ले सकें। इस उम्र में युवा वर्ग बहुत अधिक उत्सुक रहते है और जिन्दगी के हर पहलु को जानने के लिए हर प्रकार का प्रयोग करते है। इसमें नियंत्रण लाना यह युवा वर्ग की जिम्मेदारी है। युवा वर्ग में नौजवानो के अंदर कई प्रतिभाएं होती है जिसे उन्हें पहचान कर सही मार्ग पर जाना चाहिए। उन्हें असफलताओं से घबराकर निराश और बेसब्र नहीं होना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी कल देश का सुनहरा भविष्य बनेगी। उन्हें सही प्रोत्साहन के साथ उन्हें अपनी ज़िन्दगी और देश की उन्नति को ऊचाँइओ पर ले जाना है।

#सम्बंधित :- Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।

  • दोस्त का महत्व पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • “मेरा स्कूल”, “मेरी पाठशाला” पर निबंध
  • बाल दिवस पर निबंध
  • पुस्तक मेलों की उपयोगिता
  • पुस्तकालय पर निबंध
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध
  • हिंदी निबंध संग्रह Hindi nibandh sangrah
  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

Related Posts

हर घर तिरंगा पर निबंध -Har Ghar Tiranga par nibandh

आलस्य मनुष्य का शत्रु निबंध, अनुछेद, लेख

मेरा देश भारत पर निबंध | Mera Desh par nibandh

होली पर निबंध-Holi Essay March 2024

‘मेरा स्टार्टअप एक सपना’ निबंध

1 thought on “आज की युवा पीढ़ी पर निबंध”

Very good sentences 5 star

Leave a Comment Cancel reply

HindiSwaraj

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Role of Women in Nation Building in Hindi

By: savita mittal

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Essay in Hindi

नागरिक निर्माण के रूप में योगदान, पथ-प्रदर्शक के रूप में योगदान, गृहिणी के रूप में योगदान, स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान, राजनैतिक क्षेत्र में योगदान, प्रशासनिक क्षेत्र में योगदान, वैज्ञानिक क्षेत्र में योगदान, साहित्यिक क्षेत्रों में योगदान, निबंध लेखन- राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान hindi nibandh – rashtra nirman me naari ka yogdaan video.

जब भारतीय ऋषियों ने अथर्ववेद में “माता भूमिः पुत्र अहं पृथिव्या” अर्थात् भूमि मेरी माता है और हम इस धरा के पुत्र हैं की प्रतिष्ठा की, तभी सम्पूर्ण विश्व में ‘नारी-महिमा’ का उद्घोष हो गया था। नेपोलियन बोनापार्ट ने नारी की महत्ता को बताते हुए कहा था कि “मुझे एक योग्य माता दे दो, मैं तुमको एक योग्य राष्ट्र दूंगा।”

‘नारी’ भारतीय जनजीवन की मूल पुरी है। यदि यह कहा जाए कि संस्कृति, परम्परा या धरोहर नारी के कारण ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होती रही है, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जब जब समाज में जड़ता आई है, नारी शक्ति ने ही उसे जगाने के लिए तथा उससे जूझने के लिए सन्तति तैयार करके आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। ‘नारी’ विधाता की सर्वोत्तम और उत्कृष्ट सृष्टि है। 

नारी की सूरत और सौरत की पराकाष्ठा और उसकी गहनता को मापना दुष्कर ही नहीं, अपितु असम्भव भी है। सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक जगत में नारी के विविध स्वरूपों का न केवल बाह्य, अपितु अन्तर्मन के गूढ़लम माथ-सौन्दर्यात्मिक स्वरूप का मी रहस्योद्घाटन हुआ है। 

नारी प्रकृति एवं ईश्वर द्वारा प्रदत्त अद्द्भुत पवित्र साध्य’ है, जिसे अनुभव करने के लिए ‘पवित्र साधन’ का होना आवश्यक है। इसकी न तो कोई सीमा है और न ही कोई छोर यह तो एक बिराट स्वरूप है, जिसके समक्ष स्वयं विधाता भी नतमस्तक होता है। यह अमृत बरदान होने के साथ-साथ दिव्य औषधि भी है।

नारी ही यह सौंधी मिट्टी की महक है, जो जीवन की बगिया को महकाती है और न केवल व्यक्तिगत, यक्ति राष्ट्र-निर्माण एवं विकास में अपनी महती भूमिका निभाती है। नारी के लिए यह कहा जाए कि यह “विविधता में एकता है” तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि महिलाओं के बाह्य स्वरूप, सौन्दर्य और पहनावे में विविधता तो होती है, लेकिन उनके मानस में एकाकार और केन्द्रीय शक्ति ईश्वर की तरह ‘एक’ ही होती है।

इसी शक्ति के इर्द-गिर्द सूर्य और अन्य ग्रहों की भाँति अनेक प्रकार के सद्गुण निरन्तर गतिमान रहते हैं; जैसे-विश्वास, प्रेम, करुणा, निष्ठा, दया, समर्पण, त्याग, बलिदान, ममता, शीतलता, स्नेह, कुशलता, कर्तव्यपरायणता, सहनशीलता, मर्यादा, समता, सृजनशीलता एवं सहिष्णुता इत्यादि। इन्हीं विविध शक्तियों के परिणामस्वरूप महिलाओं का राष्ट्र-निर्माण और विकास में अद्भुत और अतुलनीय योगदान पाया जाता है। महिलाओं के इस सतत् योगदान को हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं।

Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Essay in Hindi

यहाँ पढ़ें :  1000 महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी निबंध लेखन यहाँ पढ़ें :   हिन्दी निबंध संग्रह यहाँ पढ़ें :   हिंदी में 10 वाक्य के विषय

मानव कल्याण की भावना, कर्त्तव्य, सृजनशीलता एवं ममता को सर्वोपरि मानते हुए महिलाओं ने इस जगत में माँ के रूप में अपनी सर्वोपरि भूमिका को निभाते हुए राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपने विशेष दावित्यों का निर्वहन किया है। महिलाएँ बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करते हुए उनमें संस्कार एवं सद्गुणों का उच्चतम विकास करती है तथा राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती है, ताकि राष्ट्र-निर्माण और बिकास निर्बाध गति से होता रहे।

वीर भगत सिंह, चन्द्रशेखर, विवेकानन्द जैसी विभूतियों का देशहित में अवतार ‘माँ’ के स्वरूप की देन है। माता जीजाबाई, जयवन्ताबाई, पन्नाधाय जैसी अनेक माताओं का त्याग, समर्पण और बलिदान आज भी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर अंकित है। माँ ही है, जो बहुआयामी व्यक्तित्व का निर्माण और विकास करती है।

माँ के बाद पत्नी का अवतार राष्ट्र-निर्माण और विकास के साथ पथ प्रदर्शक के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पत्नी चाहे तो पति को गुणवान और सद्गुणी बना सकती है। सदियों से देखने में आया है कि जब भी कभी देश पर संकट आया है, तो पत्नियों ने अपने पतियों के माथे पर तिलक लगाकर जोश, जुनून और विश्वास के साथ रणभूमि में भेजा है। यही नहीं पत्नी ‘हाड़ी’ रानी बनकर शीश काटकर दे देती है।

तुलसीदास जी के जीवन को आध्यात्मिक चेतना प्रदान करने में उनकी पत्नी रत्नावली’ का ही हाथ था। ‘विद्योत्मा’ ने कालिदास को संस्कृत का प्रकाण्ड महाकवि बनाया था। इसके अतिरिक्त यह कहना गलत नहीं होगा कि पति को भ्रष्टाचार, बेईमानी, लूट, गबन इत्यादि, जोकि राष्ट्र को खोखला बनाते हैं, जैसे कुकृत्यों से पत्नी ही दूर रखती है, जोकि देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक भी है।

भारतीय समाज में महिलाएँ परिवार की ‘धुरी’ होती हैं, जो कि एक गृहिणी के रूप में राष्ट्र-निर्माण और विकास के रूप में अपनी उत्कृष्ट भूमिका निभाती हैं, जो कि ‘अन्नपूर्णा’ के ऐश्वर्य से अलंकृत और सुशोभित हैं। एक गृहिणी के रूप में वह सम्पूर्ण परिवार का सुचारू रूप से संचालन करती है तथा परिवार के संचालन हेतु बचत की प्रवृत्ति को भी विकसित करती हैं। 

वर्ष 1980, 1998, 2008 और 2014 में आई वैश्विक मन्दी से सभी देश ग्रसित हुए, परन्तु भारत बहुत अल्प रूप में, क्योंकि भारतीय महिलाओं की बचत की प्रवृत्ति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाया। ऐसा ही उदाहरण हमें वर्ष 2016 की नोटबन्दी के दौरान देखने को मिला। इसी के साथ ही लगभग 65% महिलाएँ कृषि एवं पशुपालन का कार्य करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में योगदान देती हैं। इसके अतिरिक्त हस्तकलाओं का निर्माण करते हुए भी विकास कार्यों को गति प्रदान करती हैं। अतः यह भी राष्ट्र-निर्माण और विकास का हिस्सा हैं।

महिलाएँ ही संस्कृति, संस्कार और परम्पराओं की संरक्षिका होती हैं। वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी इनका संचालन और संरक्षण करती रहती हैं। सम्पूर्ण विश्व में भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने में महिलाओं की ही भूमिका रही है। यही कारण है कि भारत को विविध व समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं का देश कहा जाता है। 

सामाजिक- शैक्षिक-धार्मिक योगदान सभ्यता, संस्कृति, संस्कार और परम्परा महिलाओं के कारण ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित होते हैं। अतः महिलाओं के सामाजिक- शैक्षिक-धार्मिक कार्य व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाते हैं। कहा भी गया है. कि ‘सशक्त महिला सशक्त समाज की आधारशिला है। माता बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है, जो बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए उत्तरदायी होती है। यह शिक्षिका परिवार से निकलकर समाज में शिक्षा का दान करती है। देश की प्रथम शिक्षिका ‘सावित्री बाई फुले’ एक अनुकरणीय उदाहरण है। 

वैदिक सभ्यता की मैत्रेयी, गार्गी, विश्ववारा, घोषा, लोपामुद्रा और विदुषी नामक महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान हेतु आज भी पूजनीय है, जिन्होंने राष्ट्र-निर्माण और विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया।

पराधीनता राष्ट्र-निर्माण और बिकास में न केवल बाधक होती है, अपितु यह राष्ट्र को अस्थिरता प्रदान करती है। यही कारण रहा है कि भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में महिलाओं ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर भारत का नव-निर्माण करवाया। हमारे स्वतन्त्रता आन्दोलन में अनेक महिलाओं ने अपना अमूल्य योगदान देते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। कैप्टन लक्ष्मी सहगल, अरुणा आसफ अली, मैडम भीखाजी कामा, सरोजिनी नायडू, ऐनी बेसेण्ट और दुर्गा भाभी जैसी न जाने कितनी ही महिलाओं ने राष्ट्र-निर्माण और बिकास में अपना अमूल्य योगदान दिया।

देश की राजनीति की दिशा और दशा इस बात पर निर्भर करती है कि उसका संचालन करने वाला व्यक्ति कैसा है, इसी क्रम में महिलाओं ने यह सिद्ध करके दिखाया कि वे राजनैतिक विकास में अपनी भागीदारी बखूबी निभा सकती है श्रीमती ‘विजयालक्ष्मी पण्डित’ विश्व की प्रथम महिला थी, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षा बनीं। सरोजिनी नाय सुचेता कृपलानी, इन्दिरा गाँधी इत्यादि अनेक महिलाओं ने राजनैतिक प्रतिभा का प्रयोग राष्ट्र-निर्माण और विकास में किया है, जो एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक कदम है। 

वर्तमान समय में भी राजनैतिक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अत्यन बढ़ गई है और इस क्षेत्र में भी महिलाएँ बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका के साथ न्याय कर रही हैं; जैसे-वित्तमन्त्री निमंत सीतारमन, ममता बनर्जी, मायावती, स्मृति ईरानी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, हरसिमरत कौर, बसुन्धरा राजे सिन्धिया द्रौपदी मुर्मू, प्रतिभा पाटिल, मृदुला सिन्हा आदि प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से देश का सम्मान बढ़ाया है तथा देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में अपना योगदान दिया है तथा वर्तमान में भी दे रही हैं।

• किसी भी राष्ट्र का प्रशासन उस राष्ट्र की प्रगति और विकास का सूचक होता है। यदि प्रशासनिक दक्षता और कुशलता सुदृढ़ है, तो राष्ट्र की प्रगति और विकास सुनिश्चित है। प्रथम महिला आई.ए.एस अन्ना जॉर्ज हो या प्रथम महिला आई.पी.एस किरण बेदी, इन सभी ने देश एवं समाज की प्रगति में अपना बहुमुखी योगदान दिया है। वर्तमान समय में अनेक महिलाएँ भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवाओं में न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. अपितु सर्वोच्च रैंक प्राप्त कर समाज और देश का गौरव भी बढ़ा रही हैं।

आत्मविश्वास, लगन, मेहनत, कर्मठता, सृजनशीलता और बुद्धि कौशल के कारण महिलाओं के लिए वैज्ञानिक खोजों और अनुसन्धान क्षेत्र अछूता नहीं है। आज अनेक महिलाएँ रक्षा विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों के रूप में अपना योगदान राष्ट्र-निर्माण और विकास में दे रही हैं। डॉ. टेसी थॉमस ने अग्नि 5 मिसाइलों की योजना का प्रतिनिधित्व करते हुए ‘भारत की मिसाइल बुमैन और अग्नि पुत्री’ का सम्मान प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला ने भी अन्तरिक्ष के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। इन सबके अतिरिक्त ऐसी बहुत सी महिलाएँ वैज्ञानिक विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपना योगदान दे रही है। 

साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण और बिकास उच्चतम स्तर पर किया जा सकता है, क्योंकि साहित्य के द्वारा न केवल बुद्धि-कौशल वरन् व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास किया जा सकता है। यह साहित्यिक कर्म यदि महिलाओं के द्वारा हो तो यह सोने पर सुहागा होता है, क्योंकि महिलाओं में विद्यमान ‘मर्म’ साहित्य को गुणवत्तापूर्ण बनाता है। 

अनेक महिलाओं ने साहित्य-सृजन के द्वारा राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपना विशेष योगदान दिया है; जैसे-महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, मीरा, आशापूर्णा देवी, महाश्वेता देवी, झुम्पा लाहिड़ी, सुभद्रा कुमारी चौहान, मैत्रेयी पुष्पा, ममता कालिया, पद्मा सचदेव इत्यादि। इन्होंने ऐसा कालजयी साहित्य लिखा, जो व्यक्तित्व के विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक और नैतिक विकास को भी बल प्रदान करता है, जिसमें चेतना और राष्ट्र-निर्माण के स्वर मुखरित होते हैं।

उपर्युक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त महिलाएँ मेडिकल, इन्जीनियरिंग, बैंकिंग, कला एवं खेल के क्षेत्र में भी अपने योगदान से राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं, जिनमें से प्रमुख है- अरुन्धति भट्टाचार्य, शोभना भरतिया, लता मंगेशकर, दीपिका पादुकोण, आशा भोसले, सानिया मिर्जा, पी.बी. सिन्धु, मैरीकॉम, बछेन्द्रीपाल, सन्तोष यादव, अरुणिमा सिन्हा इत्यादि।

अत: हम कह सकते हैं कि महिलाओं ने अपने सत्र्तव्य, कर्मठता और सृजनशीलता के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपना अभूतपूर्ण योगदान दिया है। आज नारी भी पुरुषों के समान ही सुशिक्षित, सक्षम और सफल है, चाहे वह क्षेत्र सामाजिक, साहित्यिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, खेल, कला, इतिहास, भूगोल, खगोल, चिकित्सा, सेवा, मीडिया या पत्रकारिता आदि कोई भी हो।

नारी की उपस्थिति योगदान, सोम्पता उपलब्धियाँ मार्मिकता और सृजनशीलता स्वयं एक प्रत्यक्ष परिचय देती है। परियार और समाज को संभालते हुए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नारी ने सदैव ही विजय पताका लहराते हुए राष्ट्र-निर्माण और विकास में अपना विशेष और अभूतपूर्व योगदान दिया है। यही कारण है कि यह सृजना, अन्नपूर्णा देवी, युगदृष्टा और युग सृष्टा होने के साथ ही ‘स्वयंसिद्धा’ भी है।

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

reference Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Essay in Hindi

hindi essay yogdan

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women Contribution in Nation Building in Hindi

राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women Contribution in Nation Building in Hindi

इस लेख में राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध (Essay on  Women’s contribution in Nation Building in Hindi) बेहद सरल रूप में लिखा गया है। अगर आप राष्ट्र निर्माण और नारी के योगदान के विषय में बेहतरीन निबंध चाहते हैं तो इस लेख के माध्यम से निबंध के लिए जरूरी तत्व प्राप्त कर सकते हैं।

Table of Contents

प्रस्तावना (राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women Contribution in Nation Building in Hindi)

ईश्वर ने इंसानों को दो प्रकार से बनाया है। पहला जिसके माध्यम से इंसान का जीवन संभव हो पाता है तथा प्राकृतिक चक्र का संतुलन बना रहता है अर्थात नारी। दूसरा जिसे उन्होंने शारीरिक क्षमता के साथ भार वाहन कर सकने की शक्ति दी अर्थात पुरुष।

कोई भी राष्ट्र रुपी गाड़ी इन्हीं दो पहियों पर टिकी हुई होती है। कोई एक पहलू मजबूत और दूसरा पहलू कमजोर हो तो उस राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता।

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान सबसे अधिक होता है। अगर नारी के विकास को केंद्र बिंदु न रखा जाए तो वह राष्ट्र ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसलिए मनु ने कहा है

 “ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता

यतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला : क्रिया ।

जहां पर नारी की इज्जत होती है तथा उसे सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाता है तो वहां हर प्रकार की समृद्धि तथा सुख  उपस्थित होता है। वहां पर ईश्वर का वास भी होता है।

राष्ट्र विकास में महिलाओं की भागीदारी Contribution of Women’s in Building Nation in Hindi

किसी भी राष्ट्र के विकास में जितनी भागीदारी पुरुषों की होती है उतनी ही महिलाओं की भी होती है। पुरुष अकेले ही राष्ट्र निर्माण के बोझ का वहन कर सकता।

दुनिया के विकसित तथा विकासशील देशों में सबसे बड़ा अंतर यही होता है अर्थात विकसित देशों में महिलाओं की साक्षरता, स्वास्थ्य तथा हक संपूर्ण रूप से उन्हें प्राप्त होते हैं।

वही विकासशील देशों में कहीं न कहीं महिलाओं के सर्वांगीण विकास को नजरअंदाज किया जाता है। इसलिए विकासशील देशों को विकसित की श्रेणी में जाने में अधिक समय लगता है।

एक बार महापुरुष ईशा से एक महिला ने प्रश्न किया कि एक सज्जन संतान की प्राप्ति कैसे की जाए? तो ईशा ने जवाब दिया की एक आदर्श माता बनकर। महिलाओं को ईश्वर ने पुरुषों से अधिक सहनशक्ति तथा संवेदना का भाव दिया है जिससे उनके लिए कुछ कठिन मुश्किलों को हल करना पुरुषों के मुकाबले आसान हो जाता है।

उपरोक्त पंक्ति में एक गहन दर्शन छुपा हुआ है। जिसमें नारी को समाज में अच्छे नागरिक गढ़ने की इकाई के रूप में दर्शाया गया है। किसी भी नवजात शिशु की पहली गुरु उसकी मां होती है अर्थात उसके जीवन का पूरा ताना-बाना उसकी मां के संस्कारों और विचारों पर निर्भर करता है।

अगर महिला के विचार या स्वास्थ्य दूषित हुए तो उसकी संतान भी उन्हीं विचारों को धारण करती है। इसलिए कहा जा सकता है कि राष्ट्र निर्माण की इकाई एक विकसित महिला है।

लगभग राष्ट्र की आधी आबादी महिलाओं की हो सकती है तो जाहिर सी बात है उस राष्ट्र का विकास सिर्फ 50 फीसदी आबादी मिलकर नहीं कर सकती। उस राष्ट्र के विकास में उसके शत-प्रतिशत आबादी का प्रयास बेहद ही जरूरी है।

इतिहास में भारतीय विकास में महिलाओं का योगदान Contribution of Indian Women’s in History in Hindi

भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उसके विकास में पुरुष तथा स्त्रियों का समान प्रयास हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे स्त्रियों के विकास का अनुपात कम होता गया वैसे वैसे भारत का गौरव भी धूमिल पड़ता गया।

भारतीय महिलाओं का इतिहास में योगदान अप्रतिम रहा है। सिर्फ स्वाधीनता संग्राम के समय को देखा जाए तो भारतीय महिलाओं का योगदान अगणनीय ही प्राप्त होगा।

स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु, सुचेता कृपलानी, मणीबेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे आकर अपना अप्रतिम योगदान दिया।

प्राचीन भारत में सीता, सावित्री, गंडकी, अरुंधती, लोपामुद्रा, अनुसूया जैसी महान स्त्रियों ने अपने ज्ञान के माध्यम से मानव समाज को एक सकारात्मक मार्ग दिखाया।

वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान Contribution of Women in the Present Era in Hindi

मध्यकाल में मुगल तथा विदेशी लुटेरों की कुदृष्टि ने महिलाओं को बेहद संकुचित होने पर मजबूर कर दिया और लंबे समय तक इस भावना का समाज में बने रहना एक कुप्रथा, परंपरा का रूप में बदल गया। जिससे आज तक हानि ही हानि हो रही है।

भारत के हरियाणा जैसे राज्यों का लैंगिक अनुपात इतना खराब हो चुका है जिससे वहां का भविष्य तथा विकास मार्ग सरल नहीं लग रहा।

वर्तमान युग में महिलाओं को मात्र भोग विलास की वस्तु बना कर रख दिया गया है। जिसका मूल काम घर में रहकर चूल्हा चौका करना तथा परिवार की देखभाल करना रह गया है।

आजादी के बाद महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को लगातार बेहतर किया है। उदाहरण के रूप में श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित दुनिया की पहली ऐसी महिला थी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनाया गया।

सरोजिनी नायडू आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं वहीं दूसरी ओर सुचेता कृपलानी प्रथम महिला मुख्यमंत्री, इंदिरा गांधी प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सुदृढ़ता मजबूत की।

वर्तमान में किरण बेदी, मीरा कुमार, बछेंद्री पाल, संतोष यादव, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीटी उषा, दीपा दास, मिताली राज जैसी महिलाओं ने हर क्षेत्र में भारत का इकबाल बुलंद किया है।

आधुनिक युग में भी ऐसी महिलाएं हुई हैं जिन्होंने लोगों की मानसिकता ओं को बदल कर रख देने का काम किया है। जब स्त्रियों को उनके अधिकारों से भी वंचित रखा जाता था तब भारत की प्रधानमंत्री के पद पर एक महिला विराजित होकर सामाजिक कुप्रथा पर गहरी चोट की।

 भारतीय महिलाओं ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना झंडा गाड़ा है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण के रूप में कल्पना चावला, रितु करिधाल,चंद्रिमा सहा, मुथय्या वनिथा, गगनदीप कंग इत्यादि तथा सबसे ताजा उदाहरण के रूप में नासा, अमेरिका के मंगल प्रोजेक्ट को लीड कर रही डॉक्टर स्वाति शर्मा हैं।

आज के समय जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं का कुछ ऐसा वर्ग भी है जिन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए हर किसी को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।

जब तक हम अपनी मानसिकता को नहीं बदलकर स्त्रियों को साथ नहीं लेंगे तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा।

भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं का योगदान Contribution of Women in India’s Economic Development in Hindi

किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास तब हुआ माना जाएगा जब वह आर्थिक, भौतिक तथा सुरक्षा में पूरी तरह से विकास कर ले। अगर किसी एक पहलू में कमी आती है तो वह पूरे राष्ट्र के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।

भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं का योगदान बहुत ही ज्यादा रहा है। भारत की ज्यादातर महिलाएं गृहणिया हैं अर्थात भारत की महिलाएं पारिवारिक जीवन में रहने के बाद भी भारत के आर्थिक विकास में अपना पूर्ण सहयोग दे रही हैं।

आधुनिकता के आगमन एवं शिक्षा के प्रसार ने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना प्रारम्भ किया, जिसका परिणाम राष्ट्र की समुचित प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर होने के रूप में सामने हैं।

चाहे चिकित्सा क्षेत्र हो या सुरक्षा क्षेत्र चाहे इंजीनियरिंग तथा सिविल सेवा क्षेत्र हो या पुलिस तथा विज्ञान का क्षेत्र प्रत्येक क्षेत्र में आज भारतीय स्त्रियां सम्मानित पद पर आसीन हैं। आज की महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल की महिलाओं से बहुत ही बेहतर है। जिससे देश की आर्थिक मजबूती और भी ज्यादा हो रही है।

भारतीय गृहणियां दुनिया की सबसे कुशल परिवार संचालक के रूप में जानी जाती हैं। पिछड़े क्षेत्रों की महिलाएं भी आज कढ़ाई-बुनाई तथा छोटे उद्योग चलाकर अपने विकास के साथ देश की विकास भी सुनिश्चित कर रही हैं।

भारतीय स्त्रियां राष्ट्र के विकास में और भी अधिक योगदान दे सकती हैं लेकिन उससे पहले उन्हें अपनी मानसिकता में बदलाव करना होगा। अपने हक के लिए खुले तौर पर आवाज उठाना होगा।

शासन तथा संविधान स्त्रियों के हक के सुरक्षा तब तक नहीं कर सकता जब तक वे कड़ाई से प्रतिरोध उत्पन्न करना ना शुरू करें। 

निष्कर्ष  Conclusion

इस लेख में आपने राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध (Essay on the contribution of womens in Nation Building in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा हो। अगर इस लेख के माध्यम से आपकी सहायता हुई हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध rashtra nirman me yuvao ka yogdan

Rashtra nirman me yuvao ka yogdan.

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों राष्ट्र निर्माण में युवाओं का काफी योगदान होता है क्योंकि हमारे भारत देश में युवाओं की संख्या अधिक है आज हम इसी विषय पर पढेंगे तो चलिए पढ़ते हैं राष्ट्र निर्माण में युवाओं के योगदान के बारे में।

rashtra nirman me yuvao ka yogdan

हमारे भारत देश में युवाओं की संख्या काफी अधिक है यह युवा जो अपने भविष्य को बनाने में लगे रहते हैं, भविष्य की चिंता करते हैं वह पढ़ाई करते हैं तो उनकी आंखों में एक सपना होता है अपने खुद के प्रति, अपने देश के प्रति। वास्तव में युवाओं को कुछ अच्छे मौके दिए जाएं तो वह राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। युवाओं को रोजगार पाने के अवसर मिले जिससे देश के युवा बेरोजगार ना रहे वह आगे बढ़ते चले जाएं क्योंकि वास्तव में राष्ट्र निर्माण में युवा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

देश का भविष्य वास्तव में युवाओं पर ही निर्भर करता है युवाओं को चाहिए कि वह अपने व्यक्तित्व में सुधार लाएं और देश के एक जिम्मेदार नागरिक बने तभी हमारे राष्ट्र निर्माण में युवा सही तरह से भागीदारी कर सकेंगे। आज हम देखें देश में समय समय पर चुनाव होते हैं उन चुनावों में युवाओं को चाहिए कि वह अपना वोट जरूर दें और उस राजनीतिक दल के नेता को जिताएं जो वास्तव में ईमानदार हो, कर्म निष्ट हो जिससे राष्ट्र निर्माण में एक योगदान उनका हो सके लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सोचते हैं कि सिर्फ हमारे वोट डालने से क्या होगा .

हमें यह सब ना सोचते हुए अपने कदम आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि युवा ही किसी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। युवाओं को हमेशा आगे रहकर कोई कार्य करना चाहिए अपने भविष्य को बनाने के लिए सही तरह से पढ़ाई करना चाहिए, जो भी वह कार्य करते हैं उसे पूरी ईमानदारी से करना चाहिए चाहे वह नौकरी, वह बिजनेस क्योंकि देश में हम जो भी करते हैं उसका असर पूरे देश में देखने को मिलता है। अगर देश के युवा पूरी ईमानदारी के साथ अपना कार्य करते हैं तो हमारा राष्ट्र भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनेगा।

देश में जब सभी व्यक्ति ईमानदारी पूर्वक टैक्स चुकाएंगे तो सरकार के पास अधिक पैसा होगा और सरकार देश के विकास में कुछ कार्य करवाएगी यह सब हो सकता है युवाओं की वजह से क्योंकि युवा ही हैं जो यह बदलाव देश में ला सकते हैं। युवाओं को एक जिम्मेदार नागरिक बन के अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाना चाहिए देश के युवाओं को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और यदि कोई किसी के साथ अन्याय कर रहा है तो उसके प्रति भी हम सभी को आवाज उठानी चाहिए। वास्तव में देश के युवा चाहे तो देश को काफी आगे पहुंचा सकते हैं, देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

देश के युवाओं को अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई करके एक अच्छे क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहिए क्योंकि जब देश के युवा आगे बढ़ेंगे तो देश आगे बढ़ेगा। देश के युवा अपने समय का सदुपयोग करके वास्तव में राष्ट्र निर्माण में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान निभा सकते हैं क्योंकि युवाओं के पास जो समय होता है वह भविष्य बनाने का ही होता है इस समय उन्होंने अपने भविष्य के लिए जो किया वास्तव में वह अपने भविष्य में आगे बढ़ जाते हैं जिससे हमारे राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

युवाओं को जागरूक होना चाहिए, देश के प्रति हमारे कर्तव्य को निभाना चाहिए, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए, देश में फैली बुराइयों को खत्म करने में भी सहयोग प्रदान करना चाहिए वास्तव में तभी देश के युवा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।

  • भारत की युवा शक्ति पर निबंध, कविता, विचार व नारे Bharat ki yuva shakti essay, poem, quotes, slogans in hindi
  • राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Rashtra nirman mein nari ka yogdan in hindi

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल rashtra nirman me yuvao ka yogdan पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा जिससे नए नए आर्टिकल लिखने प्रति हमें प्रोत्साहन मिल सके और इसी तरह के नए-नए आर्टिकल को सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें जिससे हमारे द्वारा लिखी कोई भी पोस्ट आप पढना भूल ना पाए.

Related Posts

hindi essay yogdan

kamlesh kushwah

' src=

Nice essay sir

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

hindi essay yogdan

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

hindi essay yogdan

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

hindi essay yogdan

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

hindi essay yogdan

  • Essays in Hindi /

Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

hindi essay yogdan

  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

संबंधित आर्टिकल

आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on India in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध लेखन पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

' src=

Team Leverage Edu

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

hindi essay yogdan

Resend OTP in

hindi essay yogdan

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

hindi essay yogdan

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika

  • मुख्यपृष्ठ
  • हिन्दी व्याकरण
  • रचनाकारों की सूची
  • साहित्यिक लेख
  • अपनी रचना प्रकाशित करें
  • संपर्क करें

Header$type=social_icons

राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान.

Twitter

राष्ट्रीय एकता की प्राण हिन्दी 1947 में अंग्रेजों से आजादी हासिल करने के बाद, नए भारतीय राष्ट्र के नेताओं ने एक आम, सार्वभौमिक भाषा के साथ भारत के कई क्षेत्रों को एकजुट करने का अवसर पहचाना। महात्मा गांधी ने महसूस किया कि भारत के उभरने के लिए यह आवश्यक कदम होगा ।

राष्ट्रीय एकता की प्राण हिन्दी 

हिंदी

hindi essay yogdan

Aap ke is janakari se main bahut santusht hoon

Please subscribe our Youtube Hindikunj Channel and press the notification icon !

Guest Post & Advertisement With Us

[email protected]

Contact WhatsApp +91 8467827574

हिंदीकुंज में अपनी रचना प्रकाशित करें

कॉपीराइट copyright, हिंदी निबंध_$type=list-tab$c=5$meta=0$source=random$author=hide$comment=hide$rm=hide$va=0$meta=0.

  • hindi essay

उपयोगी लेख_$type=list-tab$meta=0$source=random$c=5$author=hide$comment=hide$rm=hide$va=0

  • शैक्षणिक लेख

उर्दू साहित्य_$type=list-tab$c=5$meta=0$author=hide$comment=hide$rm=hide$va=0

  • उर्दू साहित्‍य

Most Helpful for Students

  • हिंदी व्याकरण Hindi Grammer
  • हिंदी पत्र लेखन
  • हिंदी निबंध Hindi Essay
  • ICSE Class 10 साहित्य सागर
  • ICSE Class 10 एकांकी संचय Ekanki Sanchay
  • नया रास्ता उपन्यास ICSE Naya Raasta
  • गद्य संकलन ISC Hindi Gadya Sankalan
  • काव्य मंजरी ISC Kavya Manjari
  • सारा आकाश उपन्यास Sara Akash
  • आषाढ़ का एक दिन नाटक Ashadh ka ek din
  • CBSE Vitan Bhag 2
  • बच्चों के लिए उपयोगी कविता

Subscribe to Hindikunj

hindi essay yogdan

Footer Social$type=social_icons

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Nibandh

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंधn Nibandh (Role of Women in Nation Building): नारी हमेशा राष्ट्र हितों के लिए पुरुषों का साथ लेने के लिए आगे आई है.

चाहे प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन की बात हो या सभी राष्ट्रीय आन्दोलन में नारियों की भूमिका की बात हो, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण के लिए कदम बढ़ाया हैं.

आज हम भारत के राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के योगदान पर निबंध बता रहे हैं. राष्ट्र निर्माण में नारी   के रूप में भी पढ़ सकते हैं.

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंध

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Nibandh

नारी ब्रह्मा विद्या हैं श्रद्धा है आदि शक्ति है सद्गुणों की खान हैं और वह सब कुछ है जो इस प्रकट विश्व में सर्वश्रेष्ठ के रूप में दृष्टिगोचर होती होता हैं.

नारी वह सनातन शक्ति है जो अनादि काल से उन सामाजिक दायित्वों का वहन करती आ रही हैं, जिन्हें पुरुषों का कंधा सम्भाल नहीं पाता. माता पिता के रूप में नारी ममता, करुणा, वात्सल्य, सह्रदयता जैसे सद्गुणों से यूक्त हो.

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उस राष्ट्र की आधी आबादी की भूमिका की महत्ता से इनकार नही किया जा सकता हैं. आधी आबादी यदि किसी भी कारण से निष्क्रिय रहती हैं तो उस राष्ट्र या समाज की समुचित और उल्लेखनीय प्रगति के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं.

लेकिन समय के साथ साथ भारतीय समाज में उत्तर वैदिक काल से ही महिलाओं की स्थिति निम्नतर होती गई और मध्यकाल तक आते आते समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों ने स्त्रियों की स्थिति को और बदतर कर दिया.

आधुनिकता के आगमन एवं शिक्षा के प्रसार ने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना प्रारम्भ किया, जिसका परिणाम राष्ट्र की समुचित प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर होने के रूप में सामने हैं.

आधुनिक युग में स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु, सुचेता कृपलानी, मणीबेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे बढ़कर पूरी क्षमता एवं उत्साह के साथ भाग लिया.

भारतीय नारी के उत्थान हेतु समर्पित विदेशी स्त्रियाँ एनी बेसेंट, मैडम कामा, सिस्टर निवेदिता आदि से अत्यधिक प्रेरणा मिली.

स्वाधीनता प्राप्ति के बाद स्त्रियों ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को निरंतर सुद्रढ़ किया हैं. श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित विश्व की पहली महिला थी जो संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की अध्यक्षा बनी.

सरोजनी नायडू स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल थी. जबकि सुचेता कृपलानी प्रथम मुख्यमंत्री. श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्र को दिए जाने वाले योगदान को भला कौन भूल सकता हैं, जो लम्बे समय तक भारत की प्रधानमंत्री रही.

चिकित्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का, सिविल सेवा का हो या बैंक का, पुलिस का हो या फौज का, वैज्ञानिक हो या व्यवसायी प्रत्येक क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर स्त्रिया आज सम्मान के पद पर आसीन हैं.

किरण बेदी, कल्पना चावला, मीरा कुमार, सोनिया गांधी, बछेंद्री पाल, संतोष यादव, सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, पी टी उषा, कर्णम मल्लेश्वरी आदि की क्षमता एवं प्रदर्शन को भुलाया नहीं जा सकता. आज नारी पुरुषों से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और देश को आगे बढ़ा रही हैं.

राष्ट्र के निर्माण में स्त्रियों का सबसे बड़ा योगदान घर एवं परिवार को संभालने के रूप में हमेशा रहा हैं. किसी भी समाज में श्रम विभाजन के अंतर्गत कुछ सदस्यों को घर एवं बच्चों को संभालना एक अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व हैं. अधिकांश स्त्रियाँ इस दायित्व का निर्वाह बखूबी कर रही हैं.

घर को संभालने के लिए जिस कुशलता और दक्षता की आवश्यकता होती है उसका पुरुषों के पास सामान्यतया अभाव होता हैं इसलिए स्त्रियों का शिक्षित होना अनिवार्य हैं,

यदि स्त्री शिक्षित नहीं होगी तो आने वाली पीढियां अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकती एक शिक्षित स्त्री पूरे परिवार को शिक्षित बना देती हैं.

निश्चित रूप से नारी ने अनेक बाधाओं के बावजूद नई बुलंदियों को छुआ हैं. और घर के अतिरिक्त बाहर भी स्वयं को सुद्रढ़ता से स्थापित किया हैं. लेकिन इन सबके बावजूद उसकी समस्याए अभी भी बनी हुई हैं.

उन्होने अपनी सफलताओं के झंडे ऐसे गाड़े है कि पुरानी रूढ़िया हिल गई हैं शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जो महिलाओ की भागीदारी से अछूता हो.

उसकी स्थिति में आया अभूतपूर्व सुधार उसे हाशिये पर रखना असम्भव बना रही हैं. नारी के जुझारूपन का लोहा सबकों मानना पड़ रहा हैं.

वास्तव में स्त्री के प्रति उपेक्षा का सिलसिला उसके जन्म के साथ ही शुरू हो जाता हैं और घर परिवार ही उसका प्रथम उपेक्षा का स्थल बन जाता हैं. स्त्री की उपेक्षा की मुक्ति घर की देहरी पार करने के बाद ही मिलती हैं.

हमारे यहाँ शास्त्रों में कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता हैं, और हम मानते है कि देवता कार्यसिद्धि में सहायक होते हैं.

इसलिए कहा जा सकता है कि जिस समाज में नारी बढ़ चढ़कर विभिन्न क्षेत्र से सम्बन्धित कार्यों में हिस्सा लेती है वहां प्रगति की संभावनाएं अत्यंत बढ़ जाती हैं.

घर गृहस्थी का निर्माण हो या राष्ट्र का निर्माण नारी के योगदान के बिना कोई भी निर्माण पूर्ण नहीं हो सकता हैं. वह माता, बहन, पुत्री एवं मित्र रुपी विविध रूपों में पुरुष के जीवन के साथ अत्यंत आत्मीयता के साथ जुड़ी रहती हैं.

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़ भारत में लगभग 40 करोड़ कार्यशील व्यक्ति है जिसमें 12.5 करोड़ से अधिक महिलाएं हैं.

भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 39 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या हैं, जिनमें लगभग एक चौथाई महिलाएं हैं कृषि प्रधान भारत में कृषि कार्य में सक्रिय भूमिका अदा करते हुए स्त्रियाँ प्रारम्भ से ही उचित रूप से मूल्यांकित नहीं किया गया है

महिलाओं के मामले में संवैधानिक गारंटी और वास्तविकता के बिच विरोधाभास हैं. यदपि महिलाओं ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है. परन्तु अनेक महिलाओं को बहुत कुछ करना बाकी हैं.

लिंग अनुपात को संतुलित किया जाना हैं. सभी आयु समूहों की महिलाओं की जीवन शैली में सुधार किया जाना है, आज भी अधिकांश भारतीय नारी आर्थिक दृष्टि से पुरुषों पर आश्रित बनी हुई हैं. सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं नैतिक दृष्टि से भी उसकी प्रस्थिति पुरुषों के समान नहीं हैं.

भारत में अदालती कानून की अपेक्षा प्रथागत कानूनों का भी ख़ास स्थान हैं. अतः सिर्फ कानूनी प्रावधान ही महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे बल्कि लोगों की मनोवृति में परिवर्तन लाने की भी आवश्यकता हैं.

आवश्यकता इस बात की भी हैं कि भारतीय समाज महिलाओं को उनका उपयुक्त स्थान दिलाने के लिए कटिबद्ध हो. उनकी मेधा और ऊर्जा का भरपूर उपयोग हो तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनके साथ समानता का व्यवहार हो.

जिससे उनके अपने विकास का पूरा अवसर प्राप्त हो सके. क्योंकि ऐसी स्थिति में ही भारतीय समाज में स्त्रियों का योगदान अधिकतम हो सकता हैं. वास्तव में शक्ति और अधिकार तब तक उनकी सहायता नहीं कर सकते है.

जब तक महिलाएं स्वयं अपनी मानसिकता को ऊपर उठाकर दृढ इच्छा शक्ति के बिना किया गया प्रयास सफलता की चरम उपलब्धि से उन्हें हमेशा वंचित कर देगा.

One comment

bahut achaa hai

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

HindiVyakran

  • नर्सरी निबंध
  • सूक्तिपरक निबंध
  • सामान्य निबंध
  • दीर्घ निबंध
  • संस्कृत निबंध
  • संस्कृत पत्र
  • संस्कृत व्याकरण
  • संस्कृत कविता
  • संस्कृत कहानियाँ
  • संस्कृत शब्दावली
  • पत्र लेखन
  • संवाद लेखन
  • जीवन परिचय
  • डायरी लेखन
  • वृत्तांत लेखन
  • सूचना लेखन
  • रिपोर्ट लेखन
  • विज्ञापन

Header$type=social_icons

  • commentsSystem

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध। Bhartiya Samaj me nari ka yogdan

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध : हमारे देश में नारी को देवी, अबला, श्रद्धा और पूज्या जैसे नामों से सम्बोधित करने की परम्परा अत्यंत पुराने समय से चली आ रही है। नारी के लिए इस प्रकार के सम्बोधन का प्रयोग करके हमने उसे पूजा की वस्तु बना दिया या फिर उसे अबला कहकर संपत्ति बना दिया। उसका एक रूप और भी है जिसका स्मरण हम कभी- करते हैं और वह रूप है शक्ति का। यही वह रूप है जिसको हमारा पुरुषप्रधान समाज अपनी हीन मानसिकता के कारण उजागर नहीं करना चाहता।

राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध। 

bhartiya samaj me nari ka yogdan

100+ Social Counters$type=social_counter

  • fixedSidebar
  • showMoreText

/gi-clock-o/ WEEK TRENDING$type=list

  • गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit यहां पढ़ें गम् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। गम् धातु का अर्थ होता है जा...
  • दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद - Do Mitro ke Beech Pariksha Ko Lekar Samvad Lekhan दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद लेखन : In This article, We are providing दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद , परीक्षा की तैयार...

' border=

RECENT WITH THUMBS$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0

  • 10 line essay
  • 10 Lines in Gujarati
  • Aapka Bunty
  • Aarti Sangrah
  • Akbar Birbal
  • anuched lekhan
  • asprishyata
  • Bahu ki Vida
  • Bengali Essays
  • Bengali Letters
  • bengali stories
  • best hindi poem
  • Bhagat ki Gat
  • Bhagwati Charan Varma
  • Bhishma Shahni
  • Bhor ka Tara
  • Boodhi Kaki
  • Chandradhar Sharma Guleri
  • charitra chitran
  • Chief ki Daawat
  • Chini Feriwala
  • chitralekha
  • Chota jadugar
  • Claim Kahani
  • Dairy Lekhan
  • Daroga Amichand
  • deshbhkati poem
  • Dharmaveer Bharti
  • Dharmveer Bharti
  • Diary Lekhan
  • Do Bailon ki Katha
  • Dushyant Kumar
  • Eidgah Kahani
  • Essay on Animals
  • festival poems
  • French Essays
  • funny hindi poem
  • funny hindi story
  • German essays
  • Gujarati Nibandh
  • gujarati patra
  • Guliki Banno
  • Gulli Danda Kahani
  • Haar ki Jeet
  • Harishankar Parsai
  • hindi grammar
  • hindi motivational story
  • hindi poem for kids
  • hindi poems
  • hindi rhyms
  • hindi short poems
  • hindi stories with moral
  • Information
  • Jagdish Chandra Mathur
  • Jahirat Lekhan
  • jainendra Kumar
  • jatak story
  • Jayshankar Prasad
  • Jeep par Sawar Illian
  • jivan parichay
  • Kashinath Singh
  • kavita in hindi
  • Kedarnath Agrawal
  • Khoyi Hui Dishayen
  • Kya Pooja Kya Archan Re Kavita
  • Madhur madhur mere deepak jal
  • Mahadevi Varma
  • Mahanagar Ki Maithili
  • Main Haar Gayi
  • Maithilisharan Gupt
  • Majboori Kahani
  • malayalam essay
  • malayalam letter
  • malayalam speech
  • malayalam words
  • Mannu Bhandari
  • Marathi Kathapurti Lekhan
  • Marathi Nibandh
  • Marathi Patra
  • Marathi Samvad
  • marathi vritant lekhan
  • Mohan Rakesh
  • Mohandas Naimishrai
  • MOTHERS DAY POEM
  • Narendra Sharma
  • Nasha Kahani
  • Neeli Jheel
  • nursery rhymes
  • odia letters
  • Panch Parmeshwar
  • panchtantra
  • Parinde Kahani
  • Paryayvachi Shabd
  • Poos ki Raat
  • Portuguese Essays
  • Punjabi Essays
  • Punjabi Letters
  • Punjabi Poems
  • Raja Nirbansiya
  • Rajendra yadav
  • Rakh Kahani
  • Ramesh Bakshi
  • Ramvriksh Benipuri
  • Rani Ma ka Chabutra
  • Russian Essays
  • Sadgati Kahani
  • samvad lekhan
  • Samvad yojna
  • Samvidhanvad
  • Sandesh Lekhan
  • sanskrit biography
  • Sanskrit Dialogue Writing
  • sanskrit essay
  • sanskrit grammar
  • sanskrit patra
  • Sanskrit Poem
  • sanskrit story
  • Sanskrit words
  • Sara Akash Upanyas
  • Savitri Number 2
  • Shankar Puntambekar
  • Sharad Joshi
  • Shatranj Ke Khiladi
  • short essay
  • spanish essays
  • Striling-Pulling
  • Subhadra Kumari Chauhan
  • Subhan Khan
  • Suchana Lekhan
  • Sudha Arora
  • Sukh Kahani
  • suktiparak nibandh
  • Suryakant Tripathi Nirala
  • Swarg aur Prithvi
  • Tasveer Kahani
  • Telugu Stories
  • UPSC Essays
  • Usne Kaha Tha
  • Vinod Rastogi
  • Vrutant lekhan
  • Wahi ki Wahi Baat
  • Yahi Sach Hai kahani
  • Yoddha Kahani
  • Zaheer Qureshi
  • कहानी लेखन
  • कहानी सारांश
  • तेनालीराम
  • मेरी माँ
  • लोककथा
  • शिकायती पत्र
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी जी
  • हिंदी कहानी

RECENT$type=list-tab$date=0$au=0$c=5

Replies$type=list-tab$com=0$c=4$src=recent-comments, random$type=list-tab$date=0$au=0$c=5$src=random-posts, /gi-fire/ year popular$type=one.

  • अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन - Adhyapak aur Chatra ke Bich Samvad Lekhan अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing अध्यापक और विद्यार्थी के बीच संवाद लेखन and Adhyapak aur Chatra ke ...

' border=

Join with us

Footer Logo

Footer Social$type=social_icons

  • loadMorePosts

hindi essay yogdan

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध | Essay on Role of Youth in Nation’s Building in Hindi

by Meenu Saini | Aug 8, 2023 | General | 0 comments

Rashtra Nirman Mein Yuvaon Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay 

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व  (role of youth in nation’s building ) par nibandh hindi mein.

आज के युवाओं में प्रतिभा और क्षमता तो है लेकिन इसे आवेगी और अधीर भी कहा जा सकता है। आज का युवा नई चीजें सीखने और खोजने में उत्सुक है। अब, हालांकि वे अपने बड़ों से सलाह मांग सकते हैं, लेकिन वे हर कदम पर उनके द्वारा निर्देशित नहीं होना चाहते हैं। 

युवा भागीदारी को युवा अधिकारों में से एक के रूप में समझा जा सकता है, साथ ही कुछ प्रक्रियाओं में युवाओं की भागीदारी को युवाओं और वयस्कों के बीच साझेदारी के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि वे उद्देश्यों, लक्ष्यों, भूमिकाओं, जिम्मेदारियों, निर्णयों आदि पर परामर्श करते हैं। 

आज के राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व निबंध में हम यूथ इन इंडिया रिपोर्ट-2022, युवा सशक्तिकरण, आज के युवाओं की मुख्य समस्याएं और एक राष्ट्र के निर्माण में युवा कैसे अपना योगदान कर सकते हैं, के बारे में बात करेंगे। 

  • ‘यूथ इन इंडिया’ रिपोर्ट -2022

युवा सशक्तिकरण

आज के युवाओं की मुख्य समस्याएं, राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व.

वर्तमान युग में युवा राष्ट्र की एक शक्तिशाली संपत्ति है जिसमें प्रचुर मात्रा में ऊर्जा और उत्साह है जो समग्र उन्नति के लिए आवश्यक माना जाता है। युवावस्था विकास की एक महत्वपूर्ण उम्र है, अनिश्चितता की अवधि जब सब कुछ उथल-पुथल में होता है। युवा कल की आशा हैं। वे देश के सबसे ऊर्जावान वर्गों में से एक हैं और इसलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं। सही मानसिकता और क्षमता से युवा देश के विकास में योगदान दे सकते हैं और उसे आगे बढ़ा सकते हैं।

आज की युवा पीढ़ी विभिन्न चीजों को पूरा करने की जल्दी में है और अंतिम परिणाम प्राप्त करने के लिए इतनी प्रेरित है कि वह अपने द्वारा चुने गए साधनों पर ध्यान नहीं देती है।  जबकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, वास्तुकला, इंजीनियरिंग और न जाने क्या-क्या क्षेत्र में कई प्रगति हुई है, हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि समय के साथ अपराध दर में भी वृद्धि हुई है। आज दुनिया में पहले से कहीं अधिक हिंसा हो रही है और इसका बड़ा हिस्सा युवाओं को माना जाता है।

  Top  

यूथ इन इंडिया रिपोर्ट – 2022

यूथ इन इंडिया 2022 रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 29 जून, 2022 को प्रकाशित की गई थी। यह श्रृंखला का चौथा अंक है। रिपोर्ट में ‘युवा’ को 15 से 29 वर्ष की आयु के सभी नागरिकों के रूप में परिभाषित किया गया है। 

यह सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के माध्यम से इस जनसांख्यिकीय के पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें लिंग और वैवाहिक स्थिति, आयु-विशिष्ट मृत्यु दर, एनीमिया की घटना, शिक्षा स्तर, नामांकन और उच्च शिक्षा में लिंग समानता आदि के आधार पर वितरण शामिल है।

यूथ इन इंडिया रिपोर्ट – 2022 निम्नलिखित है;  

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि 29 साल की औसत आयु के साथ, यह दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक है।
  • भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार मामलों के मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश की कुल आबादी में युवाओं (15-29 वर्ष की आयु) की हिस्सेदारी 27.2 प्रतिशत है। यह हिस्सेदारी 2036 तक घटकर 22.7 प्रतिशत होने की उम्मीद है। फिर भी, लगभग 345 मिलियन युवा आबादी बड़ी होने का अनुमान है।
  • भारत के अधिकांश राज्यों में, युवा आबादी का अनुपात गिरना शुरू होने से पहले 2011 में अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंच गया था। हालाँकि, केरल में, युवा आबादी 1991 में अपने चरम पर पहुँच गई और 2036 तक 11 प्रतिशत अंक घटने की उम्मीद है – 30.2 प्रतिशत से 19.2 प्रतिशत तक।
  • रिपोर्ट में उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) लगातार बढ़ा है। यह 20.8 प्रतिशत (2011-12) और 24.5 प्रतिशत (2015-16) से बढ़कर 2019-20 में 27.1 प्रतिशत हो गया है।  2019-20 में, महिलाओं के लिए GER (27.3 प्रतिशत) पुरुषों (26.9 प्रतिशत) की तुलना में अधिक था।
  • 15-29 वर्ष की आयु वालों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 12.9 प्रतिशत हो गई।
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 15 साल से कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों की संख्या में गिरावट आ रही है।  एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार, 15-19 वर्ष की आयु की लड़कियों में से 1.7 प्रतिशत की शादी 15 वर्ष की आयु तक हो चुकी थी। यह एनएफएचएस-3 (2005-06) में दर्ज 11.9 प्रतिशत से कम था।
  • 15-29 वर्ष की आयु की महिलाओं में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 1971 में प्रति महिला 5.2 बच्चों से घटकर 2019 में 2.1 बच्चों पर आ गई है। शहरी क्षेत्रों में टीएफआर (1.7 बच्चे) ग्रामीण क्षेत्रों (2.3 बच्चों) की तुलना में कम है  ), रिपोर्ट में कहा गया है।
  • भारत में 15-19 वर्ष आयु वर्ग के लिए किशोर मृत्यु दर 1971 में प्रति 1,000 जनसंख्या पर 2.4 मृत्यु से घटकर 2019 में 0.7 मृत्यु हो गई है। 20-24 वर्ष की आयु वालों के लिए मृत्यु दर प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1 मृत्यु थी और वृद्ध लोगों के लिए  25-29 वर्षों में यह प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1.2 मृत्यु थी।
  • श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) जनसंख्या के भीतर श्रम बल की हिस्सेदारी को मापता है।  2017-18 के दौरान श्रम बल में युवाओं की भागीदारी 38.2 प्रतिशत थी। 2020-21 के दौरान यह थोड़ा बढ़कर 41.4 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्रम बल में युवा महिलाओं की भागीदारी युवा पुरुषों की तुलना में बहुत कम है।
  • 2020-21 में, 15-29 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में, 5.85 प्रतिशत ‘साक्षर नहीं’ थे और 11.1 प्रतिशत ‘प्राथमिक तक साक्षर’ थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आयु वर्ग के लगभग 58.29 प्रतिशत लोगों ने माध्यमिक स्कूली शिक्षा या उससे आगे तक शिक्षा प्राप्त की है।  87.94 प्रतिशत के साथ, केरल में माध्यमिक स्तर या उससे अधिक शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों (15 से 29 वर्ष की आयु के बीच) का प्रतिशत सबसे अधिक था।
  • लिंग समानता सूचकांक (जीपीआई) पुरुषों और महिलाओं की शिक्षा तक सापेक्ष पहुंच को मापता है – 1 से कम का जीपीआई बताता है कि सीखने के अवसरों में लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक नुकसान होता है और 1 से अधिक का जीपीआई दूसरे तरीके का सुझाव देता है।”  उच्च माध्यमिक स्तर पर जीपीआई 2011-12 में 0.92 से बढ़कर 2020-21 में 1.03 हो गई।

युवा सशक्तिकरण का तात्पर्य, “ युवाओं को अपने जीवन पर नियंत्रण रखने और अपने भविष्य को आकार देने के लिए आवश्यक उपकरण, संसाधन और अवसर देने की प्रक्रिया से है।”

इसमें शिक्षा, सहायता और संसाधनों और निर्णय लेने की शक्ति तक पहुंच प्रदान करना शामिल है ताकि युवा अपने और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाने में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

युवाओं के सशक्तिकरण से गरीबी में कमी, आर्थिक विकास में वृद्धि और एक मजबूत समाज बन सकता है।

जापान में औसत आबादी वृद्ध और अंधेड उम्र के व्यक्तियों की है जबकि भारत में औसत आबादी युवा वर्ग की है, तब भी जापान दो बार परमाणु हमलों को झेलने के बाद भी हमसे कहीं ज्यादा विकसित है; इसकी वजह है, हमारे यहां के युवाओं में युवा सशक्तिकरण और स्वयं की कीमत का आभाव। 

“कभी भी किसी युवा को यह न बताएं कि कुछ नहीं किया जा सकता।”  – जी. एम. ट्रेवेलियन

युवा सशक्तिकरण को प्रभावित करने वाले कारक

युवा सशक्तिकरण को निम्न कारक प्रभावित करते हैं;

  • शिक्षा : युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना जो उन्हें सूचित निर्णय लेने और सक्रिय नागरिक बनने के लिए ज्ञान, कौशल और महत्वपूर्ण सोच क्षमता से युक्त करती है।
  • कौशल विकास: प्रशिक्षण और परामर्श कार्यक्रम की पेशकश जो युवाओं को कार्यबल में सफल होने और अपने समुदायों में पूरी तरह से भाग लेने के लिए आवश्यक तकनीकी और जीवन कौशल विकसित करने में मदद करती है।
  • उद्यमिता और रोजगार: युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना और समर्थन करना और उन्हें रोजगार के अवसरों और कैरियर विकास संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना।
  • नागरिक सहभागिता: युवाओं के नेतृत्व वाले संगठनों, युवा संसदों और समुदाय-आधारित पहलों सहित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और सार्वजनिक चर्चा में भाग लेने के लिए युवाओं को अवसर प्रदान करना।
  • स्वास्थ्य और कल्याण: शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और सहायता सेवाओं जैसे संसाधनों तक पहुंच के माध्यम से युवाओं के बीच शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार: सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए युवाओं को प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान करना।
  • कला और संस्कृति: युवाओं को रचनात्मक और सांस्कृतिक रूप से खुद को अभिव्यक्त करने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए सशक्त बनाना जो उनके जीवन और समुदायों को समृद्ध बनाते हैं।

युवा सशक्तिकरण का लाभ

युवा सशक्तिकरण के निम्न लाभ है; 

अपराध दर में कमी

खराब शिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी युवाओं के अपराध और हिंसा में शामिल होने के प्रमुख कारण हैं। इन कारकों के साथ, समाज में हमेशा उच्च स्तर की आपराधिक गतिविधियाँ घटित होंगी।

युवा सशक्तिकरण से अपराध दर में कमी आ सकती है क्योंकि यह युवाओं को सकारात्मक जीवन विकल्प चुनने और समाज के उत्पादक और जिम्मेदार सदस्य बनने के अवसर, संसाधन और सहायता प्रदान करता है।

जब युवाओं के पास शिक्षा, रोजगार और अन्य संसाधनों तक पहुंच होती है, तो उनके आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की संभावना कम होती है और समाज के उत्पादक सदस्य बनने की अधिक संभावना होती है।

गरीबी उन्मूलन

गरीबी उन्मूलन युवा सशक्तिकरण के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक है। युवाओं को सशक्त बनाने से कई तरह से गरीबी उन्मूलन में मदद मिल सकती है। शिक्षा और नौकरी प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करके, युवा अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां प्राप्त करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।  बदले में, उनके जीवन स्तर में सुधार हो सकता है और उन्हें गरीबी से बचने में मदद मिल सकती है।

इसके अतिरिक्त, जब युवा सामुदायिक विकास परियोजनाओं में शामिल होते हैं और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो वे नौकरियां पैदा कर सकते हैं और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

इससे उनके समुदायों में गरीबी कम करने और आर्थिक विकास का एक अच्छा चक्र बनाने में मदद मिल सकती है।

रोजगार का सृजन

युवाओं को सशक्त बनाने से रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। शिक्षा, संसाधन और नौकरी प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करके, युवा अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां प्राप्त करने और समाज के उत्पादक सदस्य बनने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

 जब युवाओं को उद्यमी बनने और व्यवसाय शुरू करने के लिए सशक्त और प्रोत्साहित किया जाता है, तो इससे नए उत्पादों और सेवाओं के विकास, नई और नवीन प्रौद्योगिकियों की शुरूआत और नए बाजारों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

इससे युवा रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकते हैं।

राजनीतिक कार्यों में वृद्धि

जब युवा सशक्त होते हैं, तो वे राजनीतिक रूप से अधिक सक्रिय और संलग्न हो जाते हैं, जिससे अधिक जानकारीपूर्ण और भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र बनता है।

नवीनता और रचनात्मकता में वृद्धि

सशक्त युवा अक्सर अधिक नवीन और रचनात्मक होते हैं, जो सामाजिक समस्याओं के लिए नए विचार और समाधान उत्पन्न करने में मदद करता है।

बेहतर वैश्विक नागरिकता

वैश्विक चिंताओं को दूर करने और अधिक शांतिपूर्ण और टिकाऊ दुनिया को बढ़ावा देने के लिए, युवा सशक्तिकरण युवाओं को इसमें अपना स्थान पहचानने और उचित कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।

बेहतर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान

सशक्त युवा बेहतर निर्णय लेते हैं और अधिक स्वतंत्रता रखते हैं क्योंकि सशक्तिकरण से उनका आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है।

आज के युवा निम्नलिखित समस्याओं के शिकार है, इनमे से कुछ के जिम्मेदार वो स्वयं है, जबकि कुछ के जिम्मेदार कुछ अन्य कारक हैं। 

“आप केवल एक बार युवा होते हैं, और यदि आप इसे सही तरीके से काम करते हैं, तो एक बार ही काफी है।” – जो ई. लुईस

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर बहुत अधिक समय बिताने से युवा लोग अपने साथियों के साथ व्यक्तिगत गतिविधियों, जैसे खेल, से वंचित हो सकते हैं, जो अवसाद को दूर करने में मदद कर सकते हैं। 

यौन गतिविधि

2019 यूथ रिस्क बिहेवियर सर्विलांस सिस्टम (YRBSS) सर्वेक्षण में, हाई स्कूल के 38% छात्रों ने बताया कि उन्होंने कभी सेक्स किया है;  27.4% ने कहा कि वे वर्तमान में यौन रूप से सक्रिय हैं। 

वेब सीरीज, विज्ञापनों और फिल्मों ने युवाओं और किशोरों को यौन संबंधी गतिविधियों की ओर प्रेरित किया है। 

नशे के प्रयोग

2021 में, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 3% किशोरों (8वीं, 10वीं और 12वीं कक्षा में) ने बताया कि वह प्रतिदिन नशीली दवाओं का उपयोग करने की सूचना दी। 

भारत में भी ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चे घर में बड़ो को गुटखा पान और सिगरेट का सेवन करते देखते हैं और बहुत ही कम उम्र में वे भी इन सबका सेवन करने लग जाते हैं। 

सोशल मीडिया 

फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर एक-दूसरे से जुड़ने के बेहतरीन तरीके हो सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया कई कारणों से समस्याग्रस्त हो सकता है। सोशल मीडिया दोस्ती पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और युवाओं के डेट करने के तरीके को बदल रहा है। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। 

छोटे बच्चे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे भविष्य की नींव हैं।  वे आज हमारे भागीदार हैं, लेकिन कल वे हमारे नेता बन जायेंगे। युवा उत्साहित और ऊर्जावान हैं। वे नए कौशल सीखने और गतिशील परिवेश के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम हैं। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की केन्द्रीय भूमिका है।

किसी राष्ट्र के युवाओं के बिना, वह जीवित नहीं रह सकता।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस उद्योग में आगे बढ़ना चाहते हैं – चाहे वह प्रौद्योगिकी हो या खेल – युवाओं की आवश्यकता है। हमें यह तय करना होगा कि इस कार्य को प्रभावी ढंग से करने में उनकी सहायता कैसे की जाए।  सभी बच्चों को उनकी क्षमता और देश के विकास में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। 

कौशल विकास कार्यक्रम: स्किल इंडिया पहल का प्रमुख लक्ष्य युवाओं को कौशल में उचित प्रशिक्षण देना है।  इसके अतिरिक्त, यह राष्ट्र में प्रतिभा विकास की संभावनाओं के साथ-साथ उपेक्षित क्षेत्रों के लिए कुल दायरे और स्थान को बढ़ाने की आकांक्षा रखता है।

राष्ट्रीय विकास में युवाओं की भूमिका: राजनीति, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान का भविष्य युवाओं के हाथों में है।  विश्व वर्तमान में जिन समस्याओं का सामना कर रहा है उनमें अकाल, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के अन्य रूप शामिल हैं। 

आने वाली पीढ़ी के पास इन सभी समस्याओं का समाधान है। किसी भी राष्ट्र में युवा जनसंख्या के सबसे महत्वपूर्ण और ऊर्जावान तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि बड़ी युवा आबादी वाले विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास देख सकते हैं यदि वे युवाओं के अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करते हैं। आज का युवा मस्तिष्क कल का नेता, आविष्कारक, निर्माता और नवप्रवर्तक बनेगा।

वैश्वीकरण और भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण, विशेष रूप से खुदरा और सेवा उद्योगों में, नौकरी की असंख्य संभावनाएँ संभव हैं। 

पहले कम महत्वपूर्ण माने जाने वाले, पारस्परिक व्यवहार, संचार, प्रस्तुति, ग्राहक प्रबंधन, कंपनी की वृद्धि, कंप्यूटर क्षमता और बातचीत करने की क्षमता अब उम्मीदवारी के लिए आवश्यक हैं। 

आज प्रवेश स्तर की रोजगार आवश्यकताओं में ग्राहकों को फोन पर या ईमेल के माध्यम से कुशलतापूर्वक संभालना, टीमों में अच्छा काम करना, प्रेजेंटेशन देना और ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत रूप से व्यवहार करना शामिल हो गया है।

युवाओं की भूमिका: पूरे विश्व में भारत के युवाओं की जनसंख्या सबसे अधिक है।  इससे भारत को अन्य देशों पर बढ़त मिलती है।  दुनिया के विकसित धनी देशों में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी बढ़ रही है। 

इसके अतिरिक्त, आजादी के 75 वर्षों के बाद भारतीय अधिक से अधिक शिक्षित हो रहे हैं, इससे भारत के युवाओं को रोजगार के बहुत सारे अवसर मिल रहे हैं। भारत विज्ञान और व्यापार के कई क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहा है।

भारतीय युवा भारत के साथ-साथ कुछ हद तक पूरे विश्व की उन्नति की कुंजी रखते हैं। यदि युवाओं को प्रभावी नेता, आविष्कारक और नवप्रवर्तक बनना है जो दुनिया को बदल सकते हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन्हें उत्कृष्ट स्वास्थ्य, प्रशिक्षण और शिक्षा तक पहुंच प्रदान की जानी चाहिए। जब युवा किसी पर निर्भर रहने के बजाय रोजगार प्राप्त करेंगे और पैसा पैदा करेंगे, तो देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।

युवाओं में उन अधिकांश समस्याओं को ठीक करने की क्षमता है जिनका सामना हमारा देश अब कर रहा है। आज के युवाओं को सफल होने के लिए केवल अवसर की आवश्यकता है। 

महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ कई प्रदर्शनों के माध्यम से, हमने देखा है कि युवा कैसे सभी जातीय समूहों के लोगों को एक साथ ला सकते हैं।  हर दशक के अंत में युवा तय करते हैं कि कोई राष्ट्र कौन सा रास्ता अपनाएगा।

जोश और ऊर्जा से भरे किसी बड़े सपने को संजोने के लिए युवावस्था स्वर्णिम काल है। हालाँकि, यह दौर रोमांच से भरा भी है, फिर भी उन्हें खुली आँखों से देखना होगा।  यही समय है जब हम समाज के आर्थिक विकास के लिए अपने विचारों को मूर्त रूप दे सकते हैं। नाटकों, परियोजनाओं, खेलों और अन्य में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना अत्यधिक कल्पना को नियंत्रित करने के बहुत अच्छे तरीके हैं। साथ ही, यह उस मंजिल की ओर बढ़ने का समय है जिसे व्यावसायिक जागरूकता और व्यक्तिगत मतभेदों के आलोचनात्मक अध्ययन के माध्यम से संभव बनाया जा सकता है   Top  

Submit a Comment Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Hindi Essays

  • असंतुलित लिंगानुपात पर निबंध
  • परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर निबंध
  • चंद्रयान 3 पर निबंध
  • मुद्रास्फीति पर निबंध
  • युवाओं  पर निबंध
  • अक्षय ऊर्जा: संभावनाएं और नीतियां पर निबंध
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध
  • सच्चे धर्म पर निबंध
  • बैंकिंग संस्थाएं और उनका महत्व पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति के प्रमुख लाभ पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार पर निबंध
  • समय के महत्व पर निबंध
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध
  • सामाजिक न्याय के महत्व पर निबंध
  • छात्र जीवन पर निबंध
  • स्वयंसेवी कार्यों पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • आधुनिक विज्ञान और मानव जीवन पर निबंध
  • भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है
  • दूरस्थ शिक्षा पर निबंध
  • प्रधानमंत्री पर निबंध
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता
  • हमारे राष्ट्रीय चिन्ह पर निबंध
  • नक्सलवाद पर निबंध
  • आतंकवाद पर निबंध
  • भारत के पड़ोसी देश पर निबंध
  • पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी पर निबंध
  • किसान आंदोलन पर निबंध
  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध
  • डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • बसंत ऋतु पर निबंध
  • भारत में साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • भारत में चुनावी प्रक्रिया पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • स्टार्टअप इंडिया पर निबंध
  • फिट इंडिया पर निबंध
  • द्रौपदी मुर्मू पर निबंध
  • क्रिप्टो करेंसी पर निबंध
  • सौर ऊर्जा पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध
  • शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध
  • टेलीविजन पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध
  • टीचर्स डे पर निबंध
  • वैश्वीकरण पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध
  • मेक इन इंडिया पर निबंध
  • भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध
  • वेस्ट नील वायरस पर निबंध
  • पीएसयू का निजीकरण पर निबंध
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध
  • आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध
  • सोशल मीडिया की लत पर निबंध
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • मृदा प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • गाय पर हिंदी में निबंध
  • वन/वन संरक्षण पर निबंध
  • हिंदी में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • चंद्रयान पर निबंध
  • हिंदी में इंटरनेट पर निबंध
  • बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध
  • ताजमहल पर निबंध
  • हिंदी में अनुशासन पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
  • हिंदी में दिवाली पर निबंध
  • होली पर निबंध
  • नोट-बंदी या विमुद्रीकरण पर निबंध
  • निबंध लेखन, हिंदी में निबंध

Hindi Writing Skills

  • Formal Letter Hindi
  • Informal Letter Hindi
  • ई-मेल लेखन | Email Lekhan in Hindi Format
  • Vigyapan Lekhan in Hindi
  • Suchna lekhan
  • Anuched Lekhan
  • Anuchchhed lekhan
  • Samvad Lekhan
  • Chitra Varnan
  • Laghu Katha Lekhan
  • Sandesh Lekhan

HINDI GRAMMAR

  • 312 हिंदी मुहावरे अर्थ और उदाहरण वाक्य
  • Verbs Hindi
  • One Word Substitution Hindi
  • Paryayvaachi Shabd Class 10 Hindi
  • Anekarthi Shabd Hindi
  • Homophones Class 10 Hindi
  • Anusvaar (अनुस्वार) Definition, Use, Rules, 
  • Anunasik, अनुनासिक Examples
  • Arth vichaar in Hindi (अर्थ विचार), 
  • Adverb in Hindi – क्रिया विशेषण हिंदी में, 
  • Adjectives in Hindi विशेषण, Visheshan Examples, Types, Definition
  • Bhasha, Lipiaur Vyakaran – भाषा, लिपिऔरव्याकरण
  • Compound words in Hindi, Samaas Examples, Types and Definition
  • Clauses in Hindi, Upvakya Examples, Types 
  • Case in Hindi, Kaarak Examples, Types and Definition
  • Deshaj, Videshaj and Sankar Shabd Examples, Types and Definition
  • Gender in Hindi, Ling Examples, Types and Definition
  • Homophones in Hindi युग्म–शब्द Definition, Meaning, Examples
  • Indeclinable words in Hindi, Avyay Examples, Types and Definition
  • Idioms in Hindi, Muhavare Examples, Types and Definition
  • Joining / combining sentences in Hindi, Vaakya Sansleshan Examples, Types and Definition
  • संधि परिभाषा, संधि के भेद और उदाहरण, Sandhi Kise Kehte Hain?
  • Noun in Hindi (संज्ञा की परिभाषा), Definition, Meaning, Types, Examples
  • Vilom shabd in Hindi, Opposite Words Examples, Types and Definition
  • Punctuation marks in Hindi, Viraam Chinh Examples, Types and Definition
  • Proverbs in Hindi, Definition, Format, मुहावरे और लोकोक्तियाँ
  • Pronoun in Hindi सर्वनाम, Sarvnaam Examples, Types, Definition
  • Prefixes in Hindi, Upsarg Examples, types and Definition
  • Pad Parichay Examples, Definition
  • Rachna ke aadhar par Vakya Roopantar (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) – Types , Example
  • Suffixes in Hindi, Pratyay Examples, Types and Definition
  • Singular and Plural in Hindi (वचन) – List, Definition, Types, Example
  • Shabdo ki Ashudhiya (शब्दों की अशुद्धियाँ) Definition, Types and Examples
  • Shabdaur Pad, शब्द और पद Examples, Definition, difference in Shabd and Pad
  • Shabd Vichar, शब्द विचार की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Hindi Vyakaran Shabad Vichar for Class 9 and 10
  • Tenses in Hindi (काल), Hindi Grammar Tense, Definition, Types, Examples
  • Types of sentences in Hindi, VakyaVishleshan Examples, Types and Definition
  • Voice in Hindi, Vachya Examples, Types and Definition
  • Verbs in Hindi, Kirya Examples, types and Definition
  • Varn Vichhed, वर्ण विच्छेद Examples, Definition
  • Varn Vichar, वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण
  • Vaakya Ashudhhi Shodhan, वाक्य अशुद्धिशोधन Examples, Definition, Types
  • List of Idioms in Hindi, Meaning, Definition, Types, Example

Latest Posts

  • Teacher’s Day Wishes in Hindi | शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ
  • Ganesh Chaturthi Wishes in Hindi | गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ
  • Life Summary, Explanation, Theme | Maharashtra State Board Class 9 English
  • The Gift of the Magi Question Answers Class 10 Maharashtra State Board
  • Olympics 2024 MCQ Quiz | Paris Olympics 2024 MCQs
  • The Gift of the Magi Summary, Explanation, Theme | Maharashtra State Board Class 10 English Lesson
  • Character Sketch of the Writer (Dr. Bhimrao Ambedkar)| Shram Vibhaajan Aur Jaati-Pratha
  • Character Sketch of the Writer (Hazari Prasad Dwivedi)| Shirish ke Phool
  • Ganesh Chaturthi Wishes in Hindi
  • Janmashtami Messages in Hindi
  • Raksha Bandhan Wishes in Hindi
  • Birthday Wishes in Hindi
  • Anniversary Wishes in Hindi
  • Father’s Day Quotes and Messages
  • Father’s Day quotes in Hindi
  • International Yoga Day Slogans, Quotes and Sayings
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस Slogans, Quotes and Sayings
  • Good Morning Messages in Hindi
  • Good Night Messages in Hindi | शुभ रात्रि संदेश
  • Wedding Wishes in Hindi

Important Days

  • National Space Day Quiz| National Space Day MCQs
  • World Soil Day – Date, History, Significance
  • International Yoga Day Slogans, Quotes and Sayings by Famous people 2024
  • Calendar MCQ Quiz for Various Competitive Exams
  • CUET 2024 MCQ Quiz on Important Dates

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध

Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh : राष्ट्र निर्माण का अर्थ बॉर्डर पर खड़ी आर्मी या देश में बैठे सांसद से नहीं होता। उनकी अहम भूमिका होती है देश या राष्ट्र का निर्माण लोगों से होता है और उनकी की मदद से देश का निर्माण होता है, जो छोटे-मोटे काम करके देश के व्यापार को बढ़ावा देते है और देश की जीडीपी में अपना योगदान देते है।

हम यहां पर राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान से सम्बंधित सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (250 शब्द).

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थी की एक अहम भूमिका होती है क्योंकि विद्यार्थी अपने ज्ञान का इस्तेमाल रोजगार के व्यवसाय के लिए करता है, जिससे देश आगे बढ़ता है। जितना अच्छा व्यवसाय और रोजगार एक विद्यार्थी कर पाएगा देश में उतनी ही प्रगति हो पाएगी। एक विद्यार्थी का राष्ट्र निर्माण में भूमिका उसके ज्ञान से पता चलता है।

अगर किसी देश के अधिकतर विद्यार्थी ज्ञानी है, तो वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल किसी ने विकास रोजगार या व्यवसाय में करेंगे जिससे देश को अनेक उपलब्धियां मिलेगी। आज ज्ञान की आवश्यकता हर किसी को है क्योंकि हमारा देश किसी राजा के नहीं प्रजा के आधीन हो चुका है। इस वजह से सरकार ने शिक्षा का स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के नीति और नियम बनाए हैं।

एक विद्यार्थी के लिए विद्याआम भूमिका निभाती है। विद्या हमें विभिन्न प्रकार के विषम परिस्थिति में सही फैसला लेना अनुशासन और व्यक्तित्व को बढ़िया बनाने का ज्ञान देती है, जिससे एक राष्ट्र को सही दिशा मिल सके और राष्ट्र को अच्छी तरह की हो।

एक अच्छे देश का निर्माण तभी हो सकता है जब सरकार अच्छी नीतियों को लेकर आए और सरकार अच्छी नीतियों को तभी ला सकती है जब वहां के लोग जागरूक होंगे और उस नीति को समझने की ताकत रखते होंगे।

किसी नीति के लाभ और हानि को हम शिक्षा के आधार पर समझ सकते है और शिक्षा ग्रहण करने का काम एक विद्यार्थी का होता है इसी वजह से राष्ट्र निर्माण का भार एक विद्यार्थी के कंधों पर आता है। आपको इस बात की समझ होनी चाहिए कि देश के लिए क्या सही है और क्या गलत है इसका फैसला के आधार पर कर सकते है ।

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (850 शब्द)

किसी भी राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थी की अहम भूमिका होती है, इस बात को हम विद्यार्थी शब्द से ही समझ सकते है। विद्यार्थी उस व्यक्ति को कहते है जो विद्या ग्रहण करने का काम करता है विद्या अर्थात शिक्षा। शिक्षा ही वह ताकत है, जिसकी मदद से एक व्यक्ति विषम परिस्थिति में सही फैसला लेना सीख पाता है। साथ ही अनुशासन और व्यवहार के बारे में सीख पाता है।

आखिर समझदारी कहीं बिकती नहीं है, इस समझदारी का आधार शिक्षा ही होता है हमारे पास जितनी अधिक शिक्षा हो कि हम इतने विभिन्न प्रकार के चीजों को समझ पाएंगे और उनके बारे में बात कर पाएंगे जिससे ना केवल हमारा व्यक्तित्व बल्कि हमारा भविष्य भी निखरेगा। 

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका

सरकार इस बात को समझती है इस वजह से शिक्षा को अहम भूमिका दिया जा रहा है। एक शिक्षित व्यक्ति देश के विकास में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति ही देश के विभिन्न परिस्थितियों में सही फैसले लेने में मदद कर सकता है साथ ही उसके द्वारा की गई नौकरी और व्यवसाय सफल होती है जिसका फायदा भी देश को होता है।

हम अपने देश के इतिहास और वर्तमान परिस्थिति को देख कर भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि एक विद्यार्थी का देश निर्माण में कितनी अहम भूमिका होती है। आज हमारे देश का जो संविधान है उसे कुछ शिक्षित लोगों के द्वारा लिखा गया तभी जाकर आज सभी व्यक्तियों को उनका अधिकार मिल पा रहा है।

देश में कुछ भी गलत होता है तो उसके लिए कानून व्यवस्था बनाई गई, जो एक शिक्षित व्यक्ति के द्वारा किया गया तभी जाकर देश से चल पा रहा है। इस बात से हम समझ सकते हैं कि शिक्षा कितनी आवश्यक है और जो व्यक्ति शिक्षा को ग्रहण करेगा वह विद्यार्थी की श्रेणी में आ जाता है। इस वजह से इतिहास से लेकर वर्तमान और आने वाले भविष्य तक एक अच्छा विद्यार्थी अच्छे देश को निर्माण करने का श्रेय ले सकता है। 

देश निर्माण में विद्यार्थी की भूमिका

शिक्षा ग्रहण करने से एक व्यक्ति या समझ पाता है कि देश के प्रति उसके क्या कर्तव्य है और उसके क्या अधिकार है, जिसकी वजह से वह देश को आगे बढ़ाने में मदद करता है। 

जब एक विद्यार्थी विद्या ग्रहण करता है और खुद को इतना सजग बनाता है कि वह देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ सके और उसे सफलतापूर्वक पूरा कर सके, तो इस सफर में उसका कर्तव्य होता है कि वह इतनी शिक्षा ग्रहण करें कि वह अपने अधिकार को समझ सके। साथ ही इसके बारे में समाज में जागरूकता फैला सके। शिक्षा के जरिए इतनी समझदारी पा सके कि ना केवल अपने जीवन बल्कि समाज में हो रहे हो प्रथाओं को बंद करने में सरकार की मदद भी कर सके। 

एक विद्यार्थी का कर्तव्य यहीं खत्म नहीं होता, ऐसा माना जाता है कि जब तक शिक्षा का लाभ है व्यक्ति को और देश को ना हो तब तक वह शिक्षा व्यर्थ है। इस वजह से एक विद्यार्थी का यह भी कर्तव्य होता है कि वह अच्छा व्यवसाय या नौकरी करें, जिससे उसके परिवार को अच्छी सुविधा मिल सके ताकि उसके बाद वह समाज के लिए कुछ अच्छा करें और एक यह अंततः देश को आगे बढ़ाने में उसकी भूमिका होगी। 

विद्यार्थी जीवन किस प्रकार देश को समर्थन करता है

विद्यार्थी का जीवन काफी मुसीबतों से भरा होता है। उसे अपने जीवन में शिक्षा को ग्रहण करना होता है ताकि वह विभिन्न प्रकार के नजरिए को उत्पन्न कर सके और उसके जीवन में आने वाली परेशानियों को वह एक अलग नजरिए से देख सके। एक विद्यार्थी जीवन देश को तब समर्थन देता है, जब उसके ज्ञान की वजह से वह कोई अच्छा व्यवसाय या नौकरी कर पाता है क्योंकि इसका टैक्स देश को जाता है।

इसके अलावा एक विद्यार्थी देश को तब समर्थन देता है, जब वह अपने परिवार के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं को लेकर आता है और परिवार की कुशलता के बात अपने आसपास के समाज के बारे में सोचता है और समाज में हो रहे कुप्रभाव को बंद करता है या विभिन्न प्रकार के बदलाव को लाता है। 

आखिर हमारे आस पास जो भी प्रगति हुई है, वह एक शिक्षित व्यक्ति के द्वारा की गई है।उसने अपने जीवन में शिक्षा को पाया और लोगों की समस्या का समाधान ढूंढा तब जाकर हमें आज विभिन्न प्रकार के अविष्कार देखने को मिले।

कुछ शिक्षित व्यक्तियों को अपने अधिकार की समझ हुई और उन्होंने इसकी जागरूकता देशभर में फैलाई पर आज हमारा देश आजाद होकर अपना स्वयं का कानून बना पा रहा है। यह सब एक शिक्षित व्यक्ति की वजह से हुई, जो एक विद्यार्थी जीवन जीकर अपनी विद्या को ग्रहण कर पाया। 

निष्कर्ष 

विद्यार्थी जीवन हमें अनुशासन सिखाता है। एक नया नजरिया सिखाता है। साथ ही कड़ी मेहनत करके किस प्रकार किसी चीज को पाया जाता है यह बताता है, जिसका इस्तेमाल हम अपने जीवन में करके ना केवल देश को बल्कि अपने जीवन को भी सफल बना पाते हैं। राष्ट्र की रक्षा करना और उनकी उन्नति में योगदान देना हर विद्याथियों का कर्त्तव्य है।

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर किया गया यह  राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh) आपको पसंद आया होगा। यदि आपको इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही कमेंट में यह भी बताएं कि आपको यह निबंध कैसा लगा।

  • विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • शिष्टाचार पर निबंध

Ripal

Related Posts

Leave a comment जवाब रद्द करें.

Hindi Essay on “Rashtriya Nirman me Vidyarthiyo ka Yogdan”, “राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान

Rashtriya Nirman me Vidyarthiyo ka Yogdan

विद्यार्थी का अर्थ है-विद्या + अर्थी अर्थात् विद्या का इच्छुक या विद्या को प्राप्त करने वाला। विद्या ग्रहण करना विद्यार्थी का धर्म और कर्तव्य है। विद्या-ग्रहण करना ही विद्या का धर्म और कर्त्तव्य नहीं है, अपितु इस विद्या को समाज और राष्ट्र के प्रति उपयोग करना भी विद्यार्थी का धर्म और कर्तव्य है। विद्यार्थी का जीवन एक पुनीत संस्कार और सभ्यता का जीवन होता है। वह इस  अवधि में अपने अन्दर दिव्य संस्कारों को ज्योति जलाता है। ये संस्कार ही धर्म, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्यबद्ध होने की उसे प्रेरणा दिया करते हैं। इनसे प्रेरित होकर ही विद्यार्थी अपने प्राणों का समर्पण और उत्सर्ग किया करती है। इस प्रकार से दिव्य संस्कार का विकास प्राप्त करके विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के प्रति अपना कोई-न-कोई योगदान करता ही रहता है।

राष्ट्र के प्रति विद्यार्थी का योगदान बहुत बड़ा और विस्तृत भी है। वे अपने योगदान के द्वारा राष्ट्र को उन्नत और समृद्ध बना सकते हैं। राष्ट्र के प्रति विद्यार्थी तभी योगदान कर सकता है, जब वह अपनी निष्ठा और सत्याचरण को श्रेष्ठ और महान् बनाकर इस कार्य क्षेत्र में उतरता है। राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों का कर्म-क्षेत्र बहुत ही अद्भुत और अनुपम है; क्योंकि वह शिक्षा-ग्रहण करते हुए भी समाज और राष्ट्र के हित के प्रति अपना अधिक-से-अधिक योगदान दे सकता है। यह सोचते हुए यह विचित्र आभास होता है कि शिक्षा और राजनीति दोनों पहलओं को लेकर विद्यार्थी कैसे आगे बढ़ सकता है, क्योंकि विद्या और राजनीति का सम्बन्ध परस्पर भिन्न और विपरीत है। अतएव विद्यार्थी का अपने समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान देना और इसका निर्वाह करना अत्यन्त विकट और देकर कार्य है। फिर एक समाज चिन्तक और राष्ट्रभक्त विद्यार्थी विद्याध्ययन करते हुए भी अपना कोई-न-कोई योगदान अवश्य दे सकता है। अगर ऐसा कोई विद्यार्थी करने में अपनी योग्यता का परिचय देता है, तो निश्चय ही वह महान् राष्ट्र-धर्मी, राष्ट्र का नियामक और राष्ट्र नायक हो सकता है।

विद्यार्थियों का अपने राष्ट्र और समाज के प्रति बहुत ही दिव्य और अनोखा योगदान होता है। इसलिए विद्यार्थियों को अपने राष्ट्र के प्रति योगदान देने के लिए। अपनी शिक्षा को पूर्णरूप से निर्वाह करना चाहिए। इसके लिए उन्हें अपने उद्देश्य के प्रति जागरुक होना चाहिए।

शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट उपलब्धियों को अर्जित करके ही विद्यार्थी राष्ट्र और समाज के प्रति कर्तव्यनिष्ठ हो सकता है। विद्यार्थी को एक आदर्श और कर्तव्यनिष्ठता का पाठ अच्छी तरह से याद करके ही राष्ट्र और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को निभाना चाहिए; अन्यधा वह न इधर का रहेगा और न उधर का ही रहेगा। एक चेतनशील विद्यार्थी ही राष्ट्र और समाज के प्रति उत्तरदायी हो सकता है, जबकि लापरवाह विद्यार्थी राष्ट्र के प्रति गद्दार और राष्ट्रद्रोही होता है। राष्ट्र और समाज को एकरूप देने के लिए आदर्श विद्यार्थी महान् राष्ट्र नायकों और राष्ट्र की महान विभूतियों की जीवनी को सिद्धान्ततः अपनाते हुए ही राष्ट्र-निर्माण की दिशा में अग्रसर हो सकता है। अतएव राष्ट्र-निर्माण के प्रति विद्यार्थी का योगदान सर्वथा। महान् और उच्च होता है।

राष्ट्र के प्रति योगदान देने वाले विद्यार्थी को केवल नेतागिरी या लच्छेदार वाक्यों का वाचन नहीं करना चाहिए, अपितु उसे सब प्रकार के कार्यों का अनुभव-सहित और ढंग से होना चाहिए। अपने राष्ट्र के धर्म और संस्कृति का रक्षक और हितैषी विद्यार्थी इसकी शान-आन पर मर-मिटने के लिए हाथ में प्राणों को लेकर ही राष्ट्र के प्रति योगदान देने में सवल और समर्थ हो सकता है।

Related Posts

Hindi-Essays

Absolute-Study

Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Home

  • Website Inauguration Function.
  • Vocational Placement Cell Inauguration
  • Media Coverage.
  • Certificate & Recommendations
  • Privacy Policy
  • Science Project Metric
  • Social Studies 8 Class
  • Computer Fundamentals
  • Introduction to C++
  • Programming Methodology
  • Programming in C++
  • Data structures
  • Boolean Algebra
  • Object Oriented Concepts
  • Database Management Systems
  • Open Source Software
  • Operating System
  • PHP Tutorials
  • Earth Science
  • Physical Science
  • Sets & Functions
  • Coordinate Geometry
  • Mathematical Reasoning
  • Statics and Probability
  • Accountancy
  • Business Studies
  • Political Science
  • English (Sr. Secondary)

Hindi (Sr. Secondary)

  • Punjab (Sr. Secondary)
  • Accountancy and Auditing
  • Air Conditioning and Refrigeration Technology
  • Automobile Technology
  • Electrical Technology
  • Electronics Technology
  • Hotel Management and Catering Technology
  • IT Application
  • Marketing and Salesmanship
  • Office Secretaryship
  • Stenography
  • Hindi Essays
  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

Hindi Essay on “Rashtriya Ekta” , ” राष्ट्रीय एकता ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राष्ट्रीय एकता.

Best 4 Essay ” Rashtriya Ekta”

निबंध नंबर : 01 

एकता में बल है – हिंदी के कहानीकार सुदर्शन लिखते है – “ओस की बूंद से चिड़िया भी नहीं भीगती किंतु मेंह से हाथी भी भीग जाता है | मेंह बहुत कुछ कर सकता है |” शक्ति के लिए एकता आवश्यक है | विखराव या अलगाव शक्ति को कर करते है तथा ‘एकता’ उसे मज़बूत करती है |

                राष्ट्र के लिए ‘एकता’ आवश्यक – किसी भी राष्ट्र के लिए एकता का होना अत्यंत आवश्यक है | भारत जैसे विविधताओं भरे देश में तो राष्ट्रिय एकता ही सीमेंट का कम कर सकती है | पिछले कई वर्षो से पाकिस्तान भारत में हिन्दू-सिख या हिन्दू-मुसलमान का भेद खड़ा करके इसी सीमेंट को उखाड़ना चाह रहा है | अंग्रेजों ने हिन्दू और मुसलमान का भेद खड़ा करके भारत पर सैंकड़ो वर्ष तक राज किया | परंतु जब भारत की भोली जनता ने अपने भेद-भाव भुलाकर ‘भारतीयता’ का परिचय दिया, तो विश्वजयी अंग्रेजों को देख छोड़कर वापस जाना पड़ा |

       एकता के बाधक तत्व – भारत में धर्म, भाषा, प्रांत, रंग, रूप, खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार की इतनी विविधता है किइसमें राष्ट्रिय एकता होना कठिन काम है |कहीं प्रांतवाद के नाम पर कश्मीर, पंजाब, नागालैंड, गोरखालैंड आदि अलग होने की बात करते है | कहीं हिंदी और अहिंदी प्रदेश का झगड़ा है | कही उत्तर-दक्षिण का भेद है | कहीं मंदिर-मस्जिद का विवाद है |

       एकता तोड़ने के दोषी – राष्ट्रय एकता तोड़ने के वास्तविक दोषी हैं – राजनीतक नेता | वे अपने वोट-बैंक बनाने के लिए किसी को जाती के नाम पर तोड़तें है, किसी को धर्म, भाषा, प्रांत, पिछड़ा-अगड़ा, स्वर्ग-अव्रण के नाम पर |

       एकता के तत्व – भारत के लिए सबसे सुखद बात यह है कि यहाँ एकता बनाए रखने वाले तत्वों की कमी नहीं है | राम-कृष्ण के नाम पर जहाँ सारे हिन्दू एक हैं, मुहम्मद के नाम पर मुसलमान एक हैं ; वहाँ गाँधी, सुभाष के नाम पर पूरा हिंदुस्तान एक है | आज जब कश्मीर पर सकंट घिरता है तो केरलवासी भी व्यथित होता है | पहाड़ों में भूकंप आता है तो सुचना भारत उसकी सहायता करने को उमड़ पड़ता है | जब अमरनाथ-यात्रा में फँसे नागरिकों को मुसलमान बचाते हैं, दंगों के वक्त हिन्दू पडोसी मुसलमानों को शरण देते है |

       एकता दृढ़ करने के उपाए – राष्ट्रिय एकता को अधिक दृढ़ करने के उपाए यह है कि भेद्वाव पैदा करने वाले सभी कानूनों और नियमों को समाप्त किया जाय | सारे देश में एक ही कानून हो | अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया जाय | सरकारी नोक्रियों में अधिक-से-अधिक दुसरे प्रान्तों में स्थानांतरण हों ताकि समूचा देश सबका साझा बन सके | सब नजदीक से एक-दुसरे का दुःख-दर्द जन सकें | राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन देने वाले लोंगो और कार्यों को आदर दिया जाये | कलाकारों और साहित्यकारों को एकता-वर्द्धक साहित्य लिखना चाहिए | इस पुनीत कार्य मैं समाचार-पत्र, दूरदर्शन, चलचित्र बहुत कुछ कर सकते हैं |

निबंध नंबर : 02 

राष्ट्रीय एकता का महत्व

प्रस्तावना – भारत में अनेक धर्मों, जातियों एवं भाषाओं के लोग निवास करते हैं। अनेकता में एकता भारत की मुख्य विशेषता है, परन्तु समय-समय पर इस देश की एकता को खण्डित करने के लिए विरोधियों द्वारा हरराम्भव प्रयास किये जाते रहे हैं।

एकता में जुट के कारण ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी करनी पड़ी। उन्होंने देश की एकता को खण्डित कर देशवासियों पर हुकूमत की तथा उनको अपमानित कर उनके साथ दुव्यवहार किया। अंग्रेजों की नीति के कारण ही आजादी के बाद भारत दो भागों में विभाजित हो गया-एक हिन्दुस्तान दूसरा पाकिस्तान।

अंग्रेजों की फूट की नीति के कारण ही दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन बने। पर हमारी सरकार द्वारा एकता बनाये रखने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। देश के सभी नागरिक अपने वतन की रक्षा के लिए मिलकर आगे बढ़ रहे हैं और शत्रुओं से देश की रक्षा करते हैं। वस्तुत: राष्ट्रीय एकता के ना तो कोई देश समृद्धिशाली बन सकता है ना ही विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है।

राष्ट्रीय एकता से अभिप्राय – राष्ट्रीय एकता से अभिप्राय देश में रहने वाले सभी धर्मों, जातियों एवं भाषाओं से सम्बन्धित लोगों का एक साथ मिल-जुल कर रहने से है। देश की एकता को बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा यह कानून बनाया गया कि देश का कोई भी नागरिक कोई भी धर्म अपना सकता है, चाहे वह हिन्दू हो, मुसलमान हो, सिक्ख या ईसाई हो। कोई किसी भी धर्म की लड़की या लड़के से शादी कर सकता है। ऐसा धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार में कहा गया है। अपने-अपने विश्वास से धर्म मानने की प्रत्येक को आज़ादी है |

इस प्रकार हमारे देश के लोगों के कर्मकाण्ड, रहन-सहन,  बोल-चाल, पूजा-पाठ्, खान-पान और वेशभूषा में अन्तर हो सकता है, इनमें अनेकता हो सकती है किन्तु हमारे की मुख्य विशेषता है। दूसरे धर्म और अन्तर्जातीय विवाह एकता के सूत्र में वांधे रहने का एक माध्यम है-मगर इसे स्वेच्छा के साथ ही अपनाया जा सकता है |

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाए – राष्ट्रीय एकता के मार्ग में अनेक बाधाएं हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(1) साम्ग्रदायिकता – राष्ट्रीय एकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा साम्प्रदायिकता है। साम्प्रदायिकता ऐसी बुराई है जो मानव-मानव में फूट डालती है, भाइयों में मतभेद कुराती है, दो दोस्तों के बीच घृणा और भेद की दीवार खड़ी करती है तथा अन्त में समाज के टुकड़े कर देती है। साम्प्रदायिकता का अर्थ है अपने धर्म के प्रति कट्टरता और दूसरे धर्म के लोगों को हेय दृष्टि से देखना। अपने धर्म को मानने की आजादी तो प्रत्येक देशवासियों को है पर दूसरे धर्म से नफरत, साम्प्रदायिकता को जन्म देता है।

(2) भाषागत विवाद – भारत बहुभाषी राष्ट्र है। यहां अलग-अलग प्रांत और क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही श्रेष्ठ मानता है। इससे राष्ट्र की एकता खण्डित होने के खतरे बढ़ जाते हैं। प्रांतीय भाषाओं का उपयोग मौलिक अधिकार है, मगर दूसरी भाषा से विरोध दूसरे की मौलिक स्वतन्त्रता का ध्यान है। 

(3) प्रान्तीयता या प्रादेशिकता की भावना – प्रान्तीयता या प्रादेशिकता की भावना भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। मानवीयता या प्रादेशिकता से आशय ऐसी स्थिति से है कि जव कोई प्रान्त या प्रदेश के बल पर अपने प्रान्त के विकास के बारे में ही सोचता है पर किसी दूसरे प्रदेश में अपने द्वारा उत्पाद की गयी वस्तुओं का निर्यात नहीं करता तो ऐसी दशा में देश की एकता खण्डित होने की सम्भावना बढ जाती है। क्योंकि समग्र भारत में अलग क्षेत्र में अलग-अलग चीजों, खनिजों वनस्पतियों का उत्पादन होता है। अपने प्रान्त के जुत्पादनों को केवल अपने प्रान्त के बीच ही सुरक्षित रखने का विचार प्रांतीय भाषावाद को जन्म देता है।

(4) जातिगत विवाद – जातिगत विवाद भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बढ़ाएं उत्पन्न करता है| जातिगत विवाद की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी भी जाति से सम्बन्धित जैसे – ब्राह्मण, बनिया, क्षत्रिय, दलित तथा यादव आदि लोग अपनी जाति को ही श्रेष्ठ मानते हैं और इसके लिए वे एक-दुसरे से लड़ाई-झगडा करने लगते हैं | इस प्रकार भी राष्ट्रीय एकता डगमगा जाती जय |

राष्ट्रीय एकता के मार्ग की बाधाओं को दूर करने के उपाय –

1 सर्वप्रथम राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए हमें शयद इकबाल के दथान को समझना चाहिए जिन्होंने एकता के ऊपर एक सन्देश देशवासियों के लिए लिखा था, जो अग्र प्रकार है —

मजहब नहीं सिखाता , आपस में बैर रखना , हिन्दू हैं हमवतन हैं , हिन्दोस्ता हमारा। ”
  • साम्प्रदायिक एकता की भावना को समाप्तकरआपसी भाईचारे से रखना चाहिये।
  • ‘भाषाओं का सम्मान करना ताकि भाषागत विवाद खत्म किया जा सके। इसके लिए कि भाषा सूत्र का फार्मूला सरकार ने लागू कर रखा है। उस पर अमल किया जा
  • देश के सभी प्रदेशों को एक-दूसेक सहायता के लिए हर समय तेयार रहना चाहिए |
  • जातिवाद का उन्मूलन होना चाहिये ताकि राष्ट्रीय एकता बनी रहे। कोई भी देश हमारी एकता को सुरक्षित होते देख हम पर अपना प्रभुत्व स्थापित न कर सके। प्रगतिशील एवं विकासशील देश के नागरिक हैं। उसमें इतनी समझ होनी ही चाहिये कि अनेकता में एकता के सिद्धान्त को बनाये रखे। ।

उपसहार  – यदि सरकार इस विषय पर ध्यानपूर्वक विचार करे, तो नई-नई योजना बना सकती है तथा देश की जनता भी जागरुक होकर राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह समझ सकती है। राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कारकों को ऐसी कोई भी ताकत यहां तक कि आतंकवादी या विरोधी संगठन में इतनी क्षमता नहीं कि वह हमारी एकता को खण्डित कर सके। हम जितना ही एक ही सूत्र में बंधे रहेंगे-देश – उतनी ही ज्यादा तरक्की करेगा।

निबंध नंबर : 03

राष्टीय एकता : आवश्यकता और महत्त्व

Rashtriya Ekta : Avashyakta aur Mahatva

राष्ट्र चाहे भारत हो या कोई या कोई अन्य, उसकी सार्वभौम सत्ता और स्वतंत्रता को बनाए के सभी स्तरों, वगो के निवासियों में संघठन एवं एकता का होना बहुत ही आवश्यक हुआ करता है। फिर भारत जैसे देश, जिसमें प्राकृतिक-भौगोलिक विविधता है ही, भाषाएं और बोलियाँ भी अनेक बोली, पढी जाती हैं। इतना ही नहीं, भारत में अनेक जातियों और धर्मो को मानने वाले लोग निवास कर रहे हैं। सभी के अपने-अपने पूजा स्थल हैं और विश्वास हैं। यहाँ तक कि भारत में रीति-रिवाजों, परम्पराओ, रहन-सहन, खान-पान आदि में भी विविधता एवं अनेकता देखने को मिलती है। ऐसी विविधता एवं अनेकता में देश को जो बात एक शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण बनाए रख सकती है; वह मान्य राष्ट्रीय एकता की उदात एवं महत्त्वपूर्ण भावना और व्यवहार भी तदानुकूल ही हो सकती है।

संसार का छोटा-बड़ा प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि अकेले रह कर, अपनी ढाई चावल की खिचड़ी अलग पका कर न तो कोई रह सकता है और न ही कुछ कर ही सकता है। कहावत भी है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। समाज, देश और राष्ट्र का अवधारणा का मूल आधार ही उपर्युक्त स्वीकृत तथ्य तो है ही सामूहिकता का, समानता का भाव भी है। अकेलेपन का अवसाद मिटाने की इच्छा भी है। अकेले व्यक्ति, समाज, देश या राष्ट्र को कोई भी प्रबल देखते-ही-देखते तहस-नहस कर सकता है। इन सब सत्ता तक को मिटा सकता है। अपनी रक्षा के लिए ही पशु-पक्षी तक भी टोलियाँ बना कर चला करते हैं। फिर सब तरह से बुद्धिमान, सोच-समझ पाने में समर्थ प्राणी का तो कहना ही क्या। वह तो कभी कतई अकेला रहा है, न रह ही सकता है।

यदि समाज अन्य सभी व्यक्ति या प्राणी एक समान ही आस्था और विश्वास रखने वाले होते हैं, तब तो एकता भंग होने की आशंका प्रायः नहीं ही हुआ करती। लेकिन वह कहावत है न कि जहां बहुत सारे झंडे हों वे कभी-न -कभी टकरा ही जाया करते हैं। सो जब किसी एक आसमान की छाया में धरती के एक ही देश एव राष्ट्र नामक टुकड़े पर भिन्न जातियों, धर्मों, आस्थाओं और विश्वासों वाले लोगों का वास हो, तब कभी-न-कभी टकराहट स्वभावतः हो ही सकती है। लकिन उसका कुछ दुष्परिणाम नहीं हो सकता कि लोग यह सोच और मानकर टकराहट का कारण दूर करने का प्रयास करें, कि घर-परिवार में रहने वालों में भी तो कभी कभार टकराव हो ही जाया करता है। ऐसा व्यावहारिक रूप से सोच एवं कर के ही राष्ट्रीय एकता के हमेशा जीवित बनाए रखा जा सकता है।

राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा उन लोगों से हुआ करता या ऐसे लोगों द्वारा पैदा कर दिया जाता है कि जो रहते और खाते तो किसी देश में हैं, पर नज़र किसी अन्य देश में रखा करते हैं। इसी प्रकार वे लोग भी राष्ट्रीयत्ता के लिए खतरा हुआ करते हैं कि जो मात्र अपने विश्वास, धारणा, धर्म और जाति को दूसरों से श्रेष्ठ मान कर उनके विरुद्ध घृणा कर प्रचार-प्रसार किया करते हैं। ऐसे कट्टरतावादी कठमुल्ले निश्चय ही किसी राष्ट्रीयता के प्रत्यक्ष और घोर शत्रु हुआ करते हैं। जो राष्ट्रीय सरकार अपने-आपको राष्ट्रीय कह कर भी ऐसे देशद्रोहियों का सिर कुचलने में हिचकती या समर्थ नहीं हो पाती, नैतिक दृष्टि से ऐसी सरकार का बने रहने का अधिकार नहीं रह जाता। वह इसलिए कि उसके बने रहने से सामुदायिक अराजकता को बढ़ावा मिलना स्वाभाविक हो जाया करता है। जैसा कि आरम्भ से ही देश पर शासन कर रही इस दृष्टि से निरी आदर्शवादी और दुर्बल सरकार के कारण हुआ है। साम्प्रदायिकता का संवैधानिक स्तर या पर तो बढ़ावा दिया ही गया है, वोट पाने और कुर्सी पाने के लिए भी यही किया गया । है। उत्तर-प्रदेश, बिहार आदि में आज भी ऐसा ही किया जा रहा है। यही कारण है कि आज राष्ट्रीयता दाव पर लग चुकी है।

राष्ट्रीयता के नष्ट होने का खतरा तब भी पैदा हो जाया करता है जब देश के मूल और बहुसंख्या में निवास करने वालों के प्रति वोट और सत्ता पाने के निहित स्वार्थों कारणों से उपेक्षा और अनादर के बीज बोए जाने लगते हैं। उनके प्रत्येक अच्छे कार्य और कर्म को भी संकुचित नजरों से देख विरोध शुरू कर दिया जाता है, जैसा कि आज इस देश में व्यापक स्तर पर कभी कांग्रेसवाद, कभी गैर-कांग्रेसवाद और कभी गैर भारतीय जनता पार्टीवाद पर हो रहा एवं अक्सर होता रहता है। इसी प्रकार जब राजनितिज्ञों का संरक्षण पा कर तरह-तरह के दुश्चरित्र माफियों गिरोह, अराजक तत्त्व राजनीति में घुसपैट कर जाया करते हैं और सरकार तथा प्रशासन सब-कुछ देखते सुनते हुए भी उन मक्खियों को चुपचाप निगलने को बाध्य हो जाया करते हैं, तब भी राष्ट्रीयता एकता को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया जाता है। जैसा कि पंजाब में किया गया. महाराष्ट्र में हुआ और काश्मीर में अभी भी हो रहा है। उत्तर-पूर्वी सीमा-प्रदेशों में अन्यारा भी इस प्रकार की राष्ट्रीय एकता को पलीता लगाने वाली कई शक्तियाँ सक्रिय हैं।

इन यथार्थ तथ्यों के आलोक में आम जन, नेतृ वर्ग और सरकार सभी का यह परम और पहला दायित्व हो जाता है कि ऐसे राष्ट्र-एकता भंजक तत्त्वों के समूल नाश में एक हो कर काम करें। सरकार का कर्तव्य सर्वाधिक बढ़ जाता है कि वह आदर्श-भावुकता। त्याग और सम्पूर्णतः यथार्थवादी बन कर इस प्रकार के तत्त्वों के विरुद्ध कठोर कदम उठाए।। समी राष्ट्रीय एकता बनी रह सकती है, जिसका बना रहना हर दृष्टि से बहुत ही ज़रूरी है।

निबंध नंबर : 04

Rashtriya Ekta

प्रत्येक राष्ट्र के विकास के लिए उसके मूल में एकता का भाव विद्यमान रहना अनिवार्य है । राष्टीय एकता से प्रभावित होकर व्यक्ति अपने तन-मन तथा धन को राष्ट्रीय एकता के हेत समर्पित कर देता है । इसके अभाव में राष्ट्र का विकास असम्भव है ।

भारत में अनेकता में एकता का देवता निवास करता है। यहां विविध धर्म विविध भाषायें बोलियां जातियां.प्रदेश.आदि अनेक विभिन्नताएं दृष्टिगोचर होती हैं। यहां के निवासी चाहे वे उत्तर के हों या दक्षिण के, पूर्व के हों या पश्चिम के. एक समान भावना से नहीं रहे है। राष्ट्र के आवश्यक तत्व निम्न प्रकार है-

  • राष्ट्र का प्रथम आवश्यक तत्व है भूमि । इसके अभाव में राष्ट्र सम्भव नहीं है।‘
  • राष्ट्र की भूमि पर निवास करने वाले मनुष्य राष्ट्र का दूसरा अंग हैं। पृथ्वी और उसके निवासियों के सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है ।
  • राष्ट्र के स्वरूप निर्माण में तीसरा अंग संस्कृति है । जब तक संस्कृति का विकास नहीं होता, राष्ट्र का वास्तविक विकास नहीं हो सकता ।
  • सांस्कृतिक विकास के लिये सहयोग और समन्वय की भावना परम आवश्यक है ।

राष्ट्रीय एकता का अभिप्रायः है सम्पूर्ण भारत की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक एकता । हमारे कर्मकाण्ड,पूजा-पाठ,खाने-पीने,रहन-सहन और वेश-भूषा में अन्तर हो सकता है । इस प्रकार अनेकता में एकता भी भारत की प्रमुख विशेषता है। तरसा करते हैं । परन्तु अब वह चंचलता कहां, वह थिरकन कहां। कितना सरस और सुहावना है विद्यार्थी जीवन।

इतिहास साक्षी है कि भारत के नागरिकों ने सर्वदा अपने देश के लिए एकता और बलिदान की भावना का परिचय दिया है । समय-समय पर ऐसे दूषित तत्व अपना प्रभुत्व स्थापित करते रहे हैं जिन से हमारी भावनाएं बिखर गई । गुलामी एवं अंग्रेज़ों की डाली गई ‘फूट’ के शिकार होकर हम एक दूसरे से पृथक हो गये। अलग-अलग राष्ट्र की ज़हरीली गैस फैल रही है और एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय के प्राणों का प्यासा बना हुआ है । भारतीय एकता को खण्डित करने वाले अनेक दूषित तत्व निम्न प्रकार के है :

प्रान्तीयता : यह हमारे राष्ट्र की एकता की प्रबल शत्र है । पंजाब की धरती एवं स्वस्थ स्त्री पुरुषों की बात कहकर पंजाबी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । राजस्थान का आदमी स्वयं को परिश्रमी जीवन का प्रतीक समझता है । दक्षिण भारत के लोग हिन्दी को उत्तर भारत की भाषा कहकर पुकारते हैं और अपने पर इस भाषा की थोपने की बात करते हैं । इस प्रकार प्रान्तीयता की भावना राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। हमें भलना नहीं चाहिए कि राष्ट्र भाषा एक सम्पूर्ण इकाई है।

सम्प्रदायवाद : हमारा देश विभिन्न धर्मों का देश है । धर्म का उद्देश्य आत्मिक विकास करना है । परन्तु धर्म के कथित ठेकेदारी के पाखण्ड एवं अज्ञान के कारण एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय के अनुयायियों को घृणा की दृष्टि से देखने लगता है । एक सम्प्रदाय के लोग दूसरे के प्राणों के शत्रु बन जाते है । इस प्रकार साम्प्रदायिकता का विष राष्ट्र की एकता की छिन्न-भिन्न कर देता है । साम्प्रदायिकता की भावना एक ऐसी बुराई है जो मानव-मानव में फूट डालती है । दो दोस्तों के बीच घृणा और भेद की दीवार खड़ी करती है । यह घनिष्ठतम सम्बन्धों को तोड़ सकती है । भाई को भाई से अलग करती है और अन्त में समाज के टुकड़े कर देती है । दुर्भाग्य से इस रोग को समाप्त करने का जितना अधिक प्रयास किया गया है यह उतना ही बढ़ता गया ।

बाहरी शक्तियां : हमारे देश की सीमा से लगे कुछ देशों का स्वार्थ इसी में है कि हमारे देश में अस्थिरता बनाए रखें । इसी कारण वे देश में लगातार तनाव बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके लिए वे सर्वदा सीमा से लगे नगरों में दंगे कराते हैं ।

विभिन्न आन्दोलन : हमारे देश की एकता को आन्दोलनों ने भी गंम्भीर हानि पहुंचाई है। भारत आन्दोलनों का देश बन गया है । यहां चरित्र, ईमानदारी, अनुशासन और योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ नागरिक के स्थान पर खोखले नारे लगाये जाते हैं । इनसे देश का निर्माण नहीं होता अपितु वह पतन की ओर उन्मुख होता है ।

विभिन्न आन्दोलन : जातीयता ने भारत की अखण्डता पर आघात किया है । हमारा समाज धार्मिक सम्प्रदायी एवं प्रान्तीय भाषाओं के आधार पर विभक्त है । एक प्रान्त के एक सम्प्रदाय के लोग अनेक जातियों में बंटे हुए है । एक जाति का व्यक्ति दूसरी जाति के व्यक्ति को नीचा दिखाना चाहता है । चुनावों में जातिवाद का प्रचार प्रचण्ड रूप से होता है ।

भाषागत विवाद : भारत बहुभाषी राष्ट्र है। यहां 27 विभिन्न प्रान्तों तथा संघीय क्षेत्रों की अलग-अलग बोलियां और भाषाएं है । वे परस्पर विभक्त हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी भाषा को श्रेष्ठ और उसके साहित्य को महानतम् मानता है । इस आधार पर भाषागत विवाद खड़े हो जाते हैं तथा राष्ट्र की अखण्डता भंग होने के खतरे बढ़ जाते हैं । यदि व्यक्ति मातृभाषा के मोह के कारण दूसरी भाषा का अपमान करता है, उसकी अवहेलना करता है तो वह राष्ट्रीय एकता पर प्रहार करता है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा को सीखने के बाद संविधान में स्वीकृत अन्य प्रादेशिक भाषाओं को भी सीखें तथा राष्ट्रीय एकता के निर्माण में सहयोग प्रदान करें।

राष्ट्रीय एकता की अनिवार्यता तथा उसके समक्ष सम्भावित खतरों को दृष्टिगत रखते हुए साहित्यकार, विचारक, दार्शनिक, समाज-सुधारक अपनी-अपनी सीमाओं में निरन्तर इस बात के लिए प्रयत्नशील है कि देश में भाईचारे और सद्भावना का वातावरण बने। वर्तमान समय में व्याप्त अलगाव की भावनाएं समाप्त हों। परन्तु इस प्रयास में सफलता दृष्टिगोचर नहीं हो पा रही है । इस आग में कभी पंजाब सुलग उठता है, कभी महाराष्ट्र, कभी गुजरात, तो कभी उत्तरप्रदेश। किसी भी राष्ट्र में इन अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति इस बात का संकेत देती है कि हम टकराव और बिखराव उत्पन्न करने वाले तत्वों को रोक नहीं पा रहे है । यह स्मरण रखना चाहिए कि इसका समाधान हमारा सांझा कार्य है। इन समस्याओं का समाधान केवल राष्ट्र के नेताओं अथवा प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर नहीं हो सकता। इसके लिए हम सबको परस्पर मिलजुल कर प्रयास करना होगा। जनता को राष्ट्रीय एकता की स्थापना में अहम भूमिका निभानी चाहिए ।

About evirtualguru_ajaygour

hindi essay yogdan

commentscomments

' src=

I am interested

' src=

A very good and light essay..

' src=

Simple and sweet essay

' src=

Good essay .

Awesome essay.

' src=

Awesome essay

' src=

Excellent essay.

' src=

Excellent essay

' src=

Outstanding essay

' src=

Bhaut mast h

' src=

Interesting n excellent essay

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Links

hindi essay yogdan

Popular Tags

Visitors question & answer.

  • Jayprakash on Hindi Essay on “Aitihasik Sthal ki Yatra” , ”ऐतिहासिक स्थल की यात्रा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Diksha on Official Letter Example “Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. ” Complete Official Letter for all classes.
  • Anchal Sharma on Write a letter to the Postmaster complaining against the Postman of your locality.
  • rrrr on Hindi Essay on “Pratahkal ki Sair” , ”प्रातःकाल की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Mihir on CBSE ASL “Listening Test Worksheet” (ASL) 2017 for Class 11, Listening Test Audio Script 1

Download Our Educational Android Apps

Get it on Google Play

Latest Desk

  • Contemporary Indian Women-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Privatisation: Strengths and Weaknesses-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Greater political power alone will not improve women’s plight-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Casteism and Electoral Politics in India-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Wither Indian Democracy?-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Do Not Put Off till Tomorrow What You Can Do Today, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Shabd Shakti Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द शक्ति की परिभाषा और उदाहरण
  • Shabd Gun Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द गुण की परिभाषा और उदाहरण
  • Example Letter regarding election victory.
  • Example Letter regarding the award of a Ph.D.
  • Example Letter regarding the birth of a child.
  • Example Letter regarding going abroad.
  • Letter regarding the publishing of a Novel.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

HindiKiDuniyacom

तुलसीदास की जीवनी

संस्कृत से वास्वतिक रामायण को अनुवादित करने वाले तुलसीदास जी हिन्दी और भारतीय तथा विश्व साहित्य के महान कवि हैं। तुलसीदास के द्वारा ही बनारस के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर की स्थापना हुयी। अपनी मृत्यु तक वो वाराणसी में ही रहे। वाराणसी का तुलसी घाट का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा है।

गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिन्दू संत, समाजसुधारक के साथ ही दर्शनशास्त्र और कई प्रसिद्ध किताबों के भी रचयिता थे। राम के प्रति अथाह प्रेम की वजह से ही वे महान महाकाव्य रामचरित मानस के लेखक बने। तुलसीदास को हमेशा वाल्मिकी (संस्कृत में रामायण और हनुमान चालीसा के वास्वतिक रचयिता) के अवतरण के रुप में प्रशंसा मिली। तुलसीदास ने अपना पूरा जीवन शुरुआत से अंत तक बनारस में ही व्यतीत किया।

तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था। उत्तर प्रदेश के यमुना नदी के किनारे राजापुर (चित्रकुट) को तुलसीदास का जन्म स्थान माना जाता है। इनके माता-पिता का नाम हुलसी और आत्माराम दुबे है। तुलसीदास के जन्म दिवस को लेकर जीवनी लेखकों के बीच कई विचार है। इनमें से कई का विचार था कि इनका जन्म विक्रम संवत के अनुसार वर्ष 1554 में हुआ था लेकिन कुछ का मानना है कि तुलसीदास का जन्म वर्ष 1532 हुआ था। उन्होंने 126 साल तक अपना जीवन बिताया।

एक कहावत के अनुसार जहाँ किसी बच्चे का जन्म 9 महीने में हो जाता है वहीं तुलसीदास ने 12 महीने तक माँ के गर्भ में रहे। उनके पास जन्म से ही 32 दाँत थे और वो किसी पाँच साल के बच्चे की तरह दिखाई दे रहे थे। ये भी माना जाता है कि उनके जन्म के बाद वो रोने के बजाय राम-राम बोल रहे थे। इसी वजह से उनक नाम रामबोला पड़ गया। इस बात को उन्होंने विनयपत्रिका में भी बताया है। इनके जन्म के चौथे दिन इनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। अपने माता पिता के निधन के बाद अपने एकाकीपन के दुख को तुलसीदास ने कवितावली और विनयपत्रिका में भी बताया है।

चुनिया जो कि हुलसी की सेविका थी, ने तुलसीदास को उनके माता-पिता के निधन के बाद अपने शहर हरिपुर ले कर गयी। लेकिन दुर्भाग्यवश वो भी तुलसीदास का ध्यान सिर्फ साढ़े पाँच साल तक ही रख पायी और चल बसी। इस घटना के बाद गरीब और अनाथ तुलसीदास घर-घर जाकर भीख माँग कर अपना पालन-पोषण करने लगे। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने एक ब्राह्मण का रुप लेकर रामबोला की परवरिश की।

तुलसीदास जी ने खुद भी अपने जीवन के कई घटनाओं और तथ्यों का जिक्र अपनी रचनाओं में किया है। उनके जीवन के दो प्राचीन स्रोत भक्तमाल और भक्तिरसबोधिनी को क्रमश: नभादास और प्रियदास के द्वारा लिखा गया। नभादास ने अपने लेख में तुलसीदास को वाल्मिकी का अवतार बताया है। तुलसीदास के निधन के 100 साल बाद प्रियदास नें उनपर अपना लेख लिखना शुरु किया और रामबोला के जीवन के सात चमत्कार और आध्यत्मिक अनुभवों का विवरण दिया। तुलसीदास पर मुला गोसैन चरित्र और गोसैन चरित्र नामक दो जीवनायाँ 1630 में वेनी माधव और 1770 के लगभग दासनीदस (या भवनीदस) द्वारा लिखा गया।

वाल्मिकी के अवतार

रामचरितमानस जैसे महाकाव्य को लिखने वाले तुलसीदास को वाल्मिकी का अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्र भविष्योत्तर पूर्णं के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती से वर्णित किया है कि वाल्मिकी का अवतार फिर से कल युग में होगा। मौजूद स्रोतों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि वाल्मिकी जी के मुख से रामायण को सुनने के लिये हनुमान जी खुद जाया करते थे। रावण पर राम की विजय के बाद भी हनुमान हिमालय पर राम की पूजा जारी रखे हुए थे।

रामबोला (तुलसीदास) को विरक्त शिक्षा दी गयी (वैराग प्रारंभ के रुप में) जिसके बाद उनका नया नाम पड़ा ‘तुलसीदास’। जब ये सिर्फ 7 वर्ष के थे तो इनका उपनयन अयोध्या में नरहरिदास के द्वारा किया गया किया गया। रामबोला ने अपनी शिक्षा अयोध्या से शुरु की। तुलसीदास ने बताया कि उनके गुरु ने महाकाव्य रामचरितमानस को कई बार उन्हें सुनाया। 15-16 साल की उम्र में रामबोला पवित्र नगरी वाराणसी आये जहाँ पर वे संस्कृत व्याकरण, हिन्दी साहित्य और दर्शनशास्त्र, चार वेद, छ: वेदांग, ज्योतिष आदि की शिक्षा अपने गुरु शेष सनातन से ली। अध्ययन के बाद, अपने गुरु की आज्ञा पर वे अपनी जन्मस्थली चित्रकूट वापस आ गये जहाँ उन्होनें अपने पारिवारिक घर में रहना शुरु कर दिया और रामायण का व्याख्यान करने लगे।

वैवाहिक इतिहास

तुलसीदास का विवाह रत्नावली (दिनबंधु पाठक की पुत्री) से वर्ष 1583 में ज्येष्ठ महीने (मई या जून का महीना) के 13वें दिन हुआ था। विवाह के कुछ वर्ष पश्चात रामबोला को तारक नाम के पुत्र की प्राप्ति हुयी जिसकी मृत्यु बचपन में ही हो गयी। एक बार की बात है जब तुलसीदास हनुमान मंदिर गये हुए थे, उनकी पत्नी अपने पिता के घर गयी चली गयी। जब वे अपने घर लौटे और अपनी पत्नी रत्नावली को नहीं देखा तो अपनी पत्नी से मिलने के लिये यमुना नदी को पार कर गये। रत्नावली तुलसीदास की इस कृत्य से बहुत दुखी हुयी और उन्हें जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि अपने आप को ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित कर दो। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी का त्याग किया और पवित्र नगरी प्रयाग चले गये जहाँ पर उन्होंने गृहस्थ आश्रम छोड़कर साधु का जीवन अपना लिया। कुछ लेखकों का ये भी मानना था कि वो अविवाहित और जन्म से साधु थे।

भगवान हनुमान से कैसे हुयी मुलाकात

तुलसीदास को अपनी कथा के दौरान ये अनुभव हुआ कि वो हनुमान के चरणों में है और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगे कि मैं जानता हूँ कि आप कौन है अतएव आप मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते। उसके बाद हनुमान ने उन्हें ढ़ेर सारा आशीर्वाद दिया, इस अवसर पर तुलसीदास ने अपनी संवेदनाओं को हनुमान जी के सामने प्रस्तुत किया कि वो श्री राम को अपने सामने देखना चाहते है। पवन पुत्र ने उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें चित्रकुट जाने की सलाह दी और कहा कि वहाँ सच में तुम्हें श्री राम के दर्शन प्राप्त होंगे।

राम से तुलसीदास की मुलाकात

हनुमान जी की सलाह का अनुसरण करते हुए तुलसीदास चित्रकूट के रामघाट के आश्रम में रहने लगे। एक बार जब वो कमदगीरि पर्वत की परिक्रमा करने गये थे उन्होंने घोड़े की पीठ पर दो राजकुमारों को देखा लेकिन वे उनमें फर्क नहीं कर सके। बाद में उन्होंने पहचाना कि वो हनुमान की पीठ पर राम-लक्ष्मण थे, वे दुखी हो गये। इन सारी घटनाओं का उल्लेख उन्होंने अपनी रचना गीतीवली में भी किया है। अगली ही सुबह, उनकी मुलाकात दुबारा राम से हुयी जब वो चंदन की लकड़ी की लेई बना रहे थे। श्रीराम उनके पास आये और चंदन की लकड़ी की लेई के तिलक के बारे में पूछा, इस तरह से तुलसीदास ने राम का पूरा दर्शन प्राप्त किया। तुलसीदास बहुत खुश हुए और चंदन की लकड़ी की लेई के बारे में भूल गये, उसके बाद राम जी ने खुद से तिलक लिया और अपने और तुलसीदास के माथे पर लगाया।

विनयपत्रिका में तुलसीदास ने चित्रकूट में हुये चमत्कार के बारे में बताया है साथ ही श्रीराम का धन्यवाद भी किया है। एक बरगद के पेड़ के नीचे माघ मेला में तुलसीदास ने भारद्वाज (स्रोता) और याज्ञवल्क्य मुनि के भी दर्शन का उल्लेख किया है।

तुलसीदास का साहित्यिक जीवन

तुलसीदास ने तुलसी मानस मंदिर पर चित्रकूट में स्मारक बनवाया है। इसके बाद वे वाराणसी में संस्कृत में कविताएँ लिखने लगे। ऐसा माना जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने तुलसीदास को अपनी कविताओं को संस्कृत के बजाय मातृभाषा में लिखने का आदेश दिया था। ऐसा कहा जाता है कि जब तुलसीदास ने अपनी आँखे खोली तो उन्होंने देखा कि शिव और पार्वती दोनों ने उन्हें अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि वे अयोध्या जाकर अपनी कविताओं को अवधि भाषा में लिखे।

रामचरितमानस, महाकाव्य की रचना

तुलसीदास ने वर्ष 1631 में चैत्र मास के रामनवमी पर अयोध्या में रामचरितमानस को लिखना शुरु किया था। रामचरितमानस को तुलसीदास ने मार्गशीर्ष महीने के विवाह पंचमी (राम-सीता का विवाह) पर वर्ष 1633 में 2 साल, 7 महीने, और 26 दिन का समय लेकर पूरा किया।

इसको पूरा करने के बाद तुलसीदास वाराणसी आये और काशी के विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती को महाकाव्य रामचरितमानस सुनाया।

तुलसीदास की मृत्यु

तुलसीदास की मृत्यु सन् 1623 में सावन के महीने में (जुलाई या अगस्त) गंगा नदी के किनारे अस्सी घाट पर हुआ।

तुलसीदास के दूसरे महत्वपूर्ण कार्य

रामचरितमानस के अलावा तुलसीदास के पाँच प्रमुख कार्य है:

दोहावली: ब्रज और अवधि भाषा में लगभग 573 विविध प्रकार के दोहों और सोरठा का संग्रह है ये। इनमें से 85 दोहों का उल्लेख रामचरितमानस में भी है।

कवितावली: इसमें ब्रज भाषा में कविताओं का समूह है। महाकाव्य रामचरितमानस की तरह इसमें 7 किताबें और कई उपकथा है।

गीतावली: इसमें ब्रज भाषा के 328 गीतों का संग्रह है जो सात किताबों में विभाजित है और सभी हिन्दूस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रकार है।

कृष्णा गीतावली या कृष्णावली: इसमें भगवान कृष्ण के लिये 61 गीतों का संग्रह जिसमें से 32 कृष्ण की रासलीला और बचपन पर आधारित है।

विनय पत्रिका: इसमें 279 ब्रज के श्लोकों का संग्रह है जिसमें से 43 देवी-देवताओं के लिये है।

तुलसीदास के अप्रधान कार्य

बरवै रामायण: इसमें 69 पद है और ये सात कंदों में विभाजित है।

पार्वती मंगल: इसमें अवधि भाषा में 164 पद है जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन करते है।

जानकी मंगल: इसमें अवधि भाषा में 216 पद है जो भगवान राम और माता सीता के विवाह का वर्णन करते है।

रामालला नहछू: अवधि में बालक राम के नहछू संस्कार (विवाह से पहले पैरों का नाखून काटना) को बताता है।

रामाज्ञा प्रश्न: 7 कंदों और 343 दोहों में श्रीराम की इच्छा शक्ति का वर्णन किया गया है।

वैराग्य संदीपनी: वैराग्य और बोध की स्थिति की व्याख्या करने के लिये ब्रज भाषा में इसमें 60 दोहे है।

जनसाधारण द्वारा सम्मानित कार्य:

हनुमान चालीसा: इसमें 40 पद है जो अवधि भाषा में हनुमान जी को समर्पित है साथ ही इसमें 40 चौपाईयाँ और 2 दोहे भी है।

संकटमोचन हनुमानाष्टक : इसमें अवधि में हनुमान जी के लिये 8 पद है।

हनुमानबाहुक: इसमें 44 पद है जो हनुमान जी के भुजाओं का वर्णन कर रहा है।

तुलसी सतसाईं: इसमें ब्रज और अवधि में 747 दोहों का संग्रह है जो 7 सर्गों में विभाजित है।

संबंधित पोस्ट

संत रविदास की जीवनी – biography of sant ravidas in hindi, बाल गंगाधर तिलक, राम प्रसाद बिस्मिल, सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय.

  • गर्भधारण की योजना व तैयारी
  • गर्भधारण का प्रयास
  • प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी)
  • बंध्यता (इनफर्टिलिटी)
  • गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह
  • प्रसवपूर्व देखभाल
  • संकेत व लक्षण
  • जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
  • प्रसवोत्तर देखभाल
  • महीने दर महीने विकास
  • शिशु की देखभाल
  • बचाव व सुरक्षा
  • शिशु की नींद
  • शिशु के नाम
  • आहार व पोषण
  • खेल व गतिविधियां
  • व्यवहार व अनुशासन
  • बच्चों की कहानियां
  • बेबी क्लोथ्स
  • किड्स क्लोथ्स
  • टॉयज़, बुक्स एंड स्कूल
  • फीडिंग एंड नर्सिंग
  • बाथ एंड स्किन
  • हेल्थ एंड सेफ़्टी
  • मॉम्स एंड मेटर्निटी
  • बेबी गियर एंड नर्सरी
  • बर्थडे एंड गिफ्ट्स

FirstCry Parenting

  • बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

मेरी रुचि पर निबंध (Essay On My Hobby In Hindi)

Essay On My Hobby In Hindi

In this Article

मेरी रुचि पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On My Hobby In Hindi)

मेरी रुचि पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on my hobby in hindi 200-300 words), मेरी रुचि पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on my hobby in hindi 400-600 words), मेरी रुचि के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about my hobby in hindi) , मेरी रुचि के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a my hobby essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

इस व्यस्त जीवन में इंसान कुछ पल अपने लिए जरूर निकालता है जिसमें वह अपने पसंद की चीजें कर सके या फिर अपनी पसंदीदा रुचि का अभ्यास करे। इससे उसे खुशी मिलती है और साथ ही तनाव भी कम होता है। बच्चे हों या बड़े हर कोई काम और पढ़ाई में व्यस्त रहता है लेकिन कुछ समय अपने लिए निकालना भी जरूरी है ताकि बाद में और मन लगाकर काम किया जा सके। इसे ही रूचि, शौक या हॉबी कहा जाता है। वैसे तो किसी भी शौक की आदत बचपन से लोगों को होती है, कुछ लोग उस शौक को पेशा बना लेते हैं और कुछ मनोरंजन का साधन। इस तनावपूर्ण जिंदगी में अगर कुछ पल खुशी के मिल रहे हैं तो उससे इंकार करना सही नहीं होता है। अलग-अलग व्यक्तियों के शौक भी विभिन्न होते हैं। किसी को क्रिकेट खेलना पसंद है, किसी को डांस, कोई नई किताबें पढ़ता है तो कोई कलाकारी में रुचि दिखाता है। बच्चों की दिलचस्पी अक्सर नई-नई रुचियों में देखी जाती है। स्कूल में यदि बच्चों से उनके पसंदीदा शौक के बारे में विस्तार से लिखने को कहा जाता है तो वे हमारे द्वारा लिखे इस लेख की मदद ले सकते हैं, जिससे उन्हें सही ढंग से लिखने का तरीका भी सीखने को मिलेगा। यहां अपने पसंदीदा शौक पर निबंध कैसे लिखना है इसके लिए विभिन्न शब्द सीमा में कुछ सैंपल दिए गए हैं। 

रुचि एक ऐसी मनोरंजक आदत है जो आपके व्यस्त दिन में खुशी लेकर आती है। इससे आपका मानसिक तनाव तो दूर होता ही है बल्कि आप अगली बार और बेहतर ऊर्जा के साथ कार्य करते हैं। रुचियां कई प्रकार की होती हैं, यह आप पर निर्भर है कि आपको किस चीज में दिलचस्पी है। किसी को नृत्य करना पसंद होता है तो किसी को कला और शिल्प में रुचि होती है। चलिए इन दोनों से जुड़ी 10 लाइनों के बारे में आपको बताते हैं।

नृत्य (डांस)

  • मेरी पसंदीदा रुचि नृत्य करना है। 
  • पढ़ाई के तनाव को दूर करने और खुशी के कुछ पल जीने के लिए मैं नृत्य करती हूं। 
  • स्कूल, कोचिंग आदि के बीच मैं हर दिन आधा घंटा नृत्य के लिए निकालती हूं। 
  • नृत्य मुझे स्वस्थ और तनाव मुक्त रहने में मदद करता है। 
  • नृत्य मेरा जुनून है और आगे जाकर मैं एक डांसर या कोरियोग्राफर बनना चाहती हूं। 
  • नृत्य करने से मेरा शरीर लचीला और फिट रहता है। 
  • नृत्य अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक प्रभावी तरीका है। 
  • ग्रुप डांस करने से हमें टीम के साथ काम करने की प्रेरणा मिलती है। 
  • नृत्य प्रतियोगिता में भाग लेने से मुझे कई पुरस्कार भी मिले हैं। 
  • मेरे माता-पिता मेरे नृत्य के शौक को लेकर समर्थन करते हैं।   

कला और शिल्प (आर्ट और क्राफ्ट)

  • मुझे कला और शिल्प में बेहद रुचि है। 
  • खाली समय में मैं रचनात्मक कलाकारी करती हूं और कुछ नया बनाती हूं। 
  • स्कूल में भी मैंने आर्ट एंड क्राफ्ट का विषय चुना हुआ है। 
  • कला और शिल्प मेरी कलात्मक क्षमताओं का विकास करते हैं। 
  • कला और शिल्प के माध्यम से मैं अपनी भावना व्यक्त कर सकती हूं। 
  • इसकी मदद से मेरा दिमाग और मन शांत होता है। 
  • यह मुझे काल्पनिक चीजों को वास्तविकता में रूप देने में मदद करती है। 
  • इस रुचि के माध्यम से धैर्य रखने की आदत बनती है। 
  • इस एक्टिविटी को हर उम्र के लोग अपना सकते हैं। 
  • इसकी मदद से हम चीजों का पुनः उपयोग करना और उनका मूल्य बढ़ाना सीखते हैं।  

बचपन से लोगों को घूमने, टीवी देखने, किताबें पढ़ने, चित्रकारी करने आदि का शौक होता है। लेकिन मुझे कम उम्र से ही नृत्य में दिलचस्पी रही है। ऐसे अगर आपको भी नृत्य करना पसंद है और अपने इस पसंदीदा शौक के बारे में निबंध लिखना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख की मदद लें और इससे अच्छे शब्दों अथवा वाक्यों का चुनाव करें। 

मैं जब छोटी थी, मुझे तब से ही नृत्य करने का शौक था। जब लोग मुझे डांस करते हुए देखते थे तो वे बहुत खुश होते और तालियां बजाते थे। इसी खुशी का अनुभव करते-करते मैं बड़ी हुई और मुझे पता चला नृत्य मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा और पसंदीदा शौक बन गया है। मैं चाहे जितना भी व्यस्त क्यों न हो जाऊं लेकिन अपने डांस के लिए दिन भर के 24 घंटों में से कुछ समय निकाल लेती हूं। मैं अब बड़ी कक्षा में पढ़ती हूं और मेरी पढ़ाई का तनाव भी काफी बढ़ गया है। लेकिन यह नृत्य मुझे इस तनाव को कम करने में मदद करता है। इसे रोजाना करने से यह मुझे शारीरिक रूप से स्वस्थ तो रखता ही है साथ ही मेरा मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। नृत्य करने के बाद मैं तरोताजा महसूस करती हूं, जिसके बाद पढ़ाई अच्छे से हो जाती है। डांस सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि यह कई बार अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया भी बनता है। व्यक्ति जब अधिक तनाव में होता है, तो नृत्य कई बार उसके मन को शांत करने का काम करता है। नृत्य करने से शरीर में लचीलापन और संतुलन बनता है, जो कि हमें फिट रखता है। कभी-कभी डांस किसी एक चीज पर एकाग्रता बनाए रखने में मदद करता है। आप अकेले डांस करते हैं या फिर ग्रुप के साथ यह आपकी पसंद है। लेकिन जब व्यक्ति एक ग्रुप के साथ डांस करता है तो उसे टीम वर्क समझ में आता है और यह भी कि बिना टीम वर्क के जीत हासिल करना मुश्किल है। मैं बहुत कम उम्र से नृत्य की दुनिया में हूं और मैंने बचपन से ही कई प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया और पुरस्कार भी जीते हैं। मेरे माता-पिता बचपन से मुझे इसमें समर्थन देते रहे हैं और आगे भी वो मेरा साथ ऐसे ही देंगे। नृत्य सिर्फ मेरा शौक ही नहीं बल्कि जूनून भी बन गया है और मैं बड़ी होकर एक बेहतरीन नृत्यांगना और कोरियोग्राफर का बनने का सपना देखती हूं।   

Meri ruchi par nibandh

आप सभी को किसी न किसी चीज का शौक जरूर होगा, यदि है तो यह बहुत अच्छी बात है क्योंकि ऐसे में आप अपने खाली समय का सही उपयोग कर सकेंगे। फिर चाहे आप ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें या कोई खेल सीखें। ऐसे में अगर आपके बच्चे को डांस में दिलचस्पी और वह मेरे शौक पर निबंध लिखना चाहता है लेकिन समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरुआत करें तो नीचे 400-600 शब्द सीमा का निबंध का नमूना दिया गया है। इस निबंध को एक बार अपने बच्चे को जरूर पढ़ाएं। 

प्रस्तावना 

दुनिया भर में जितने लोग हैं, सभी के अलग-अलग शौक होते हैं, जैसे चित्रकारी, क्रिकेट, बागवानी, खाना बनाना, किताबें पढ़ना, कला व शिल्प, संगीत सुनना आदि। वैसे ही मुझे भी हमेशा से डांस करने का शौक रहा है। जब मैं ऊबने लगती हूं या फिर मेरा मन पढ़ाई करने का नहीं होता है तो मैं टीवी या स्पीकर पर तेज आवाज में गाने लगाकर नृत्य करती हूं। डांस करने से मैं खुद हल्का, फुर्तीला और तनावमुक्त महसूस करती हूं। ऐसा करने से हम समय बर्बाद नहीं करते बल्कि कुछ नया सीखकर उसका बेहतर उपयोग करते हैं। 

मेरी रुचि ‘नृत्य’ का महत्व

जिन लोगों को नृत्य पसंद है, उनके लिए संगीत और डांसर किसी प्रेरणा से कम नहीं होते हैं। आप चाहे जितना पढ़ाई करें या ज्ञान हासिल करें लेकिन जीवन में कुछ पल ऐसे होते हैं जिनमें आपको अपने मन को शांत और तनाव से दूर करना होता है। कहते हैं डांस और गाने सुनकर लोगों का काफी स्ट्रेस कम होता है। डांस एक मुरझाए हुए व्यक्ति के जीवन में खूबसूरत बरसात के समान होता है। यह न सिर्फ आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाता है बल्कि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ बने रहते हैं। आप एक्सरसाइज भले न करें लेकिन अगर 24 घंटे में आप आधा घंटा भी डांस कर रहे हैं, तो आपका शरीर फिट रहेगा। 

नृत्य के प्रकार 

भारतीय नृत्य 2 प्रकार के होते हैं – शास्त्रीय और लोकसंगीत पर आधारित। शास्त्रीय नृत्य में कत्थक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, ओडिसी आदि प्रकार आते हैं। वहीं लोकसंगीत आधारित नृत्य में गरबा, लावणी, छाऊ आदि की गिनती होती है। इसके अलावा पश्चिमी डांस के प्रकार जैसे हिप-हॉप, टैंगो और बॉलीवुड नृत्य भी बेहद लोकप्रिय डांस शैलियां हैं। इनमें से हर नृत्य प्रकार के अपने गुण और फायदे हैं। डांस सिर्फ एक शौक नहीं रह गया है बल्कि इस क्षेत्र में खूब नाम भी कमाया जा सकता है। इसलिए लोग नृत्य को अपनी आजीविका का साधन भी बना लेते हैं।

हर व्यक्ति अपने जीवन में कोई न कोई शौक अपनाता ही है। क्योंकि शौक हमारे मनोरंजन का साधन होता है और अपनी तनाव भरी जिंदगी में कुछ पल आनंद भरे होने चाहिए। रोज वही दिनचर्या अपनाने से व्यक्ति अपने जीवन से ऊबने लगता है, इसलिए जीवन शैली में बदलाव होना जरूरी है। दुनिया बहुत बड़ी है और हर किसी की अपनी-अपनी पसंद, शौक और कामनाएं होती है। किसी को किताबें पढ़ना पसंद होता है वहीं कुछ लोग किताब पढ़ने को एक उबाऊ कार्य मानते हैं। इसलिए इंसान की जैसी मनोदशा और सोच होती है उसे उसी प्रकार के शौक में दिलचस्पी होती है। लेकिन हर व्यक्ति को अपने इस व्यस्त जीवन से कुछ पल खुद के लिए निकालने जरूर चाहिए ताकि वह जिंदगी को मन से जी सके न कि सिर्फ एक औपचारिकता निभाए। 

  • नृत्य करने वाले बेहद अनुशासित, केंद्रित और मेहनती व्यक्तित्व वाले लोग होते हैं। 
  • एक स्टडी के अनुसार नृत्य हमारे मन और शरीर का तनाव कम करता है। 
  • नृत्य को भारत में धर्म और संस्कृति का एक अहम हिस्सा माना गया है।
  • भारतीय पारंपरिक कथाओं के अनुसार भारत में नृत्य की शुरुआत देवताओं के काल में हुई थी।  
  • नृत्य के महत्वपूर्ण पांच तत्वों में शरीर, क्रिया, स्थान, समय और ऊर्जा शामिल हैं।
  • कला और शिल्प की शिक्षा बच्चों के रचनात्मक और मोटर कौशल को बेहतर करती है।
  • कला और शिल्प से बच्चे की कल्पना करने की शक्ति बेहतर होती है। 

इस निबंध से यह सीख मिलती है कि अपने काम और पढाई के साथ-साथ लोगों को अन्य गतिविधियों का हिस्सा भी बनना चाहिए ताकि जब वे तनाव में हों या परेशान हों तो तनाव मुक्त करने के लिए एक आदत उनका मनोरंजन कर सके। इतना ही नहीं खाली समय में आप नई कला, बेहतर ज्ञान, और स्वस्थ शरीर भी हासिल कर सकते हैं। इसलिए शौक जरूर रखें लेकिन अपनी पसंद के अनुसार ताकि आप उसका मन से आनंद उठा सकें। 

1. अंग्रेजी शब्द हॉबी की उत्पत्ति कब और कैसे हुई थी?

13वीं शताब्दी में हॉबी शब्द का तात्पर्य छोटे घोड़े से था और बाद में इसका वर्णन एक शौकीन घोड़े के रूप में किया गया। लेकिन बाद में इसको आधुनिक अर्थ दिया गया जो कि पसंदीदा मनोरंजन और शौक हो गया।

2. दुनिया का सबसे पुराना शौक कौन सा है?

दुनिया का सबसे पुराना शौक सिक्कों को इकट्ठा करना है, जिसे मुद्राशास्त्र भी कहा जाता है।

3. भारत में ‘फादर ऑफ डांस’ किसे माना जाता है?

उदय शंकर को भारत के मॉडर्न डांस का जनक माना जाता है, इन्हें ‘आधुनिक नृत्य का संस्थापक’ का सम्मान मिला है।

4. रुचि रखने के क्या फायदे हैं?

किसी शौक को अपनाने से व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति अधिक एकाग्र रहता है और खाली समय में आने वाले नकारात्मक विचारों से भी बचा रहता है।

यह भी पढ़ें:

प्रिय मित्र पर निबंध गर्मी की छुट्टी पर निबंध

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (essay on noise pollution in hindi), बैडमिंटन पर निबंध (essay on badminton in hindi), पुस्तक पर निबंध (essay on book in hindi), बेटी दिवस पर कविता (poem on daughter’s day in hindi), गणेश चतुर्थी पर निबंध (ganesh chaturthi essay in hindi), शिक्षक दिवस 2024 पर कविता, popular posts.

FirstCry Parenting

  • Cookie & Privacy Policy
  • Terms of Use
  • हमारे बारे में

COMMENTS

  1. राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध

    राष्ट्र निर्माण में युवा की भूमिका पर निबंध (Role of Youth in Nation Building Essay in Hindi) युवा राष्ट्र का संरचनात्मक और कार्यात्मक ढांचा है। हर राष्ट्र की ...

  2. राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध

    राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध - Essay On Role Of Youth In Nation Building In Hindi रूपरेखा- युवा-वर्ग और उसकी शक्ति, छात्र-असन्तोष के कारण, राष्ट्र-निर्माण में छात्रों ...

  3. सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान : जानिए स्वतंत्रता सेनानी

    Essay on Sarojini Naidu in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में सरोजिनी नायडू पर निबंध FAQs स्वतंत्रता आंदोलन में सरोजिनी नायडू का क्या योगदान रहा?

  4. आज की युवा पीढ़ी पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    आज की युवा पीढ़ी पर निबंध. Essay on the younger generation in hindi. युवा पीढ़ी यानी हमारे देश के नौजवान समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारा आने वाला भविष्य ...

  5. राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध

    राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Role of Women in Nation Building in Hindi

  6. राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women

    प्रस्तावना (राष्ट्र के निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Essay on Women Contribution in Nation Building in Hindi) ईश्वर ने इंसानों को दो प्रकार से बनाया है। पहला ...

  7. राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान पर निबंध

    राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान Essay On Role of Youth in Nation Building in Hindi. माँ का रूप सजाया हैं. इन प्रश्नों के उत्तर में एक ही नाम एक छवि उभरती है ...

  8. ‎हिन्दी निबंध

    ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति ...

  9. शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

    शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए ...

  10. मुंशी प्रेमचंद का हिन्दी साहित्य में योगदान

    मुंशी प्रेमचंद का हिन्दी साहित्य में योगदान. मुं शी प्रेमचंद जी का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई ...

  11. राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध rashtra nirman me yuvao ka

    भारत की युवा शक्ति पर निबंध, कविता, विचार व नारे Bharat ki yuva shakti essay, poem, quotes, slogans in hindi; राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध Rashtra nirman mein nari ka yogdan in hindi

  12. Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर

    Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध ...

  13. राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान

    राष्ट्रीय एकता की प्राण हिन्दी. राष्ट्रीय एकता में हिंदी भाषा का महत्व राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान राष्ट्रीय एकीकरण में ...

  14. राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंध

    राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंध | Rashtra Nirman Me Nari Ka Yogdan Nibandh. May 31, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान निबंधn Nibandh (Role of Women in Nation Building ...

  15. राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध। Bhartiya Samaj me nari ka

    राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध। Bhartiya Samaj me nari ka yogdan. राष्ट्र निर्माण में नारी का योगदान पर निबंध : हमारे देश में नारी को देवी ...

  16. राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध

    राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध (Essay on Role of Youth in Nation's Building in Hindi). इस लेख में हम यूथ इन इंडिया रिपोर्ट-2022, युवा सशक्तिकरण, युवाओं की मुख्य समस्याएं आदि ...

  17. Rashtra Nirman me Yuvako ka Yogdan "राष्ट्र निर्माण में युवकों का

    Rashtra Nirman me Yuvako ka Yogdan "राष्ट्र निर्माण में युवकों का योगदान" Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 Students.

  18. Hindi Essay on "Vigyan ka Manav Vikas me Yogdan ...

    Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay on "Vigyan ka Manav Vikas me Yogdan" , "विज्ञान का मानव-विकास में योगदान " Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

  19. राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध

    Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh: राष्ट्र निर्माण का अर्थ बॉर्डर पर खड़ी आर्मी या देश में बैठे सांसद से नहीं होता। उनकी अहम भूमिका होती है देश या राष्ट्र का निर्माण ...

  20. Hindi Essay on "Rashtra Nirman me Vidhyarthiyo ka Yogdan", "राष्ट्र

    Hindi Essay on "Yuva varg ka Rashtriya Utthan me Yogdan", "युवा वर्ग का राष्ट्र के उत्थान में योगदान" Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech.»

  21. Hindi Essay on "Rashtriya Nirman me Vidyarthiyo ka Yogdan", "राष्ट्र

    Hindi Essay on "Rashtriya Nirman me Vidyarthiyo ka Yogdan", "राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों ...

  22. Hindi Essay on "Rashtriya Ekta" , " राष्ट्रीय एकता " Complete Hindi

    राष्ट्रीय एकता. Best 4 Essay " Rashtriya Ekta" निबंध नंबर : 01 एकता में बल है - हिंदी के कहानीकार सुदर्शन लिखते है - "ओस की बूंद से चिड़िया भी नहीं भीगती किंतु मेंह से हाथी ...

  23. रानी लक्ष्मीबाई

    सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से प्रभावित होकर उनके यश का गान करते हुए झांसी की रानी कविता की रचना की है [ 8 ...

  24. तुलसीदास

    अध्ययन. रामबोला (तुलसीदास) को विरक्त शिक्षा दी गयी (वैराग प्रारंभ के रुप में) जिसके बाद उनका नया नाम पड़ा 'तुलसीदास'। जब ये सिर्फ 7 ...

  25. मेरी रुचि पर निबंध (Essay On My Hobby In Hindi)

    मेरी रुचि पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on My Hobby in Hindi 400-600 Words) आप सभी को किसी न किसी चीज का शौक जरूर होगा, यदि है तो यह बहुत अच्छी बात है क्योंकि ऐसे में आप अपने खाली ...